CBSE Class 6 Hindi Vyakaran विशेषण
संज्ञा की विशेषता बताने वाले शब्दों को ‘विशेषण’ कहते हैं।
जिस शब्द की विशेषता बताई जाती है उसे ‘विशेष्य’ कहा जाता है।
जैसे- काला घोड़ा।
इसमें काला-विशेषण है।
घोड़ा-विशेष्य है।
कभी-कभी विशेष्य के अनुसार विशेषण के लिंग-वचन बदल जाते हैं। जैसे-
- अच्छा लड़का
- अच्छे लडके
- अच्छी लड़की
- अच्छी लड़कियाँ
विशेषण के भेद (Kinds of Adjective)
- गुणवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- परिमाणवाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण
1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)-जो विशेषण शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थिति आदि की विशेषता का बोध कराए, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-
- लंबी सड़क, ताजा आम, सच्ची बात, हरे पत्ते आदि।
- यह विशेषण कई प्रकार की विशेषताओं का बोधक हो सकता है-
- गुणबोधक : अच्छ, बुरा, सुन्दर, लाल, शिष्ट आदि।
- कालबोधक : पुराना, नया, दैनिक, वार्षिक आदि।
- स्थानबोधक : बनारसी, लखनवी, राष्ट्रीय, देसी आदि।
- दिशाबोधक : पूर्वी, पश्चिमी, भीतरी, बाहरी आदि।
- आकारबोधक : लंबा, विशाल, चौकोर, चौड़ा आदि।
- स्वादबोधक : खट्टा, मीठा, कड़वा, नमकीन आदि।
2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)-जो विशेषण किसी संज्ञा की संख्या या क्रम का बोध कराए, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-चार केले, पाँचवां व्यक्ति।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं-
(क) निश्चित संख्यावाचक-इनसे निश्चित संख्या का बोध होता है।
जैसे-दुस पुस्तकें, तीसरा बालक।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक-इनसे निश्चित संख्या का बोध नहीं होता।
जैसे-कुछ लोग, थोड़े आदमी।
3. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)-नाप-तोल बताने वाले विशेषण परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे-चार मीटर कपड़ा, दो किलो चीनी।
परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद हो सकते हैं-
(क) निश्चित परिमाणवाचक-इसमें निश्चित मात्रा का ज्ञान होता है।
जैसे-तीन लीटर दूध. दर्जन केले।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक-इसमें निश्चित मात्रा का ज्ञान नहीं होता।
जैसे-थोड़ा दूध,
कुछ फल।
4. सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)-जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते है, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-
1. यह पुस्तक मेरी है।
2. कोई आदमी रो रहा है।
ऐसे विशेषण तीन प्रकार के होते हैं-
(क) सर्वनाम से बने-जैसे-‘कौन’ सर्वनाम से सार्वनामिक विशेषण हैं-कैसे, कितना, कितने।
(ख) मूल सर्वनाम का विशेषण के रूप में प्रयोग-इन्हें संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं। ये सदा संज्ञा से पहले आते हैं। जैसे-
यह पुस्तक, वे लोग।
(ग) सर्वनाम के संबंधकारकीय रूप-जैसे-
‘मैं’ से ‘मेरा’, ‘तुम’ से ‘तुम्हारा’, ‘वह’ से ‘उसका’, ‘हम’ से ‘हमारा’
विशेषणों की रचना (Formation of Adjectives) :
2. सर्वनाम शब्दों से विशेषण बनाना
3. क्रिया शब्बों से विशेषण बनाना
4. अव्यय शब्दों से विशेष्षण बनाना
विशेषणों की तुलना (Degress of Comparison)
विशेषणों की तुलना की तीन अवस्थाएँ होती हैं-
1. मूलावस्था (Positive Degree)-इसमें सामान्य रूप से गुण कथन होता है।
जैसे-वह एक अच्छा व्यक्ति है।
2. उत्तरावस्था (Comparative Degree)-इसमें दो की तुलना करते हुए एक को दूसरे से अच्छा या बुरा बताया जाता है।
जैसे-राम मोहन से अच्छा है।
3. उत्तमावस्था (Superlative Degree)-इसमें दो से अधिक व्यक्तियों/वस्तुओं की तुलना करके एक को सबसे अच्छा या बुरा बताया जाता है। जैसे-
राम सबसे अच्छा लड़का है।
हिंदी में तुलनात्मक विशेषता बताने के लिए विशेषण शब्दों में ‘तर’ तथा ‘तम’ प्रत्यय लगाए जाते हैं।
उदाहरण-
प्रविशेषण (Pre-Adjective) :
जो शब्द विशेषण की भी विशेषता बताता है, उसे प्रविशेषण कहते हैं। जैसे-
1. रानी ने गहरी नीली साड़ी पहनी है।
2. वह बालक बहुत सुंदर है।
3. यह सामाचार अत्यंत दुखदायी है।
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर
जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, वे सर्वनाम कहलाते हैं और जो सर्वनाम संज्ञा से पहले लगकर विशेषण का काम करते हैं, वे सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण-