We are offering Deepakam Class 6 Sanskrit Book Solutions and CBSE Class 6 Sanskrit व्याकरणम् क्रियापदानि धातुरूपाणि च can be used by students as a reference during their preparation.
CBSE Class 6 Sanskrit Grammar क्रियापदानि धातुरूपाणि च
(क) क्रिया पद
क्रिया पद वे शब्द होते हैं जो क्रिया का बोध कराते हैं। प्रत्येक वाक्य में एक क्रिया पद होता है। प्रत्येक क्रिया पद धातु से बनता है और क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।
अधोदत्तानि वाक्यानि अवलोकयत्-
- स: पठति। – वह पढ़ता है।
- त्वम् खेलसि। – तुम खेलते / खेलती हो।
- अहम् खादामि। – मैं खाता / खाती हूँ।
- बालकाः हसन्ति। – बालक हँसते हैं।
- सिंहा: गर्जन्ति। – शेर गरजते हैं।
ऊपर लिखे वाक्यों में स्थूल शब्द क्रिया पद हैं।
(ख) धातु
क्रिंया के मूल रूप को धातु कहते हैं, जैसे – अस् $ = $ होना, भू $ = $ होना, कृ $ = $ करना, आदि। अस्, भू तथा कृ आदिक्त अस्ति, भवति तथा करोति, आदि क्रियाओं के मूल रूप हैं।
धातुओं के भेद
धातुओं के दो भेद हैं-
(1) सकर्मक धातु – जिसमें फल और व्यापार अलग-अलग होते हैं, उसे सकर्मक धातु कहते हैं, जैसे-राम: वनं गच्छति $ = $ राम वन को जाता है। यहाँ जाना रूप व्यापार राम में है और उसका फल ‘वन-संयोग’ वन में है। अत: गम् धातु सकर्मक है।
(2) अकर्मक धातु-जहाँ फल और व्यापार एक ही में रहें, उसको अकर्मक धातु कहते हैं, जैसे – बालकः हसति $ = $ बालक हैसता है। यहाँ हैससना, व्यापार और उसका फल दोनों एक ही बालक में हैं, अतः हस् अकर्मक धातु है। उठना, बैठना, सोना, जागना, जीना, मरना, रहना, उहरना, डरना, आदि अर्थ वाली धातुएँ अकर्मक होती हैं।
उदाहरण-
(क) सकर्मक धातुएँ-गम् (जाना), पठ् (पढ़ना), रक्ष (रक्षा करना), पा (पीना), खाद् (खाना), दृश् (देखना), लिख् ( लिखना), कृ (करना), आदि।
(ख) अकर्मक धातुएँ-अस् (होना), भू (होना), हस् (हँसना), स्था (ठहरना), वस् (रहना), उपविश् (बैठना), आदि।
(ग) गण
संस्कृत में सब धातुओं को भिन्न-भिन्न समूहों में बाँटा गया है, उन समूहों को गण कहते हैं तथा उन गणों के नाम उस गण की पहली धातु के नाम पर रखे गए हैं। सब गणों का अलग-अलग चिह्न होता है, उसे विकरण कहते हैं। कुल मिलाकर दस गण हैं। चार गणों के उदाहरण दिए जा रहे हैं।
- जिस गण में भू, आदि धातुएँ हैं, उस गण को भ्वादिगण कहते हैं, जैसे-भ, गम्, पठ्, आदि।
- जिस गण में दिव्, आदि धातुएँ हैं, उस गण को दिवादिगण कहते हैं, जैसे-दिव्, बिद्, आदि।
- जिस गण में तुद, आदि धातुएँ हैं, उस गण को तुदादिगण कहते हैं, जैसे-तुद्, लिख्रै, आदि।
- जिस गण में चुर, आदि धातुएँ हैं, उस गण को चुरादिगण कहते हैं, जैसे-चुर, गण, आदि।
धातु-क्रिया पद-तालिका
लकार-परिचय:
(काल-विचार 🙂
विभिन्न कालों तथा अवस्थाओं को लकार कहते हैं।
लकार के भेद
वर्तमान काल को लट् लकार कहते हैं। भूतकाल को लड् लकार कहते हैं। भविष्यत् काल को लृट् लकार कहते हैं। पद् धातु के वर्तमानकाल, भूतकाल व भविष्यत्काल के प्रथम पुरुष, एकवचन में अलग-अलग रूप निर्नलिखित हैं-
लकार-तालिका
इसी प्रकार कुछ प्रसिद्ध धातुओं के विविध लकारों में निम्नलिखित रूप होते है-
कर्ता और क्रिया का मेल
अभ्यास प्रश्ना:
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां लकारे परिवर्तनं कुरुत- (1 × 5 = 5)
(i) बाला किं करिष्यति ? (लट् लकारे)
(ii) तौ खादतः। (लुट् लकारे)
(iii) त्वं लेखिष्यसि। (लट् लकारे)
(iv) छत्र: गच्छति। (लूद् लकारे)
(v) नृप: वसति। (लङ् लकारे)
उत्तराणि :
(i) बाला किं करोति?
