CBSE Class 6 Hindi Vyakaran सर्वनाम
‘सर्वनाम’ का शाब्दिक अर्थ है-सर्व (सब) का नाम। व्याकरण में सर्वनाम ऐसे शब्दों को कहते हैं, जिनका प्रयोग सब प्रकार के नामों (संज्ञाओं) के लिए अथवा उनके स्थान पर हो सके। सर्वनामों का सबसे अधिक प्रयोग वाक्यों में एक ही संज्ञा को बार-बार उसी रूप में आने से बचाने के लिए होता है।
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
स्वाति एक परिश्रमी लड़की है। स्वाति प्रतिदिन स्कूल जाती है। स्वाति की छोटी बहन दिव्या है। स्वाति के पिताजी इंजीनियर हैं। स्वाति सबकी मदद करती है। स्वाति को सभी प्रेम करते हैं।
उपर्युक्त गद्यांश में स्वाति का नाम छह बार आया है। बार-बार वही नाम लिखना या बोलना अटपटा-सा लगता है। इसे ठीक नहीं माना जाता है। इसे इंस प्रकार लिखा जाना चाहिए-
स्वाति एक परिश्रमी लड़की है। वह प्रतिदिन स्कूल जाती है। उसकी छोटी बहन दिव्या है। उसके पिताजी इंजीनियर हैं। वह सबकी मदद करती है। उसको सभी प्रेम करते हैं।
इस ‘गद्यांश में ‘स्वाति’ नाम केवल पहले वाक्य में ही आया है। इसके बाद के वाक्यों में उसके लिए-वह, उसकी, उसके, उसको-का प्रयोग हुआ है। ‘स्वाति’ संज्ञा है और उसके स्थान पर प्रयुक्त होने वाले ये शब्द सर्वनाम हैं।
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द ‘सर्वनाम’ कहलाते हैं।
मुख्य सर्वनाम शब्द हैं-मैं, हम, तुम, तू, वह, वे, कौन, कोई, क्या आदि।
सर्वनाम के भेद (Kinds of Pronoun)
- पुरुषावाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
1. पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronoun) :
जो सर्वनाम शब्द किसी पुरुष के नाम के बदले प्रयुक्त किया जाए उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसमें वक्ता अपने लिए, सुनने वाले के लिए और अन्य किसी के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, वे पुरुषवाचक सर्वनाम होते हैं। इस प्रकार पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं-
(क) उत्तम पुरुष (First Person)-वक्ता/लेखक अपने नाम के स्थान पर जिस सर्वनाम का प्रयोग करता है, उसे उत्तम पुरुष कहते हैं। जैसे – मैं, हम और इनके रूप।
(ख) मध्यम पुरुष (Second Person)-जो सर्वनाम सुनने वाले के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, उन्हें मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे-तू. तुम, आप और इनके रूप।
(ग) अन्य पुरुष (Third Person)-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले और सुनने वाले व्यक्ति के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाए, उन्हें अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे-वह, वे, उसे, उसका, उनका, उनके आदि।
समझो :
आदर के अर्थ में प्रयुक्त ‘आप’ प्रायः मध्यम पुरुष के लिए आता है; जैसे-आप, इधर बैठिए। किंतु कभी-कभी यह अन्य पुरुष के लिए भी प्रयुक्त होता है; जैसे-महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं। आपका (उनका) जन्म पोरबंदर में हुआ था।
‘आप’ का प्रयोग सदा बहुवचन में होता है।
‘तू’ (मध्यम पुरुष एकवचन) का विशेष प्रयोग-
1. प्यार-दुलार और अति आत्मीयता दिखाने में होता है।
2. निरादर या हीनता दिखाने में होता है।
सामान्य व्यवहार में श्रोता/पाठक के लिए ‘तुम’ का ही प्रयोग होता है।
2. निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative Pronoun) :
जिस सर्वनाम से दूरवर्ती या समीपवर्ती व्यक्तियों, प्राणियों, वस्तुओं और घटना-व्यापारों का बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
दूरवर्ती के लिए – वह – वह रहा मेरा मकान।
समीपवर्ती के लिए – यह – इन पुस्तकों में मेरी यह है।
समझो :
रूप-रचना की दृष्टि से: अन्य पुरुष और निश्चयवाचक में कोई भेद नहीं है। दोनों में एक समान ‘यह, वह’ का प्रयोग होता है।
निश्चयवाचक सर्वनाम में पास अथवा दूर की वस्तुओं के लिए संकेत किया जाता है, अतः इसे संकेतवाचक सर्वनाम भी कहते हैं।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite Pronoun) :
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति, प्राणी या वस्तु का बोध नहीं होता है, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। ऐसी स्थिति तब आती है जब किसी व्यक्ति आदि का आभास तो आपको है कितु उसके संज्ञा-नाम के संबंध में निश्चित नहीं हैं। ऐसी दशा में व्यक्ति के लिए कोई और अप्राणी के लिए कुछ का प्रयोग करते हैं।
जैसे-
- कोई दरवाजा खटखटा रहा है।
- दूध में कुछ पड़ा है।
- मोहन का कुछ खो गया है।
4. प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun) :
जिस सर्वनाम से किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु आदि के विषय में प्रश्न का बोध होता है, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। ये हैं-कौन और क्या।
किसी व्यक्ति/प्राणी के विषय में प्रश्न करने के लिए ‘कौन’ का प्रयोग करते हैं। ‘क्या’ का प्रयोग किसी वस्तु के लिए करते हैं।
जैसे-
- देखो, कौन आया है?
