CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium Paper 3 is part of CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium . Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium Paper 3
CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium Paper 3
Board | CBSE |
Class | X |
Subject | Science |
Sample Paper Set | Paper 3 |
Category | CBSE Sample Papers |
Students who are going to appear for CBSE Class 10 Examinations are advised to practice the CBSE sample papers given here which is designed as per the latest Syllabus and marking scheme as prescribed by the CBSE is given here. Paper 3 of Solved CBSE Sample Papers for Class 10 Science in Hindi Medium is given below with free PDF download solutions.
समय : 3 घण्टे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र के दो भाग, A व B हैं। आप को दोनों भाग करने हैं।
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- भाग A के सभी प्रश्न एक साथ करने हैं तथा भाग B के सभी प्रश्न एक साथ करने हैं।
- भाग A के प्रश्न सं० 1 व 2 एक अंक के हैं। इनका उत्तर एक शब्द अथवा एक वाक्य में लिखना है।
- प्रश्न सं० 3 से 5 तक दो अंक के हैं। इनका उत्तर 30 शब्दों में (प्रत्येक प्रश्न के लिए) लिखिए।
- प्रश्न सं० 6 से 15 तक तीन अंक के हैं। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 50 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न सं० 16 से 21 तक पाँच अंक के हैं। इनमें से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 70 शब्दों में लिखिए।
- भाग B के प्रश्न सं० 22 से 27 तक प्रयोगात्मक कौशल पर आधारित हैं। प्रत्येक प्रश्न दो अंक का है।
SECTION A
प्र०1.
मेंडल के एक प्रयोग में बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधों का संकरण सफेद फूलों वाले मटर के पौधों से कराया गया। F1 संतति में क्या परिणाम प्राप्त होंगे?
प्र०2.
जल विद्युत संयंत्र में होने वाले ऊर्जा-रूपान्तरण लिखिए।
प्र०3.
कोई यौगिक ‘X’ आधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443 K पर गर्म करने पर कोई असंतृप्त | यौगिक ‘Y’ बनाता है। यौगिक ‘X’ सोडियम धातु से भी अभिक्रिया करता है जिसमें कोई रंगहीन गैस ‘Z’ निकलती है। ‘X’, ‘Y’ तथा ‘Z’ को पहचानिए। ‘Y’ उत्पन्न होने की रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण भी लिखिए तथा इसमें सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की भूमिका का उल्लेख भी कीजिए।
प्र०4.
(a) मानवों में पाए जाने वाले एक रस संवेदी ग्राही तथा एक घ्राणग्राही का नाम लिखिए।
(b) नीचे दिए गए न्यूरॉन के प्रवाह आरेख, जिसमें सूचना विद्युत आवेग के रूप में गमन करती है,को अपनी उत्तर पुस्तिका पर खींचकर इसमें a और b का नाम लिखिए।
प्र०5.
यदि किसी गोलीय दर्पण द्वारा उसके सामने रखे बिम्ब की किसी भी स्थिति के लिए सदैव ही बिम्ब का सीधा और साइज़ में छोटा प्रतिबिम्ब बनता है, तो यह दर्पण किस प्रकार का है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए नामांकित किरण आरेख खींचिए।
प्र०6.
वियोजन (अपघटन) अभिक्रियाओं में अभिकारकों को तोड़ने के लिए या तो ऊष्मा अथवा प्रकाश अथवा विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। प्रत्येक प्रकार की वियोजन अभिक्रिया, जिसमें ऊष्मा, प्रकाश और विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है, के लिए एक-एक रासायनिक समीकरण लिखिए।
प्र०7.
किसी परखनली में दानेदार जिंक के कुछ टुकड़े लेकर उसमें 2 mL सोडियम हाइड्रॉक्साइड का विलयन डाला गया। परखनली की सामग्री को गर्म करने पर कोई गैस उत्सर्जित हुई जिसका परीक्षण करने से पूर्व उसे साबुन के विलयन से प्रवाहित किया गया जिसमें गैस के बुलबुल बने। होने वाली अभिक्रिया का समीकरण तथा इस गैस के संसूचन के लिए परीक्षण लिखिए। यदि यही धातु किसी प्रबल अम्ल के तनु विलयन से अभिक्रिया करे, तो जो गैस उत्सर्जित होगी उसका नाम लिखिए।
अथवा
पकौड़ों को स्वादिष्ट और खस्ता बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी लवण का pH मान 9 है। इस लवण को पहचानिए तथा इसके निर्माण के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए। इसके दो उपयोगों की सूची बनाइए।
प्र०8.
(a) कार्बन के अधिकांश यौगिक विद्युत के कुचालक क्यों होते हैं?
