CBSE Class 6 Hindi Vyakaran मुहावरे-लोकोक्तियाँ
भाषा भावों एवं विचारों को अभिव्यक्त करने का साधन है। हम अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से कहने के लिए मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग करते हैं। इनकी सहायता से गंभीर भावों को भी बहुत सहज तथा सरल ढंग से अभिव्यक्त किया जा सकता है।
‘मुहावरा’ शब्द अरबी भाषा का है। जिसका अर्थ है-अभ्यास। वस्तुतः शब्दों का ऐसा समुच्चय मुहावरा है जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशिष्ट अर्थ को प्रकट करे। प्रयोग के धरातल पर एक ही मुहावरा कई बार अलग-अलग अर्थ दे सकता है। जैसे-
‘आँख लगना’-मुहावरा
(क) सारी रात जगने के बाद उसकी आँख अभी लगी है।-(अभी नींद आई है।)
(ख) मेरी किताब पर उसकी आँख लगी हुई है।-(पाने की इच्छा)
‘लोकोक्तियाँ’ या ‘कहावते’ लोक अनुभव का परिणाम होती हैं। इसे लोक की उक्ति कहा गया है। इसकी उत्पत्चि के लिए विशेष व्यक्ति, स्थान अथवा काल का निर्देश नहीं किया जा सकता। लोकोक्तियाँ स्वयं सिद्ध होती हैं।
लोकोक्ति एवं मुहावरे में अंतर
(क) लोकोक्ति पूर्ण वाक्य है, जबकि मुहावरा खंड वाक्य है।
(ख) पूर्ण वाक्य होने के कारण लोकोक्ति का प्रयोग स्वतंत्र एवं अपने आप में पूर्ण इकाई के रूप में होता है जबकि मुहावरा किसी वाक्य का अंश बनकर रह जाता है।
(ग) लोकोक्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता जबकि मुहावरों में वाक्य के अनुसार परिवर्तन होता है।
(घ) लोकोक्ति किसी बात के समर्थन अथवा खंडन के लिए प्रयुक्त की जाती है, जबकि मुहावरा वाक्य में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
मुहावरे (Idioms):
प्रमुख मुहावरों के अर्थ एवं प्रयोग नीचे दिए जा रहे हैं-
1. अंग-अंग बीला होना = थक जाना।
दिन-भर की भाग-दौड़ होने के कारण अब मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।
2. अंधे की लाठी = एकमात्र सहारा।
पिता के देहांत के बाद अब तो पुत्र गोपाल ही अपनी माँ के लिए अंधे की लाठी है।
3. अक्ल का दुश्मन – मूर्ख व्यक्ति।
तुम तो पूरे अक्ल के दुश्मन हो, तुम्हें सलाह देने का कोई फायदा नहीं।
4. अंग-अंग मुस्कराना = बहुत प्रसन्न होना। अपना नंबर मेधावी छात्रों की सूची में पाकर रवि का अंग-अंग मुस्कराने लगा।
5. अपने पैरों पर खड़ा होना = स्वावलंबी होना। पिता की अचानक मौत के पश्चात् रमेश शीघ्र ही अपने पैरों पर खड़ा हो गया।
6. अँगूठा दिखाना = साफ इंकार करना। मैंने सुधा से दो दिन के लिए पुस्तक माँगी तो उसने अँगूठा दिखा दिया।
7. अगर-मगर करना = टाल-मटोल करना। जब हम संस्था की सहायतार्थ सेठ जी के पास चंदा माँगने गए तो वे अगर-मगर करने लगे।
8. आग में घी डालना = क्रोध को भड़काना। तुम्हारी बातों ने तो रमा और सुधा की लड़ाई में आग में घी डाल दिया।
9. आसमान से बतें करना = बहुत ऊँचा होना। कनॉट प्लेस की भव्य इमारतें आसमान से बातें करती प्रतीत होती हैं।
10. आकाश-पाताल एक करना = बहुत परिश्रम करना। परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए राजेश ने आकाश पाताल एक कर दिया।
11. आँखें बिछाना – प्रेम से स्वागत करना। अभिनेता के स्वागत-समारोह में प्रशंसकों ने आँखें बिछा दीं।
12. आँखें चुराना = सामने न आना।
अब बेरोजगार पंकज अपने परिचितों से आँखें चुराने लगा है।
13. आँखें खुलना = होश में आना। जब सुरेशचन्द्र को उसके साझीदार ने व्यापार में धोखा दिया तब ही उसकी आँखें खुलीं।
14. आँखों में घूल झोंकना = धोखा देना। वह ठग मेरी आँखों में धूल झोंककर मेरा रुपयों से भरा बैग ले भागा।
15. आँखें विखाना = क्रोध प्रकट करना। अध्यापक द्वारा छात्र को जरा-सा डाँटने पर छात्र आँखें दिखाने लगा।
