CBSE Class 6 Hindi Grammar अव्यय (विकारी शब्द)

CBSE Class 6 Hindi Vyakaran अव्यय (विकारी शब्द)

हमने संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया पदों का अध्ययन किया और देखा कि इन पदों के रूपों में परिवर्तन होता हैं, अतः, इन्हें विकारी पद कहते हैं। अब उन पदों का अध्ययन किया जाएगा जिनका रूप सदैव एक ही बना रहता है और उनमें परिवर्तन नहीं होता। एक ही रूप बने रहने के कारण इन्हें अव्यय कहते हैं। अव्यय शब्द का अर्थ है जिसका व्यय न हो अर्थात् जिनमें विकार न आए। इन्हें अविकारी पद भी कहते हैं।

अव्यय :

अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि से मिलकर विकार या रूप-परिवर्तन नहीं होता। अव्यय के पाँच मुख्य भेद माने जाते हैं-

  1. क्रियाविशेषण (Aduerb)
  2. संबंधबोधक (Post Position)
  3. समुच्चयबोधक (Conjunction)
  4. विस्मयादिबोधक (Interjection)
  5. निपात (Stress)

CBSE Class 6 Hindi Grammar अव्यय (विकारी शब्द)

1. क्रियाविशेषण (Adverb)-जो पद क्रिया की विशेषता बताता है उसे क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, आजकल, के पास, बिल्कुल।

क्रियाविशेषण के चार भेद माने गए हैं-
(क) कालवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Time)-जो पद क्रिया के काल या समय की विशेषता बताता है उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-

1. तुम चेन्नै कब जाओगे?
2. संजय परसों जयपुर से आया था।
3. शीला प्रतिदिन स्कूल जाती है।
4. महँगाई आजकल बढ़ती जा रही है।

(ख) स्थानवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Place)-जो पद क्रिया के स्थान का बोध कराता है, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-

1. वह यहाँ रहता है।
2. माता जी बाहृर गई हैं।
3. तुम इधर-उधर मत जाओ।
4. वर्षा में कहाँ जाओगे?

(ग) रीतिवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Manner)-जों पद क्रिया के होने की रीति या विधि संबंधी विशेषता बताता है, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-

1. कार तेज़ दौड़ती है।
2. साइकिल धीरे-धीरे चलती है।
3. मुदिता ध्यानपूर्वक पढ़ती है।
4. मोहन यहाँ कैसे आया है?

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(घ) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण (Adverb of Quantity)-जो पद क्रिया की मात्रा या परिमाण बताए, वह परिमाएँ वाचक क्रियाविशेषण कहलाता है; जैसे-

1. मैं बिल्कुल थक गया हूँ।
2. बंगाल में चावल अधिक खाया जाता है।
3. तुम कम बोलो।
4. थोड़ा खाओ, खूब चबाओ।

2. संबंधबोधक अव्यय (Post Position)-संबंधबोधक अव्यय अपने पूर्वपद के साथ संबंध जोड़ता है। इस पद के पहले किसी-न-किसी परसर्ग की अपेक्षा रहती है; जैसे-से दूर, के साथ, के कारण, के वास्ते, की अपेक्षा, की जगह, के अनुसार, की तरफ। उदाहरण के लिए-

1. मैं घर से दूर पहुँच गया था।
2. इस मकान के पीछे शिव मंदिर है।
3. मौहन बाज़ार की ओर गया है।
4. उसके सामने तुम कहीं नहीं ठहर सकते।

3. समुच्चयबोधक अव्यय (Conjunction)-जो अव्यय पदों, पदबंधों और उपवाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे-और, कि, अथवा, क्योंकि, इसलिए।

समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं-

(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधक-जो दो या उससे अधिक समान पदों, पदबंधों, उपवाक्यों को जोड़ता है, वह सर्मानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाता है। जैसे-

1. नरेन्द्र शाम को रोटी और दाल खाता है।
2. जोगेन्द्र रसमलाई या गुलाबजामुन खाता है।

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(ख) व्यधिकरण समुच्चयबोधक-जो पद किसी वाक्य के एक या अधिक आश्रित उपवाक्यों को जोड़ता है, वह व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाता है; जैसे-

1. शेख घर चला गया है क्योंकि उसके सिर में दर्द था।
2. उसने परिश्रम किया फिर भी सफल नहीं हो पाया।

4. विस्मयादिबोधक अव्यय (Interjection)-विस्मयादिबोधक अव्यय वे रूप हैं जो आश्चर्य, हर्ष, शोक, व्यथा, घृणा आदि मनोभावों के उद्गार को व्यक्त करते हैं। उद्गार प्राय: अपने-आप मुँह से निकल जाते हैं और इनका उद्देश्य प्राय: सुनने वाले को कोई सूचना देना नहीं होता; जैसे-

1. वाह! क्या सुंदर दृंग्य है। (आश्चर्य)
2. अरे! गाड़ी से बचो। (चेतावनी)
3. क्या बोलूँ! (व्यथा)
4. शाबाश! बहुत बड़ा काम किया तुमने। (प्रशंसा)
5. छि:! ऐसी गंदी बात करता है। (घृणा)

कछ मख्य विस्मयादिबोधक डस प्रकार हैं-

CBSE Class 6 Hindi Grammar अव्यय (विकारी शब्द) 1

5. निपात (Stress)-वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव पैदा करने में सहायता करते हैं, उन्हें निपात या अवधारणामूलक शब्द कहते हैं; जैसे-

1. राम ही कल जाएगा।
2. राम कल ही जाएगा।
3. कल राम भी जाएगा।
4. मैंने तो कुछ नहीं किया।
5. तुम्हारे बारे में बच्चे तक जानते हैं।

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