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CBSE Class 6 Sanskrit Grammar संज्ञा, सर्वनाम व शब्द-रूपाणि तथा वाक्यप्रयोगः
(क) संज्ञा शब्द-रूपाणि
अधोदत्तानि वाक्यानि अवलोकयत।
(i) छात्र: पठति। – छात्र पढ़ता है।
(ii) अध्यापिका छात्रम् वदति। – अध्यापिका छात्र को कहती है।
(iii) एष: छात्रस्य कलम:। – यह छात्र की कलम है।
उपर्युक्त वाक्यों में स्थूलाक्षरों में आए शब्द ‘छात्र:, छात्रम्, छात्रस्य’ मूल शब्द ‘छात्र’ के विभिन्न रूप हैं। वाक्य-प्रयोग के अनुसार मूल शब्द में अन्तर आ गया है।
हम हिन्दी भाषा में ने, को, के लिए का, में, पर, आदि परसर्गों का प्रयोग करते हैं; जैसे – ‘छात्र ने ‘ ‘छात्र को’ , ‘छात्र के लिए’, ‘छात्र का’ इ़त्यादि। ये परसर्ग शब्द से पृथक् रहते हैं, किन्तु संस्कृत भाषा में उसी अर्थ को दर्शाने के लिए विभिन्न शब्द रूपों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरणत:-‘छात्र को’ इस अर्थ को दर्शाने के लिए ‘छात्रम्’ केवल एक शब्द प्रयोग में आता है। इसी प्रकार ‘छात्र का’ के अर्थ में ‘छात्रस्य’ केवल एक ही शब्द प्रयुक्त होता है।
अवधेयम्-संस्कृत भाषा में कोई भी शब्द अपने मूल रूप में वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता है। वाक्य प्रयोग के समय उसमें रूपान्तर आता है। इसी को शब्द रूप कहते हैं।
यथा-
छात्र: – एक छात्र
छात्रम् – छात्र को
छात्रेण – छात्र द्वारा
छात्राय – छात्र के लिए
छात्रात् – छात्र से
छात्रस्य – छात्र का/के/की
छात्रे – छात्र में/पर
ये सब ‘ छात्र’ शब्द के एकवचन के रूप हैं। छात्र शब्द पुल्लिङ्ञ है। यह अकारान्त शब्द है। बालक, अध्यापक, जनक, वृक्ष, पादप, वानर, सिंह, गज, शुक, मयूर, आदि सभी अकारान्त पुल्लिङ्भ शब्दों के रूप इसी प्रकार होते हैं।
अकारान्त पुल्लिड्गु शब्द:
बालक-अकारान्त पुल्लिड्ग
वाक्य-प्रयोग-
- बालकः खेलति। – बच्चा खेलता है।
- अम्बा बालकम् पश्यति। – माँ बच्चे को देखती है।
- बालकः बालकेन सह खेलति। – बच्चा बच्चे के साथ खेलता है।
- अम्बा बालकाय कन्दुकम् यच्छति। – माँ बच्चे को गेंद देती है।
- एष: बालकस्य कन्दुक:। – यह बालक की गेंद है।
- कन्दुक: बालके पतति। – गेंद बच्चे पर गिरती है।
गज-अकारान्त पुल्लिड्ग
वाक्य-प्रयोग-
- गजः शनै: शनै: चलति। – हाथी धीरे-धीरे चलता है।
- बालकाः गजम् पश्यन्ति। – बच्चे हाथी को देखते हैं।
- हस्तिपक: गजेन सह चलति। – महावत हाथी के साथ चलता है।
- स: गजाय कदलीफलानि आनयति। – वह हाथी के लिए केले लाता है।
- स: गजात् पतति। – वह हाथी से गिरता है।
- गजानां समूह: गच्छति। – हाथियों का झुण्ड जाता है।
- गजे बालकाः तिष्ठन्ति। – हाथी पर बच्चे बैठे हैं।
अकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्द:
अधोदत्तानि वाक्यानि अवलोकयत।
- पत्राणि वृक्षात् पतन्ति।
- उद्याने पुष्पाणि विकसन्ति।
- एतत् मम पुस्तकम्।
- एतत् मम गृहम्।
- आम्रफलम् मधुरम् अस्ति।
उपरिलिखित वाक्यों में पत्राणि, पुष्पाणि, पुस्तकम्, गृहम्, आम्रफलम् नपुंसकलिङ्भ शब्द हैं। यहाँ मूल शब्द क्रमशः पत्र, पुष्प, पुस्तक, गृह, आम्रफल हैं, जो अकारान्त हैं।
फल-अकारान्त नपुंसकलिंड़ु
पत्र, पुष्प, गृह, वस्त्र, पुस्तक, क्षेत्र, धन, कमल, आम्र, आदि अकारान्त (नपुंसकलिङ्ग) शब्दों के रूप भी फल की भाँति होते हैं। अवधेयम्-नपुंसकलिङ्भ शब्दों के रूप प्रथमा तथा द्वितीया में एकसमान होते हैं।
आकारान्त स्त्रीलिङ़ शब्द:
बालिका (लड़की) – आकारान्त स्त्रीलिड्ग
वाक्य-प्रयोग-
- बालिका नृत्यति। – लड़की/बालिका नाचती है।