(b) किसी ऐसे संतृप्त यौगिक का नाम और उसकी संरचना दीजिए जिसमें कार्बन परमाणु वलय के रूप में व्यवस्थित होते हैं। इस यौगिक में उपस्थित एकल आबन्धों की संख्या लिखिए।
प्र०9.
निम्नलिखित अन्तःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित हॉर्मोनों का नाम तथा प्रत्येक का एक प्रकार्य लिखिए।
(a) अवटु ग्रंथि
(b) पीयूष ग्रंथि
(c) अग्न्याशय
प्र०10.
अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन के बीच एक अन्तर लिखिए। अलैंगिक जनन करने वाली अथवा लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज़ में से किसके द्वारा जनित स्पीशीज़ की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग हो सकते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
प्र०11.
प्रकाश के अपवर्तन के नियम लिखिए। पद “किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक” की व्याख्या कीजिए और इस पद तथा निर्वात में प्रकाश की चाल के बीच के संबंध को दर्शाने के लिए व्यंजक लिखिए।
अथवा
किसी लेंस की क्षमता से क्या तात्पर्य है? इसका SI मात्रक लिखिए। कोई छात्र 40 cm फोकस दूरी का लेंस उपयोग कर रहा है तथा कोई अन्य छात्र -20 cm फोकस दूरी का लेंस उपयोग कर रहा है। इन दोनों लेंसों की प्रकृति और क्षमता लिखिए।
प्र०12.
यह दर्शाइए कि तीन प्रतिरोधकों, जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 9Ω है, को आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन को तुल्य प्रतिरोध
(i) 13.5 Ω,
(ii) 6 Ω प्राप्त हो?
अथवा
(a) जूल का तापन नियम लिखिए।
(b) दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 V तथा दूसरे का 60 W; 220 V है, किसी विद्युत मेन्स के साथ पाश्र्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है, तो दोनों बल्बों द्वारा विद्युत मेन्स से कितनी धारा ली जाती है?
प्र०13.
(a) किसी चालक, जिसकी आकृति तार जैसी है, का प्रतिरोध जिन कारकों पर निर्भर करता है, उनकी सूची बनाइए।
(b) धातुएँ विद्युत की अच्छी चालक तथा काँच विद्युत का कुचालक क्यों होता है? कारण दीजिए।
(c) विद्युत तापन युक्तियों में सामान्यतः मिश्रधातुओं का उपयोग क्यों किया जाता है? कारण दीजिए।
प्र०14.
किसी विद्यालय के छात्रों ने प्रातः कालीन सभा में यह समाचार सुना कि दिल्ली में कूड़े का कोई पर्वत अचानक फट गया और कई गाड़ियाँ उस मलबे में दब गयीं। कुछ लोग भी जख्मी हो गए और हर ओर ट्रैफिक जाम हो गया। शिक्षक महोदय ने बौद्धिक सत्र में भी इसी विषय पर चर्चा की तथा छात्रों से कूड़े की समस्या का हल खोजने के लिए कहा। अन्ततः छात्रों ने दो बिन्दुओं का निष्कर्ष निकालापहला यह है कि जो कूड़ा हम उत्पन्न करते हैं उसका प्रबन्धन हम स्वयं करें, तथा दूसरा यह कि निजी स्तर पर हम कम कूड़ा उत्पन्न करें।
(a) जो कूड़ा हम उत्पन्न करते हैं उसके प्रबन्धन के दो उपाय सुझाइए।
(b) निजी तौर पर, कम से कम कूड़ा उत्पन्न करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? दो बिंदु दीजिए।
प्र०15.
बांध क्या होता है? हम बड़े बांध क्यों बनाना चाहते हैं? बड़े बांधों का निर्माण करते समय किन तीन समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों में शांति बनी रहे, उनका उल्लेख कीजिए।
प्र०16.
(a) सक्रियता श्रेणी के मध्य की धातु के कार्बोनेट अयस्कों से शुद्ध धातुओं के निष्कर्षण की विधि के चरणों को लिखिए।
(b) कॉपर (तांबे) के सल्फाइड अयस्क से कॉपर का निष्कर्षण किस प्रकार किया जाता है? निष्कर्षण के विभिन्न चरणों की व्याख्या रासायनिक समीकरणों सहित कीजिए। कॉपर के विद्युत अपघटनी परिष्करण का नामांकित आरेख खींचिए।
प्र०17.