(ii) तौ खादिघ्यत:
(iii) त्वं लिखसि।
(iv) छात्र: गमिष्यति।
(v) नृपः अवसत्।
प्रश्न 2.
अधोलिखितानां लकारे परिवर्तनं कुरूत- (1 × 5 = 5)
(i) रामः खादति। (लृट् लकारे)
(ii) बालकाः गमिष्यन्ति। (लट् लकारे)
(iii) अहं पठामि। (लुट् लकारे)
(iv) युवां धाविष्यथः। (लट् लकारे)
(v) त्वं पठिष्यसि। (लट् लकारे)
उत्तराणि :
(i) राम: खादिष्य्यति।
(ii) बालकाः गच्छन्ति।
(iii) अहं पठिष्यामि।
(iv) युवां धावथः।
(v) त्वं पर्ठसि।
प्रश्न 3.
अधोलिखितानां लकारे परिवर्तनं कुरुत (1 × 5 = 5)
(i) स: विद्यालये पठति। (लुद् लकारे)
(ii) छत्राः किं करिष्यन्ति ? (लट् लकारे)
(iii) ते गृहे तिष्ठन्ति। (लुट् लकारे)
(iv) तत्र किम् अस्ति ? (लृट् लकारे)
(v) त्वं भोजनं खादसि।
उत्तराणि :
(i) स: विद्यालये पठिष्यति।
(ii) छत्रा: किं कुर्वन्ति।
(iii) ते गृहे स्थास्यन्ति।
(iv) तत्र किं भविष्यति ?
(v) त्वं भोजनं खादिष्यसि।
प्रश्न 4.
अधोलिखितानां लकारे परिवर्तन कुरुत (1 × 5 = 5)
(i) खगाः उत्पतन्ति। (लृट् लकारे)
(ii) तौ नमत:। (लृट् लकारे)
(iii) कदा गृहम् आगमिष्यथ ? (लट् लकारे)
(iv) स: निर्धनः युवकः आसीत्। (लृट् लकारे)
(v) माता भोजनम् पचति। (लृट् लकारे)
उत्तराणि :
(i) खगाः उत्पत्तिष्यन्ति।
(ii) तौ नस्यतः।
(iii) कदा गृहम् आगच्छथ ?
(iv) स: निर्धनः युवक: भविष्यति।
(v) माता भोजनम् पक्ष्यति।
प्रश्न 5.
अधोलिखिताना लकारे परिवर्तनं कुरूत (1 × 5 = 5)
(i) अहं किं दृष्ष्यामि ? (लट् लकारे)
(ii) प्रणव: उद्याने भ्रमति। (लृट् लकारे)
(iii) तत्र किम् अस्ति। (लृट् लकारे)
(iv) स: ग्रामं गमिप्यति। (लट् लकारे)
(v) बालिका पठति। (लृद् लकारे)
उत्तराणि :
(i) अहं किं पश्यामि।
(ii) प्रणवः उद्याने भ्रमिष्यति।
(iii) तत्र किं भविष्यति ?
(iv) स: ग्रामं गच्छति।
(v) बालिका पठिष्यति।
प्रश्न 6.
अधोलिखितानां लकारे परिवर्तनं कुरूत (1 × 5 = 5)
(i) कृषकाः खनन्ति। (लृट् लकारे)
(ii) सा गमिष्यति। (लट् लकारे)
(iii) त्वं पुस्तक पठसि। (लट् लकारे)
(iv) यूयं कुत्र गमिष्यथ ? (लृद् लकारे)
(v) बालिका पठिष्यति। (लट् लकारे)
उत्तराणि :
(i) कृषकाः खनिष्यन्ति।
(ii) सा गच्छति।
(iii) त्वं पुस्तकं पठिष्यसि।
(iv) यूयं कुत्र गच्छथ ?
(v) बालिका पटति।
प्रश्न 7.
निद्देशानुसारं लकारे परिवर्तर्न कुरुत- (1 × 5 = 5)
यथा-विनोद: लेखं लिखति। (लृट् लकारे) विनोद: लेखं लेखिप्यति।
उत्तराणि :
(i) पतिष्यन्ति।
(ii) सन्ति।
(iii) करिष्यामि।
(iv) पशव: सन्ति।
(v) प्रचुरं धनं प्राप्स्यामि।
प्रश्न 8.
निर्देशानुसारं लकारे परिवर्तनं कुरूत- (1 × 5 = 5)
यथा- अजीज: परिश्रमी आसीत्-
उत्तराणि :
(i) अहं शिक्षकाय धनं दास्यामि।
(ii) परिश्रमी जन: धनं प्राप्नोति।
(iii) स्वामी उच्चैः अवदत्।
(iv) अजीजः पेटिकां ग्रहीष्यति।
(v) त्वम् उच्चै: पठ।