CBSE Class 6 Hindi Vyakaran विराम-चिह्न
हम बातचीत के समय बीच-बीच में दूसरों को अपनी बात समझाने के लिए या किसी कथन पर बल देने के लिए रुकते हैं। इससे कथन का आशय स्पष्ट करने में सहायता मिलती है।
भाषा के लिखित रूप में भी रुकने अथवा विराम के लिए कुछ संकेत चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन चिह्नों को विराम-चिह्न कहते हैं।
इन चिह्नों के प्रयोग से भाषा की अभिव्यक्ति में स्पष्टता आती है और वही कथन प्रभावपूर्ण बन जाता है। उच्चारण की सुविधा की दृष्टि से भी विराम-चिहन आवश्यक हैं। इनका प्रयोग बलाघात और अनुतान में भी सहायता करता है।
निम्नलिखित वाक्यों में विराम-चिह्न की स्थिति बदलने पर अर्थ-परिवर्तन पर ध्यान दीजिए-
1. रोको, मां जाने दो।
2. रोको मत, जाने दो।
हिंदी के प्रमुख विराम-चिह्न :
आइए, अब इनके सही प्रयोग के बारे में जानें-
1. पूर्ण विराम (Full Stop) (।) – इस चिहन का प्रयोग सरल, मिश्र और संयुक्त सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में (प्रश्नवाचक और विस्मयवाचक वाक्यों को छोड़कर) किया जाता है; जैसे-
1. राकेश स्कूल जाता है।
2. मेरा दृढ़ मत है कि आतंकवाद शीघ्र समाप्त होगा।
3. प्रातःकाल होता है और लोगों की चहल-पहल शुरू हो जाती है।
अप्रत्यक्ष प्रश्न के अंत में भी पूर्ण विराम लगाते हैं; जैसे-
1. आपने बताया नहीं कि आप कहाँ जा रहे हैं।
2. तुम्हें क्या बताऊँ कि मैं क्या चाहता हूँ।
हिंदी में दोहा, सोरठा, चौपाई आदि छंदों के पहले चरण के अंत में एक पूर्ण विराम (।) तथा दूसरे चरण के अंत में दो पूर्ण विराम (।।) लगाते हैं। जैसे-
निज दुख गिरि सम रज कर जाना।
मित्रक दुख रज मेहु समाना।।
2. अर्धविराम (Semi Colon) (;) – पूर्ण विराम से कम देर ठहरने के लिए अर्धविराम का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग कुछ सीमित स्थितियों में ही होता है; जैसे-
समानाधिकरण उपवाक्यों के बीच में, जैसे-
गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन का शंख बजाया; सत्य और अहिंसा के अस्त्र दिए; देश को स्वतंत्र कराया।
मिश्र और संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोधपूर्ण कथन करने वाले उपवाक्यों के बीच में; जैसे-
जो उसे गालियाँ देते हैं; वह उन्हें अपना प्यार देता है।
कारणवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य के बीच में-
तुम्हारे दबाव से एक व्यक्ति भी नहीं टूट सकता; क्योंकि तुम्हारा पक्ष असत्य पर टिका है।
विभिन्न उपवाक्यों पर अधिक जोर देने के लिए-
निरंतर बढ़ते रहना ही जीवन है; आलस्य मौत है।
किसी वाक्य में उदाहरणसूचक ‘जैसे’ से पहले-
वाक्य के अंत में पूर्ण विराम लगाते हैं; जैसे-वह पुस्तक पढ़ता है।
3. अल्प विराम (Comma) (,) – अल्प विराम का प्रयोग वाक्य के मध्य में अर्धविराम से कम समय रुकने के लिए किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है-
समानपदी शब्दों को अलग करने के लिए; जैसे-
ब्रजेश अपनी संपत्ति, भूमि, प्रतिष्ठा और मान-मर्यादा सब खो बैठा।
