CBSE Class 6 Hindi Grammar भाषा, लिपि व व्याकरण

CBSE Class 6 Hindi Vyakaran भाषा, लिपि व व्याकरण

भाषा क्या है? (Language) :

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर वह अपनी बात दूसरों तक पहुँचाता है और दूसरों की बात समझना चाहता है। विचारों का यह आदान-प्रदान भाषा के द्वारा होता है।
‘भाषा शब्द भाष’ धातु से बना है। इसका अर्थ है-बोलना। मनुष्य जिन ध्वनियों को बोलकर अपनी बात कहता है, उसे भाषा कहते हैं।

हम भाषा की परिभाषा इस प्रकार दे सकते हैं-
भाषा वह साधन है जिसकें द्वारा मनुष्य अपने मन के विचार या भाव दूसरों पर प्रकट करता है और दूसरों के विचार या भाव ग्रहण करता है।

भाषा के रूप :

भाषा के दो रूप होते हैं-मौखिक (Oral) और लिखित (Written)।
मौखिक रूप-भाषा का मूल रूप मौखिक है। यह रूप मानव को सहज रूप में प्राप्त होता है। इसे सीखने के लिए विशेष प्रयत् की आवश्यकता नहीं होती। भाषा के मौखिक रूप में बोलना और सुनना दोनों शामिल हैं। टेलीफोन पर भी भाषा के इसी रूप का प्रयोग होता है।

लिखित रूप-मौखिक भाषा को स्थायी रूप देने के लिए भाषा के लिखित रूप की आवश्यकता होती है। जब किसी दूर बैठे व्यक्ति को लिखकर अपनी बात या विचार पहुँचाते हैं तब लिखित भाषा रूप का प्रयोग किया जाता है। यह रूप स्थायी है और भाषा को सुरक्षित रखता है।

लिखित रूप के लिए ध्वनियों का सीधा प्रयोग न करके उनके लिए निश्चित किए गए ध्वनि-चिहों का प्रयोग किया जाता है।

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लिपि (Script)  :

भाषा के लिखित रूप का आधार उसकी लिपि होती है।
‘लिपि’ शब्द का अर्थ है-लीपना या लिखना।
मौखिक भाषा को लिखित रूप में प्रकट करने के लिए निश्चित किए गए चिह्नों को ‘लिपि’ कहते हैं।
संसार की विभिन्न भाषाओं को लिखने के लिए अनेक लिपियाँ प्रचलित हैं। संस्कृत, हिंदी, मराठी भाषाएँ ‘ वेवनागरी’ लिपिं में लिखी जाती हैं। देवनागरी का विकास ‘ब्वाही लिपि’ से हुआ। ब्राही वह प्राचीन लिपि है जिससे हिंदी, बंगला, गुजराती आदि भाषाओं की लिपियों का विकास हुआ।

वेवनागरी लिपि बाई से दाई ओर लिखी जाती है। यह एक वैज्ञानिक लिपि है। भारत की अधिकांश भाषाओं की लिपियाँ बाई से दाईं ओर ही लिखी जाती हैं। केवल ‘फारसी लिपि’ (जिसमें उर्दू भाषा लिखी जाती है) दाई से बाई ओर लिखी जाती है।

नीचे बनी तालिका में प्रमुख भाषाओं की लिपियों के नाम दिए जा रहे हैं-

क्र.सं. भाषा लिपि
1. हिंदी देवनागरी
2. संस्कृत देवनागरी
3. मराठी देवनागरी
4. नेपाली देवनागरी
5. अंग्रेजी, फ्रेंच, पोलिश, जर्मन रोमन
6. उर्दू, अरबी, फारसी फारसी
7. पंजाबी गुरुमुखी

व्याकरण (Grammar) :

प्रत्येक भाषा की अपनी व्यवस्था होती है। एक ही भाव को प्रकट करने के लिए अलग-अलग भाषाओं में सामान्यतः अलग-अलग ध्वनियों, शब्दों और वाक्यों का प्रयोग होता है। इनसे संबंधित नियम भी हर भाषा में प्राय: अलग-अलग होते हैं। व्याकरण इन नियमों का संकलन तथा विश्लेषण कर भाषा की एक सुनिश्चित व्यवस्था प्रस्तुत करता है।

व्याकरण मुख्यतः भाषा के नियमों का संकलन और विश्लेषण करता है। शैक्षिक व्याकरण इन नियमों को स्थिर करता है। व्याकरण के विभिन्न नियमों के स्थिर होने से भाषा में एक प्रकार की मानकता आ जाती है। ज्यों-ज्यों भाषा विकसित होती जाती है, वैसे-वैसे उसके प्रयोग के रूपू स्थिर होते जाते हैं।

व्याकरण वह शास्त्र है जो हमें भाषा को शुद्ध रूप में बोलने, लिखने और पढ़ने के सही नियमों का ज्ञान कराता है।
व्याकरण के चार मुख्य भाग हैं-

  1. वर्ण-विचार (Phonology)-इसके अंतर्गत वर्णों के उच्चारण, वर्गीकरण, लेखन, संयोजन के बारे में चर्चा की जाती है।
  2. शब्द-विचार (Morphology)-इसमें शब्दों के स्रोत, भेद, रूप तथा रचना आदि पर चर्चा की जाती है।
  3. पद-विचार (Etemology)-वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाते हैं। इसके अंतर्गत पद और उसके भेदों तथा पद रचना का अध्ययन किया जाता है।
  4. वाक्य विचार (Syntax)-इसमें वाक्य संरचना, विश्लेषण, पदबंध, वाक्य-भेद, वाक्य रूपांतरण व विराम-चिह्नों का अध्ययन किया जाता है।

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भारत की भाषाएँ :

भारत में बहुत-सी भाषाएँ बोली और समझी जाती हैं। इनमें असमिया, उड़िया, बंगला, उद्दू, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, कश्मीरी, पंजाबी, हिंदी, संस्कृत, सिंधी मुख्य भाषाएँ हैं। इन सब भाषाओं के साथ-साथ हिंदी का प्रयोग पूरे भारत में होता है।

हिंदी का प्रयोग ब्रज भाषा, अवधी, मैथिली, राजस्थानी, खड़ी बोली आदि के लिए होता आया है। आजकल की हिंदी का स्वरूप अधिकतर खड़ी बोली पर आधारित है। हिंदी के इस रूप में अन्य भाषाओं और बोलियों के शब्द भी आ गए हैं।

हिंदी का मानक रूप खड़ी बोली (हिंदी) से विकसित हुआ है। इस मानक रूप से उच्चारण, वर्तनी, शब्द-भंडार और व्याकरण के स्तर पर एकरूपता आ रही है।

14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को भारत के संविधान में राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। हिन्दी भाषा बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में बोली जाती है। इन राज्यों को हिंदी भाषी क्षेत्र कहा जाता है। इस पूरे हिंदी भाषी क्षेत्र में 18 बोलियाँ बोली जाती हैं। इन्हें 5 वर्गों में बाँटा गया है।

क्र.सं. उपभाषा (वर्ग) बोलियाँ
1. पूर्वी हिन्दी अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी
2. पश्चिमी हिंदी खड़ी बोली. ब्रजभाषा, हरियाणवी, कन्नौजी, बुंदेली
3. बिहारी हिंदी भोजपुरी, मगही, मैथिली
4. राजस्थानी हिंदी जयपुरी, मारवाड़ी, मेवाती, मालवी
5. पहाड़ी हिंदी हिमाचली, कुमाऊँनी, गढ़वाली

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भारत के संविधान में निम्नलिखित 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है-

1. असमिया, 2. बांग्ला, 3. बोडो, 4. डोगरी, 5. गुजराती, 6. हिंदी, 7. कन्नड़, 8. कश्मीरी, 9. कोंकणी, 10. मैथिली, 11 . मलयालम, 12. मणिपुरी, 13. मराठी, 14. नेपाली, 15. उड़िया, 16. पंजाबी, 17. संस्कृत, 18. संधाली, 19. सिंधी, 20. तमिल, 21. तेलुगु, 22. उर्दू।

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