16. आस्तीन का साँप = विश्वासघाती मित्र। राजबीर को क्या मालूम था कि उसका मित्र सुरेश आस्तीन का साँप निकलेगा।
17. आँसू पोंछना = सांत्वना देना।
सड़क-दुर्घटना में रमा के माता-पिता की मृत्यु होने पर उसके आँसू पोंछने वालों की कतार लग गई।
18. आटे-वाल का भाव मालूस होना = वास्तविक स्थिति का पता चलना।
विवाह के पश्चात् ही तुम्हें आटे-दाल का भाव मालूम पड़ेगा।
19. इधर-उघर की हाँकना = व्यर्थ बोलना। पिता द्वारा परीक्षा में फेल होने का कारण पूछुने पर रमेश इधर-उधर की हाँकने लगा।
20. ईव का चाँच होना = बहुत दिनों बाद दिखना। अरे मित्र! कहाँ रहे इतने दिन? तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
21. ईँट से ईड बजाना = नष्ट-भ्रष्ट कर देना। युद्ध में सैनिक अपने शत्रु की ईंट से ईट बजा देने को तत्पर रहते हैं।
22. उल्टी गंगा बहाना = नियम के विपरीत कार्य करना। पंजाब को दिल्ली से गेहूँ भेजना तो उल्टी गंगा बहाना हुआ।
23. ऊँगली उठाना = दोषारोपण करना। पर्याप्त सबूत के बिना किसी पर ऊँगली उठाना तुम्हें शोभा नहीं देता।
24. कफन सिर पर बाँधना = मरने को तैयार रहना। राजपूतों के लिए कहा जाता था कि वे कफन सिर पर बाँधकर युद्ध-क्षेत्र में जाते थे।
25. कंठहार होना = बहुत प्रिय होना। कांता तो अपने पति के लिए कंठ-हार बनी हुई है।
26. कलई खुलना = भेद खुल जाना। आखिरकार सेठ रामलाल के कालाबाजारी होने की कलई खुल ही गई।
27. कलेजे का टुकड़ा = बहुत प्रिय। सभी बच्चे अपने माता-पिता के कलेजे का टुकड़ा होते हैं।
28. कटे पर नमक छिड़काना = दुःखी व्यक्ति को और दु:खी करना।
तुम्हें उस विधवा के कटे पर नमक छिड़कते शर्म औनी चाहिए।
29. कमर टूटना = हिम्मत टूट जाना।
जवान पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु होने से रमाकांत जी की तो मानो कमर ही टूट गई है।
30. कान का कच्चा होना = चुगली पर ध्यान देने वाला। हमारे अफसर ईमानदार होने के बावजूद कान के कच्चे हैं।
31. कान पर जूँ न रेंगना = कुछ असर न होना। राम को उसके पिता ने काफी समझाया, पर उसके कान पर जूँ तक न रेंगी।
32. कंगाली में आटा गीला होना = अभाव में अधिक हानि होना।
एक तो प्रदेश में पहले ही बाढ़ से स्थिति खराब थी, अब महामारी फैल गई। इसी को कंगाली में आटा गीला होना कहते हैं।
33. काम आनां = वीरगति प्राप्त करना। देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए कितने ही वीर काम आ गए।
34. खाला जी का घर होना = आसान काम। आज के युग में सरकारी नौकरी पाना खाला जी का घर नहीं है।
35. खरी-खोटी कहना = बुरा भला कहना। लड़ाई में सास-बहू. ने एक-दूसरे को खूब खरी-खोटी सुनाई।
36. खून-पसीना एक करना = कठोर परिश्रम करना। परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए मैंने खून-पसीना एक कर दिया।
37. गाल बज़ाना = बहुत अधिक बोलना। मधु की बातों पर ध्यान मत दो, उसे तो गाल बजाने का शौक है।
38. गागर में सागर भरना = थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना।
बिहारीलाल ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
39. गड़े मुर्दें उखाड़ना = बीती बातों को छेड़ना। गड़े मुर्दे उखाड़ने से अच्छा है कि भविष्य की सुध ली जाए।
40. गुवड़ी का लाल = देखने में सामान्य, भीतर से गुणी व्यक्ति।
लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
41. गुड़-गोबर होना = बात बिगड़ जाना।
सारा कार्यक्रम पूरी शानो-शौकत से चल रहा था कि अचानक बारिश आ जाने से सारा गुड़-गोबर हो गया।
42. घी के दीये जलाना = बहुत खुश होना।
विकलांग रमेश जब परीक्षा में प्रथम आया तो उसकी माँ ने घी के दीये जलाए।
43. घर सिर पर उठाना = बहुत शोर करना। अरे बच्चो, शांत हो जाओ। घर सिर पर क्यों उठा रखा है?