(a) आधुनिक आवर्त सारणी का विकास डॉबेराइनर, न्यूलैण्ड तथा मेण्डेलीफ के प्रांरभिक प्रयासों के कारण हो पाया है। इन तीनों प्रयासों की एक-एक उपलब्धि और एक-एक सीमा की सूची बनाइए।
(b) उस वैज्ञानिक का नाम लिखिए जिसने सर्वप्रथम यह दर्शाया कि किसी तत्त्व की परमाणु संख्या उसके परमाणु द्रव्यमान की तुलना में अधिक आधारभूत गुणधर्म है।
(c) आधुनिक आवर्त नियम लिखिए।
प्र०18.
(a) रुधिर के किन्हीं दो अवयवों का उल्लेख कीजिए।
(b) शरीर में ऑक्सीजन-प्रचुर रुधिर के गमन का पथ लिखिए।
(c) आलिन्द और निलय के बीच वाल्वों का कार्य लिखिए।
(d) धमनी और शिरा के संघटनों के बीच कोई एक संरचनात्मक अन्तर लिखिए।
अथवा
(a) उत्सर्जन की परिभाषा लिखिए।
(b) वृक्क में उपस्थित आधारी निस्पंदन एकक का नाम लिखिए।
(c) मानव के उत्सर्जन तंत्र को आरेख खींचिए और उस, पर उत्सर्जन तंत्र के उस भाग का नामांकन कीजिए
(i) जो मूत्र तैयार करता है।
(ii) जो लम्बी नलिका है और वृक्क से मूत्र संचित करती है।
(iii) जिसमें मूत्र त्यागने तक मूत्र भण्डारित रहता है।
प्र०19.
(a) मानव मादा जनन तंत्र के नीचे दिए गए प्रत्येक भाग का कार्य लिखिए :
(i) अण्डाशय
(ii) अंडवाहिनी
(iii) गर्भाशय
(b) प्लैसेन्टा की संरचना और कार्य का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
प्र०20.
(a) कोई छात्र लगभग 3 m दूरी पर स्थित श्यामपट्ट पर लिखे अक्षरों को स्पष्ट नहीं देख पाता। यह छात्र जिस दृष्टि-दोष से पीड़ित है उसका नाम लिखिए। इस दोष के संभावित कारण लिखिए और इसके संशोधन की विधि की व्याख्या कीजिए।
(b) तारे क्यों टिमटिमाते हैं? व्याख्या कीजिए।
अथवा
(a) मानव नेत्र के नीचे दिए गए प्रत्येक भाग का कार्य लिखिए :
(i) पुतली
(ii) परितारिका
(iii) क्रिस्टलीय लेंस
(iv) पक्ष्माभी पेशियाँ
(b) प्रातःकाल सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है? क्या कोई अंतरिक्षयात्री इस परिघटना का प्रेक्षण चन्द्रमा पर भी कर सकता है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
प्र०21.
(a) फ्लेमिंग को वाम हस्त नियम लिखिए।
(b) विद्युत मोटर का कार्यकारी सिद्धान्त लिखिए।
(c) विद्युत मोटर के नीचे दिए गए भागों का कार्य लिखिए।
(i) आर्मेचर
(ii) बुश
(iii) विभक्त वलय
SECTION B
प्र०22.
किसी छात्र ने दो परखनलियों A और B में लिए गए आयरन सल्फेट तथा कॉपर सल्फेट के जलीय विलयनों में ऐलुमिनियम धातु के कुछ टुकड़े डाले। प्रयोग के दूसरे भाग में उसने C और D परखनलियों में क्रमशः लिए गए ऐलुमिनियम सल्फेट और कॉपर सल्फेट के जलीय विलयनों में आयरन धातु के टुकड़े डाले। किस अथवा किन परखनलियों में उस छात्र को रंग में परिवर्तन दिखाई देगा? इस प्रयोग के आधार पर उल्लेख कीजिए कि कौन-सी धातु सर्वाधिक अभिक्रियाशील है और क्यों।
प्र०23.
क्या प्रेक्षण किया जाता है जब किसी परखनली में लिए गए बेरियम क्लोराइड के विलयन में सोडियम सल्फेट विलयन मिलाया जाता है? सम्मिलित रासायनिक अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण तथा इस प्रकरण में होने वाली अभिक्रिया के प्रकार का नाम लिखिए।
प्र०24.
किसी पत्ती के छिलके में रंध्रों को प्रेक्षण करने के लिए अस्थायी आरोपण तैयार करने की प्रक्रिया के चरणों की सूची बनाइए।
प्र०25.
अमीबा के जनन की प्रक्रिया का नाम लिखिए। इसके जनन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को उचित क्रम में चित्रित कीजिए।
अथवा
कोई छात्र यीस्ट में मुकुलन द्वारा अलैंगिक जनन के विभिन्न चरणों की स्थायी स्लाइड की सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रेक्षण कर रहा है। वह स्लाइड में जो कुछ प्रेक्षण करता है उसे आरेख खींचकर (क्रमवार) दर्शाइए।
प्र०26.