‘हाँ’ या ‘नहीं’ के पश्चात्; जैसे-
हाँ, पढ़ सकता हूँ। नहीं, यह काम नहीं हो सकता।
वाक्यांश/उपवाक्य को अलग करने के लिए-
विज्ञान का पाठ्यक्रम बदल जाने से, मैं समझता हूँ, परीक्षा परिणाम गिरेगा।
उपाधियों को अलग करने के लिए-
एम.ए., पी-एच.डी.’, डी.लिट्।
उद्धरण से पूर्व-
राम ने कहा, “मैं सदा सत्य बोलूँगा।”
एक ही शब्द/शब्दांश की पुनरावृत्ति होने पर-
दौड़ो, दौड़ो, आग लग गई।
महीने की तारीख और सन् को अलग करने के लिए; जैसे-
15 अगस्त, 1947
शब्द-युग्मों में अलगाव दिखाने के लिए; जैसे-
पाप और पुण्य, सच और झूठ, रात और दिन
समानाधिकरण शब्द/पदबंध उपवाक्य के बीच में-
1. रविमोहन के पुत्र, सचिन पधारे हैं।
2. सवेरा हुआ, सूरज निकला, पक्षी चहचहाने लगे।
जब विशेषण उपवाक्य मध्य में आ जाए-
वह लड़का, जिसे कल पढ़ाया था, आज परीक्षा देने गया है।
संबोधन शब्द के बाद, यदि संबोधन शब्द मध्य में हो तो उसके पूर्व तथा बाद् में-
1. भाइयो, मैं आपका कल्याण चाहता हूँ।
2. यहाँ आओ, रमा, मेरी बात सुनो।
पत्र में अभिवादन और समापन में-
पूज्य पिताजी, भवदीय.
4. प्रश्नवाचक चिह्न (Sign of Interrogation) ( ?) : प्रश्नसूचक चिह्न मुख्य रूप से निम्नलिखित स्थानों पर आता है :
प्रश्नवाचक वाक्य के अंत में-
तुम कब आए?
संदेह या अनिश्चय प्रकट करने के लिए संदेह स्थल पर कोष्ठक में-
क्या कहा, वह निष्ठावान (?) है।
जब एक ही वाक्य में कई प्रश्नवाचक उपवाक्य हों, तब प्रत्येक उपवाक्य के अंत में अल्प विराम का प्रयोग कर सबसे अंत में प्रश्नसूचक चिहन लगाते हैं; जैसे-
मैं क्या करता हूँ, मैं कहाँ जाता हूँ, मैं क्या खाता हूँ, यह सब जानने के लिए आप उत्सुक क्यों हैं?
5. विस्मयवाचक चिहू (Sign of Exclamation) (!) – विस्मय (आश्चर्य), घुणा, प्रसन्नता आदि मनोभावों को प्रकट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ-
- अरे! वह चली गई। (आश्चर्य)
- अहा!’वह मिठाई लाया है। (प्रसन्नता)
- हाय! बेचारा मारा गया। (शोक)
- छि: छि:! कितने गंदे स्थान पर रहते हो। (घृणा)
प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में मनोवेग प्रदर्शित करने के लिए-
बोलते क्यों नहीं, क्या गूँगे हो!
संबोधन के लिए-
1. रवि! इधर आओ!
2. भाइयो और बहनो! मेरी बात सुनो।
6. योजक या विभाजक (Hyphen) (-) – इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है-
तत्पुरुष तथा द्वंद्व समास के पदों के मध्य-
प्रयोग-स्थल, राज-पुत्र, सुख-दुख, दाल-रोटी।
तुलनावाचक सा, सी, से के पहले-
चाँद-सा मुख, हाथी-सी चाल, तुम-से बच्चे।
मध्य के अर्थ में-
अंगद-रावण संवाद, राम-रावण युद्ध
द्वित्व और शब्द-युग्म में-
कभी-कभी, घट-घट, रग-रग, उठते-गिरते, खाते-पीते
अक्षरों में लिखी जाने वाली संख्याओं के बीच में-
एक-चौथाई, एक-तिहाई
7. निर्देशक (Dash) (-) – यह चिहन योजक से बड़ा होता है। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है-
किसी के वाक्यों का उद्धृत करने से पूर्व-
अध्यापक-भारत को राष्ट्रपति कौन हैं?