44. घाट-घाट का पानी पीना = जगह-जगह का अनुभव प्राप्त करना।
तुम रतनलाल को इतनी आसानी से नहीं फैसा सकते, उसने घाट-घाट का पानी पी रखा है।
45. घोड़े बेचकर सोना = निश्चित होकर गहरी नींद सोना। जब से कमल की परीक्षाएँ समाप्त हुई हैं, वह घोड़े बेचकर सो रहा है।
46. घाव पर नमक छिड़कना = दुःखी को और सताना। एक तो रमाकांत को पहले ही पुत्र के देहांत का शोक है, तुम ऊपर से ज्यादा पूछताछ करके क्यों उनके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
47. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना = डर जाना। पुलिस द्वारा चारों तरफ से घेर लेने के कारण चारों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
48. चिकना घड़ा होना = जिस पर कुछ असर न हो। रीना तो चिकना घड़ा हो गई है, माँ-बाप की बातों का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
49. चादर से बाहर पैर फैलाना = सामर्थ्य से अधिक खर्च करना।
सोच-समझकर ही खर्च करने में अक्लमंदी है क्योंकि चादर से बाहर पैर फैलाना ठीक नहीं।
50. चोली-दामन का साथं होना = घना संबंध। परिश्रम और सफलता का तो चोली-दामन का साथ है।
51. छाती पर साँप लोटना = दूसरे की तरक्की देखकर जलना।
पड़ोसिन के पास सोने के जेवरात देखकर पूनम की छाती पर साँप लोटने लगे।
52. छठी का दूध याद आना = कठिनाई का अनुभव होना। बिना परिश्रम के परीक्षा में बैठने से अनिल को छठी का दूध याद आ गया।
53. छाती पर मूँग बलना = बहुत तंग करना। रामलाल के मेहमान साल भर उसकी छाती पर मूँग दलते रहते हैं।
54. छोटा मुँह बड़ी बात = अपनी सीमा से बढ़कर बोलना। कमल तो छोटा मुँह बड़ी बात ही करता है, उसकी बातों का बुंरा मत मानना।
55. जूती चाटना = खुशामद करना। आज के युवा नौकरी पाने के लिए दूसरों की जूती चाटते फिरते हैं।
56. जान पर खेलना = जोखिम उठाना। बच्चे को शेर से बचाने के लिए वह बहादुर नौजवान जान पर खेल गया।
57. टका सा जवाब देना = साफ इंकार करना। मैंने कुछ दिनों के लिए विमल से साइकिल माँगी तो उसने टका सा जवाब दे दिया।
58. तूती बोलना = बहुत प्रभाव होना।
कृष्णकांत के समाज-खेवी होने की तूती सारे शहर में बोल रही है।
59. तिल धरने की जगह न होना = बहुत भीड़ होना। आज की सभा में इतनी भीड़ थी कि तिल धरने की जगह भी नहीं थी।
60. दाँत काटी रोटी होना – पक्की दोस्ती होना। रमेश और सुरेश के बीच दाँत काटी रोटी वाली बात है, कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
61. दाँत खट्टे करना = बुरी तरह हराना। हमारी सेना ने दुश्मन सेना के दाँत खट्टे कर दिए।
62. दाहिना हाथ होना = बहुत बड़ा सहायक होना। पुलिस ने एक मुठभेड़ में उस कुख्यात अपराधी के दाहिने हाथ सुक्खा को मार गिराया।
63. दिन वूनी रात चौगुनी उन्नति करना = अधिकाधिक उन्नति।
भगवान करे, तुम दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करो।
64. धरती पर पाँव न पड़ना = अभिमान से भरा होना। जब से रीता का पति प्रबंधक के पद पर नियुक्त हुआ है, तभी से उसके पाँव धरती पर नहीं पड़ रहे हैं।
65. नमक हलाल होना = कृतज होना।
मुझे अपने मालिक के लिए यह कार्य करके उनका नमक हलाल बनना है।
66. निन्यानवे के फेर में पड़ना = रुपये की चिंता करते रहना।
तुम जब से निन्यानवे के फेर में पड़े हो, घर की तरफ से लापरवाह होते जा रहे हो।
67. नौ-दो ग्यारह होना = भाग जाना। पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गया।
68. पर निकलना = स्वच्छंद हो जाना। कॉलेज में दाखिला लेते ही सारिका के पर निकलने लगे हैं।