- घर पर कौन रुकेगा?
- खाने में आप क्या लेंगे?
- दूध में क्या पड़ा है?
‘कौन-सा’ का प्रयोग अप्राणियों के साथ भी होता है, जैसे-
यहाँ कई कमरे हैं, आप कौन-सा पसंद करोगे?
5. संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun) :
मिश्र वाक्य की रचना में जिस सर्वनाम से अन्य उपवाक्य में आई संज्ञा/सर्वनाम से संबंध स्थापित होता है, उसे संबंध वाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-जो, जिसका आदि।
1. मेरी वह कलम खो गई जो मुझे जन्मदिन पर मिली थी।
2. यह मेरा वह मित्र है जो अमेरिका गया हुआ था।
3. यह वही फिल्म है जिसे तुम देखना चाहते थे।
4. जो करेगा, सो भरेगा।
5. जैसी करनी, वैसी भरनी।
6. निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun) :
जो सर्वनाम निज के लिए अर्थात् स्वयं अपने लिए प्रयुक्त होता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसके संबंधवाची रूप अपना, अपनी, अपने हैं।
जैसे-
1. मैं आप (स्वयं) आ जाऊँगा।
2. मैं अपना काम आप करता हूँ।
3. मैं आप ही बोले जा रहा था।
‘आप’ शब्द का प्रयोग पुरुषवाचक (आदरसूचक) तथा निजसूचक, दोनों प्रकार के सर्वनामों के रूप में किया जाता है। जैसे-
1. आप कृपया बैठिए। (पुरुषवाचक सर्वनाम)
2. यह समस्या मैं आप ही हल करूँगा। (निजवाचक सर्वनाम) कुछ सर्वनाम पुनरावृत्ति के रूप में आकर अर्थ में विशेषता ला देते हैं।
जैसे-
- जो-जो आता जाए, खाना खाता जाए।
- किस-किस से पूछते रहोगे?
- उत्सव में कौन-कौन आया था?
- तुमने क्या-क्या बनाया है?
जानने योग्य कुछ महत्त्वपूर्ण बातें
सर्वनामों के रूपों में वचन और संबंध कारक के कारण ही परिवर्तन होता है।
लिग-भेद से केवलु संबंध कारक में ही परिवर्तन होता है, अन्य सर्वनामों में लिंग संबंधी विकार नहीं आता।
सर्वनाम के लिग का ज्ञान उनके क्रिया-रूपों में होता है।
सर्वनाम जिस संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होता है, लिंग-वचन उसी के अनुसार होते हैं।
सर्वनाम में संबोधन कारक नहीं होता; क्योंकि किसी को सर्वनाम द्वारा नहीं पुकारा जाता।
सर्वनाम का प्रयोग एकवचन और बहुवचन दोनों में होता है।
सर्वनाम की विभक्तियाँ शब्दों से मिलाकर लिखी जाती हैं, जैसे; मैंने, मुझसे, उसको आदि।
मैं, हम, तुम के साथ का, के, की, की जगह रा, रे, री का प्रयोग किया जाता है; जैसे-मेरा, मेरी, मेरे, तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी, हमारा।
आदरार्थ संज्ञा शब्दों के लिए सर्वनाम भी आदरार्थ बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; जैसे- मेरे पिताजी बाहर गए हैं। वे आते ही होंगे। महादेवी जी आई तो थीं, पर वे रुकी नहीं।.
अधिकार/अभिमान प्रकट करने के लिए ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ का प्रयोग चल पड़ा है, जैसे-चुप रहिए, अन्यथा हमें कठोर कार्यवाही करनी होगी।
मुझ, हम, तुझ, तुम, इन, उन, किस, किन में निश्चयार्थी (ही) के योग से क्रमशः मुझी, हमीं, तुझी, तुम्हीं, इन्हीं, उन्ही, किसी, किन्हीं आदि निश्चयार्थी रूप बनते हैं।
कोई और कुछ के बहुवचन रूप किन्हीं और कुछ बनते हैं।
एकवचन कुछ परिणामबोधक है और बहुवचन कुछ संख्याबोधक है।
कभी-कभी दो सर्वनाम संयुक्त रूप होकर भी प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
जो + कोई → जो कोई-जो कोई पढ़ेगा, पास हो जाएगा।
जो + कुछ → जो कुछ-जो कुछ लाए हो, निकालकर रख दो।
सर्वनाम पुनरुक्त रूप में भी प्रयोग होते हैं; जैसे-कौन-कौन आए हैं? किस-किससे लड़ोगे? क्या-क्या खरीद लाए?