- अहम् बालिकाम् पश्यामि। – मैं लड़की को देखता हूँ।
- बालिका बालिकाभिः सह नृत्यति। – लड़की लड़कियों के साथ नाचती है।
- प्रधानाचार्या बालिकायै पारितोषिकम् यच्छति। – प्रधानाचार्या लड़की को पुरस्कार देती है।
- एतत् बालिकायाः गृहम्। – यह लड़की का घर है।
- एष: बालिकानाम् विद्यालयः। – यह लड़कियों का विद्यालय है।
बाला , माला, लता, शाखा, वाटिका, अध्यापिका, पाठशाला, मञ्जूषा, आदि आकारान्त (स्त्रीलिङ्भ) शब्दों के रूप भी ‘बालिका’ की भाँति होते हैं।
इकारान्त-पुल्लिङ्ग शब्द कवि (कवि)
(इसी प्रकार मुनि, रवि, हरि, कपि, आदि इकारांत पुल्लिग शब्दों के रूप होते हैं।)
उकारान्त-पुल्लिङ्ग श़ब्द साधु (साधु)
(इस प्रकार शिशु, गुरु, विष्णु, इत्यादि उकारांत पुल्लिङ्भ शब्दों के रूप होते हैं।)
(ख) सर्वनाम शब्द-रूपाणि तथा वाक्य प्रयोग:
अधोदत्तानि वाक्यांनि अवलोकयत।
(i) विभा पठति। सा न लिखति।
(ii) अरविन्द: लिखति। सः न पठति।
(iii) तत् फलम् मधुरम्।
(iv) एष: वृक्षः।
(v) एषा वाटिका।
(vi) एतत् फलम्।
उपर्युक्त वाक्यों में स्थूल अक्षरों में आए शब्द सर्वनाम हैं।
सर्वनाम वे शब्द होते हैं जो संज्ञा के स्थान पर अथवा संज्ञा के साथ प्रयोग में लाए जाते हैं।
अवधेयम्-संस्कृत में सर्वनाम शब्द का पूर्व निर्धारित लिङ्भ नहीं होता है। सर्वनाम शब्द जिस शब्द के साथ प्रयुक्त होता है वह उसी लिङ्भ का बन जाता है। अत: सर्वनाम शब्दों के रूप तीनों लिङ्भों में चलते हैं।
तत्, एतत्, किम् सर्वनाम हैं। नीचे इनके रूप दिए गए हैं।
तत् (वह)-पुल्लिड्गम्
वाक्य-प्रयोग-
तत् (वह) – स्त्रीलिङ्ग
तत् (वह) – नपुंसकलिङ्ग
एतत् (यह) – पुल्लिङ्ग
एतत् (यह) – स्त्रीलिङ्ग
एतत् (यह) – नपुंसकलिङ्ग
अस्मद् (मैं)
युष्मद् (तू, तुम)
किम् (कौन) -पुल्लिङ्गम्
प्रश्न-निर्माणम्
किम् (कौन) – स्त्रीलिङ्गम्
किम् (क्या) – नपुंसकलिड्गम्
अम्यास प्रश्ना:
प्रश्न 1.
सः, तौ, ते इत्येतेभ्यः उचितं सर्वनामपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) ते
(ii) तौ
(iii) ते
(iv) स:
(v) ते।
प्रश्न 2.
सा, ते, ताः इत्येतेभ्य: उचितं सर्वनामपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) ता:
(ii) सा
(iii) ते
(iv) ता:
(v) ते।
प्रश्न 3.
कोष्ठकात् उचितं शब्दं चित्वा वाक्यं पूरयत- (1 × 5 = 5)
यथा-बालिका पठति। (बालिका/बालिकाः)
(क) ……………. चरतः। (अजा/अजे)
(ख) ……………. सन्ति। (द्विचक्रिके/द्विचक्रिका:)
(ग) ……………. चलति। (नौके/नौका)
(घ) ……………. अस्ति। (सूचिके/सूचिका)
(ङ) ……………. उत्पतन्ति। (मक्षिका:/मक्षिके)
उत्तराणि :
(क) अजे
(ख) द्विचक्रिका:
(ग) नौका
(घ) सूचिका
(ङ) मक्षिका:।
प्रश्न 4.
प्रथमाविभक्ते: (आकारान्त-पुल्लिङ्ग) उदाहरणं दृष्ट्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) अश्वौ,
(ii) सिंहा:,
(iii) मूषक:,
(iv) शिक्षकौ,
(v) दीपकाः।
प्रश्न 5.
‘स:’, ‘तौ’, ‘ते’ (पुल्लिङ्गेभ्यः) इत्येतेभ्यः उचितं सर्वनामपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) स:, तौ, ते।
(ii) सः, तौ, ते।
(iii) स:, तौ, ते।
(iv) स:, तौ, ते।
(v) सा, ते, ताः।
प्रश्न 6.
आकारान्त स्त्रीलिड्गपदानां उदाहरणं दृष्ट्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) छात्रे
(ii) शिक्षिका:
(iii) माला
(iv) प्रयोगशाले
(v) चटकाः।
प्रश्न 7.
उचितपदं विचित्य रिक्तस्थानानि पूरयत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) छात्रा:
(ii) ते
(iii) बालिका
(iv) सा
(v) ताः।
प्रश्न 8.
स्त्रीलिड्गरूपं लिखत- (1 × 5 = 5)
उत्तराणि :
(i) शिक्षिका
(ii) वृद्धा
(iii) नायिका
(iv) गायिका
(v) छात्रा।