69. पहाड़ टूटना = बहुत भारी कष्ट आ जाना। पिता की आकस्मिक मृत्यु से विमल पर तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा है।
70. पगड़ी उछालना = अपमानित करना। बड़े-बूढ़ों की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं है।
71. पाँव उखड़ जाना = स्थिर न रह पाना। पुलिस की गोलियों की बौछार के आगे आतंकवादियों के पाँव जल्दी ही उखड़ गए।
72. पारा उतरना – क्रोध शांत होना। जब तुम्हारा पारा उतरेगा, तभी तुम्हें अपनी गलती का अहसास होगा।
73. पानी-पानी हो जांना = अत्यंत लज्जित होना। कक्षा में जब सरिता की कलई खुल गई तो वह पानी-पानी हो गई।
74. फूँक-फूँक कर कदम रखना = बड़ी सावधानी से काम करना।
जब से वीरेन्द्र ने अपने साझीदार से व्यापार में धोखा खाया है, वह हर कदम फूँक-फूँक कर रखता है।
75. फूला न समाना = बहुत प्रसन्न होना। जब से भूपेश का नाम मैडिकल कालेज की प्रवेश-सूची में आया है, वह फूला नहीं समा रहा।
76. बाग-बाग होना = बहुत प्रसन्न होना। रीता और कांता जब भी मिलती हैं, तो उनके दिल बाग-बाग हो जाते हैं।
77. बहती गंगा में हाथ धोना = अवसर का फायदा उठाना। तुम भी क्यों नहीं बहती गंगा में हाथ धो लेते, आखिर तुम्हारा मित्र मंत्री जो बन गया है।
78. बाल बांका न होना = कुछ हानि न होना। मेरे रहते कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं करं पाएगा।
79. मुँह की खाना = सबके सामने पराजित होना। औरंगजेब ने कई बार शिवाजी पर चढ़ाई की, पर सदा मुँह की खाई।
80. मुँह में पानी भर आना = जी ललचाना। विवाह में अनेकों प्रकार के व्यंजन देखकर बारातियों के मुँह में पानी भर आया।
81. मुट्ठी गरम करना = रिश्वत देना।
कचहरी में काम करवाने के लिए क्लकों की मुट्ठी गरम करनी पड़ती है।
82. लहू का घूँट पीकर रह जाना = अपमान सहन कर लेना।
द्रौपदी का अपमान होते देखकर भीम लहू का घूँट पीकर रह गया।
83. लकीर का फकीर होना = रूढ़िवादी होना।
श्यामलाल तो लकीर का फकीर है, बेटी के विवाह में सारी पुरानी रस्में निभाएगा।
84. लाल-पीला होना = क्रोध करना।
परीक्षा में बेटे की असफलता से पिताजी लाल-पीले होने लगे।
85. सोने पर सुहागा होना = अच्छी चीज का और अच्छा होना।
साधना सुंदर होने के साथ-साथ गुणवती भी है, सोने पर सुहागा है।
86. हाथ मलना = पछताना।
अवसर का फायदा उठाने में ही समझदारी है वरना बाद में हाथ मलते रह जाओगे।
87. हथेली पर सरसों उगाना = असंभव काम को संभव करना।
हिम्मती लोगों के लिए हथेली पर सरसों उगाना बाएँ हाथ का काम है।
88. हवाई किले बनाना = काल्पनिक इरादे प्रकट करना। हवाई किले बनाने से जीवन में सफलता नहीं मिलती, कुछ ठोस काम करके दिखाओ।
89. हवा लगना = शौक लगना।
सीधे-सादे सुनील को भी कॉलेज पहुँचते ही वहाँ की हवा लग गई।
90. हुक्का-पानी बंद करना = मेल-जोल या व्यवहार बंद करना।
गलत आचरण के कारण समाज ने विनोद का हुक्का-पानी बंद कर दिया।
लोकोक्तियाँ (Proverbs) :
1. अंत भला सो भला = अच्छे काम का अंत अच्छा ही होता है।
मनोज तुम्हें कितना भी परेशान करे मगर तुम उसका काम कर दो। अंत भला सो भला।
2. अथजल गगरी छलकत जाए = ओछा मनुष्य दिखावा अधिक करता है।
अनिल ने थोड़ा-बहुत कंम्प्यूटर चलाना क्या सीख लिया, स्वयं को इंजीनियर मानने लगा है-अधजल गगरी छलकत जाए।
3. अपनी-अपनी बपली, अपना-अपना राग = सब की अलग-अलग राय होना।
यहाँ अनेक विरोधी दल हैं, कोई किसी की बात का समर्थन नहीं करता-सब की अपनी-अपनी ढपली, अपना- अपना राग जो ठहरा।
4. अंधा क्या चाहे दो आँखें = मुँहमाँगी वस्तु मिलना। रामपाल को पढ़ाई में परेशानी हो रही थी, एक दिन एक अध्यापक उसके किराएदार के रूप में आ गया। बस अंधा क्या चाहे दो आँखें।
5. अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत – नुकसान होने के बाद पछताने से क्या लाभ। पूरे साल तो पढ़ाई की बजाय आवारागदीं की और अब फेल होने पर रोते हो, अब पछ्छताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत।
6. अंधा क्या जाने बसंत की बहार = अनभिज्ञ आदमी को आनंद नहीं मिल सकता।
अजय को ‘कामायनी’ में क्या दिलचस्पी होगी क्योंकि वह तो पांचवी पास है. अंधा क्या जाने बसंत की बहार।
7. आम के आम गुठलियों के दाम – दुगुना लाभा मैंने जितने में पुस्तक खरीदी थी, उतने ही मूल्य में साल
भर पढ़ने के बाद बेच दी। इसी को कहते हैं – आम के आम गुठलियों के दाम।
8. आँख के अंधे नाम नैनसुख = काम के प्रतिकूल नाम होना।
नान तो तुम्हारा सर्वप्रिय है मगर सबसे लड़ते रहे हो। तुम्हारे लिए ठीक ही कहा गया है – आँख के अंधे नाम नैनसुख।
9. आगे कुआँ पीछे खाई = दोनों ओर मुसीबत। अगर दोस्त की मदद करता हूँ तो पत्नी नाराज होती है और अगर नहीं करता तो दोस्त नाराज होता है। मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई है।
10. आधा तीतर, आधा बटेर – बेमेल वस्तुओं का एक साथ होना।
अरे! ये क्या फैशन है, धोती-कुर्त के साथ हैट-बूट। लगता है, आधा तीतर, आधा बटेर।
11. आ बैल मुझे मार = जान-बूझकर मुसीबत मोल लेना। पहले तो सभी को बुला लिया, अब खर्चें का रोना रोते हो। सच है – आ बैल मुझे मार।
12. आरा लगने पर कुआँ खोदना = मुसीबत पूरी तरह से आ जाने पर बचाव के उपाय करना।
पूरे साल तो बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया और जब परीक्षा सिर पर है तो अध्यापक से ट्यूशन के लिए कहते हो। आग लगने पर कुआँ खोदते हो।
13. आँख के अंधे, गाँठ के पूरे = मूर्ख परन्तु धनी। राजकुमार जी तो पूरी तरह से इस कहावत को चरितार्थ करते हैं कि आँख के अंधे, गाँठ के पूरे।
14. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे = दोषी व्यक्ति ही निर्दोष को डाँटने लगे।
एक तो मेरे रुपये लौटाते नहीं हो और ऊपर से पुलिस को बुलाने की धमकी देते हो। यह भी खूब रही उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।
15. ऊँची दुकान फीका पकवान = दिखावा अधिक, पर भीतर से खोखला।
सेठ रामदयाल की दानवीरता के चर्चे सुनकर हम अपनी संस्था के लिए चंदा माँगने गए तो उन्होंने मात्र पाचस रुपये में टरका दिया। सच है – ऊँची दुकान फीका पकवान।
16. एक अनार सौ बीमार = चीज कम, पर चाहने वाले अधिक।
गाँव भर में डॉक्टर एक है और मरीज हर घर में। एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है।
17. एक पंथ दो काज = एक ही उपाय से दो लाभ।
ऑफिस के काम से कानपुर जा रहा हुँ, वहाँ बड़े भाई साहब से भी मिल लूँगा – एक पंथ दो काज हो जाएँगे।
18. ओस चाटे प्यास नहीं बुझती = बड़े काम के लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता होती है।
कारखाना लगाना चाहते हो और वह भी चार-पाँच हजार रुपयों में, ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।
19. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर = कठिन काम को करने में कष्ट सहने पड़ते हैं।
जब तुमने समाज-सेवा करने की ठान ही ली है तो छोटे-मोटे कष्टों से क्या घबराना, जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर।
20. कंगाली में आटा गीला = एक कष्ट पर दूसरा कष्ट। – एक तो बेरोजगारी से मैं वैसे ही परेशान था, उस पर चोरी ने मेरे लिए तो कंगाली में आटा गीला करने वाली बात कर दी।
21. का वर्षा जब कृषि सुखाने – अवसर बीत जाने पर सहायता व्यर्थ है।