कहना, लिखना, बोलना, बताना आदि क्रियाओं के बाद-
रजनी ने कहा-मैं कल जाऊँगी।
निम्नलिखित/निम्नांकित शब्दों के बाद-
उनके विवरण निम्नलिखित हैं-
संवादो/वार्तालापों में नाम के बाद-
1. नीलम-क्या मुझे यहाँ रहना पड़ेगा?
2. गोविंद-क्यों, यहाँ रहने में क्या बुराई है?
निक्षिप्त पदों के आगे-पीछे-
1. छायावाद के प्रवर्तक-श्री जयशंकर प्रसाद-की कविताओं ने धूम मचाई।
2. स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी-भगत सिंह को कौन नहीं जानता।
किसी शब्द/वाक्यांश की व्याख्या करने के लिए-
परिश्रम से ही सब कुछ प्राप्त हो सकता है-धन-दौलत, सुख, यश, प्रतिष्ठा।
8. अवतरण या उद्धरण चिहून (Inverted Commas) (“…..”) – इनका प्रयोग निम्नलिखित स्थलों पर होता है-
किसी व्यक्ति के कथन को मूल रूप में उद्धृत करने के लिए-
महात्मी गांधी ने कहा, “सत्य ही ईश्वर है।”
किसी पुस्तक या लिखित सामग्री से कुछ अंश मूल रूप में उद्धृत करते समय-
अर्थशास्त्र कहता है, “आवश्यकता आविष्कार की जननी है।”
किसी व्यक्ति, उपनांस, पुस्तक का नाम भी इकहरे उद्धरण चिहन में लिखा जाता है-
1. ‘साकेत’ एक महाकाव्य है।
2. रामधारी सिंह ‘दिनकर’।
3. ये पंक्तियाँ निराला जी की कविता ‘भिक्षुक’ से अवतरित हैं।
9. विवरण चिह्न (Sign of Follwing) (:-) – वाक्यांशों के विषय में कुछ सूचना, निर्देश आदि देने के लिए विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
संज्ञा के मुख्य भेद तीन हैं-व्यक्तिवाचक, जातिवाचक और भाववाचक।
10. कोष्ठक (Bracket) ([ ])-कोष्ठक के भीतर मुख्यतः उस सामग्री को रखते हैं जो मुख्य वाक्य का अंग होते हुए भी पृथक् की जा सकती है। जैसे
1. संज्ञा के तीनों भेदों (व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक) के उदाहरण दीजिए।
2. कालिदास (संस्कृत के महाकवि) को सभी जानते हैं।
– किसी कठिन शब्द को स्पष्ट करने के लिए, जैसे-
लौकिक (सांसारिक) सुखों के पीछे मत भागो।
क्रमसूचक अंकों/अक्षरों ‘के साथ-
(क), (ख), (10), (12)
11. हंसपद (Sign of Left Out) -लिखते समय जब कोई अंश शेष रह जाता है तो इस चिह्न को लगाकर उस शब्द को ऊपर लिख दिया जाता है; जैसे-
तुमसे ही
1. मैंने हले कह दिया था।
2. श्री भारती जी समारोह के Λ विशिष्ट अतिथि थे।
12. संक्षेपसूचक/लाघव चिहन (Sign of Abbreviation) (०) – किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप लिखने के लिए इस चिहन का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
अर्जित अवकाश-अ०अ०
कृपया पृष्ठ उलटिए-कृ॰पृ॰उ०
डॉक्टर-डॉ० बी०ए०
संवत्-सं० एम०ए०
मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट-एम०पी०