जब मुझे रुपयों की आवश्यकता थी तब आपने दिए नहीं, अब मैं इन रुपयों का क्या करूँ? का वर्षा जब कृषि सुखाने।
22. काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती = बेईमानी बार-बार नहीं फलती।
मसालों में मिलावट करके रतनलाल कई बार ग्राहकों को ठग चुका था, अब की बार रंगे हाथं पकड़ा गया। आखिर काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।
23. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली = दो व्यक्तियों की प्रतिष्ठा में जमीन-आसमान का अंतर।
मात्र दो कहानियाँ लिखकर अपनी तुलना प्रेमचंद से करते हो – अरे, कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली।
24. खग ही जाने खग की भाषा = साथी ही साथी का स्वभाव जानता है।
मेरी अपेक्षा तुम ही भूपेश से बात करो, वह तुम्हारा दोस्त भी है। ठीक है न, खग ही जाने खग की भाषा।
25. खोवा पहाड़ निकली चुहिया – अधिक मेहनत करने पर कम फल मिलना।
सारा दिन मेहनत करने पर मजदूरी मात्र पचास रुपये मिली, सोचा था कि सौ रुपये मिलेंगे। यह तो वही हुआ खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
26. गंगा गए तो गंगादास, जमुना गए तो जमुनादास अवसरवादी होना।
तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास किया जाए, तुम एक बात पर तो टिकते नहीं। तुम्हारे लिए ही किसी ने कहा है – गंगा गए तो गंगादास, जमुना गए तो जमुनादास।
27. घर की मुर्गी दाल बराबर = घर की चीज की कद्र नहीं होती।
तुम्हारे बड़े भाई साहब खुद एक वकील हैं और तुम सलाह लेने दूसरों के पास जाते हो। यह तो वही बात हुई घर की मुर्गी दाल बराबर।
28. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए = बहुत कंजूस होना। मोहनलाल एक सप्ताह से बीमार है, पर खर्चे के कारण डॉक्टर को नहीं बुलाना चाहता। उसके लिए तो चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए वाली बात लागू होती है।
29. दाल-भात में मूसरचंद्य – बीच में टाँग अड़ाने वाला। हम अपना झगड़ा खुद सुलझा रहे थे कि कमल ने बीच में आकर दाल-भात में मूसरचंद वाली बात कर दी।
30. दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम = संशय के कारण दोनों तरफ से हानि।
बेटे को या तो दुकान पर बिठा लो या पढ़ाई पूरी करने दो, वरना उसकी हालत भी ‘दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम’ वाली हो जाएगी।
31. नौ नकद न तेरह उधार = काफी उधार देने के स्थान पर थोड़ा नकद अच्छा है।
अगले महीने तीन हजार देने के वायदे से अच्छा है कि अभी दो हजार दे दो, नौ नकद न तेरह उधार।
32. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी = झगड़े की जड़ ही नष्ट कर देना।
अगर दोनों परिवारों के बीच झगड़ा इस पेड़ को ही लेकर है तो इसे काट डालो या बेच दो, न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।
33. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद = अयोग्य को किसी गुणवान की पहचान नहीं होती।
तुमने कभी कश्मीर के सेब खाए हैं जो उन्हें खट्टा बता रहे हो – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
34. भागते चोर की लंगोटी भली = सब कुछ नष्ट होता देख, कुछ बचा लेना अच्छा है।
किरायेदार एक साल का किराया दिए बिना ही भाग गया, मगर गिखी पड़े जेवर छोड़ गया। मैंने सोचा-भागते चोर की लंगोटी भली।
35. साँप भी मर जऐ और लाठी भी न दूटे = ऐसी युक्ति, जिससे काम भी बन जाए और हानि भी न हो। उस पहलवान से सीधे क्यों लड़ते हो, कोई ऐसी युक्ति निकालो कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।