4.0 cm ऊँचाई का कोई बिम्ब 20 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ से 30 cm दूरी पर स्थित है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति और साइज़ ज्ञात करने के किरण आरेख खींचिए। इस आरेख में प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ तथा मुख्य फोकस ‘F’ अंकित कीजिए। प्रतिबिम्ब की ऊँचाई और बिम्ब की ऊँचाई का लगभग अनुपात भी ज्ञात कीजिए।
प्र०27.
किसी प्रतिरोधक, जिसका प्रतिरोध (R) है, से प्रवाहित विद्युत धारा (I) और उसके सिरों के बीच तदनुरूपी विभवान्तर (NV) के मान नीचे दिए गए अनुसार हैं :
धारा (I) और विभवान्तर (V) के बीच ग्राफ खींचिए और प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
Answers
उत्तर 1-
मेंडल के प्रयोगानुसार जब बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधों का संकरण सफेद फूलों वाले मटर के , पौधों से करवाया जाएगा तो F, संतति में सभी बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधे प्राप्त होंगे।
उत्तर 2-
जल विद्युत संयंत्र में, पानी की स्थितिज ऊर्जा का पहले गतिज ऊर्जा में रूपांतरण होता है, फिर इस गतिज ऊर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में होता है।
उत्तर 3-
‘X’ यौगिक एथेनॉल (C2H5OH) है।
‘Y’ यौगिक एथीन (CH2= CH2) गैस है।
‘Z’, H2 गैस है।
इस अभिक्रिया में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल, उत्पादित जल अणुओं को अवशोषित करता है अर्थात् यह एक निर्जलीकारक के रूप में कार्य करता है।
उत्तर 4-
(a) रस संवेदी ग्राही जिह्वा पर होती है तथा यह स्वाद का पता लगाती है।
घ्राणग्राही हमारे नाक में उपस्थित होता है तथा यह गंध का पता लगाता है।
(b)
उत्तर 5-
• यह दर्पण एक उत्तल दर्पण है।।
• उत्तल दर्पण द्वारा किरण आरेख :
उत्तर 6-
(i) ऊष्मा द्वारा वियोजन अभिक्रिया-कैल्सियम कार्बोनेट को गर्म करने पर वह कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन-डाइआक्सॉइड में वियोजित हो जाता है।
(ii) प्रकाश द्वारा वियोजन अभिक्रिया-प्रकाश की उपस्थिति में सिल्वर क्लोराइड का सिल्वर तथा क्लोरीन में वियोजन हो जाता है।
(iii) विद्युत ऊर्जा द्वारा वियोजन अभिक्रिया-अम्लीकृत जल में विद्युत धारा को प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन तथा आक्सीजन गैस में वियोजन होता है।
उत्तर 7-
जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड के विलयन को दानेदार जिंक के साथ गर्म किया जाता है तो सोडियम जिंकेट और हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।
H2 गैस के संसूचन के लिए परीक्षण : H2 गैस को जब जलाते हैं, तो यह फट-फट की ध्वनि करते हुए जलती है।
जिक धातु, तनु अम्ल के विलयन के साथ अभिक्रिया करने पर, H2 गैस उत्पादित करती है।
अथवा
पकौड़ों को स्वादिष्ट तथा खस्ता बनाने के लिए बेकिंग सोडा या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट लवण (NaHCO3) का उपयोग किया जाता है।
लवण के निर्माण का रासायनिक समीकरण :
इस लवण के दो उपयोग :
(i) इसका उपयोग, धावन सोडा के निर्माण में किया जाता है।
(ii) इसका उपयोग आग बुझाने के संयंत्र में किया जाता है।
उत्तर 8-
(a) कार्बन यौगिकों के अणुओं में सहसंयोजी बंध होते हैं इसलिए ये अणु अपने आयनों के रूप में विघटित नहीं होते, जिस कारण कार्बन के अधिकांश यौगिक विद्युत धारा के कुचालक होते हैं। (b) एक संतृप्त यौगिक जिसमें कार्बन वलय के रूप में व्यवस्थित होते हैं साइक्लो हैक्सेन कहलाता है।
इसके अणु में 18 एकल आबन्ध हैं।
उत्तर 9-
(a) अवटु ग्रंथि-इसके द्वारा थाइरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित होती है।
यह हॉर्मोन हमारे शरीर में प्रोटीन, वसा तथा स्टार्च आदि की उपापचय क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।
(b) पीयूष ग्रंथि-इसके द्वारा वृद्धि हॉर्मोन स्रावित होता है।
यह हॉर्मोन हमारे शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
(c) अग्न्याशय ग्रंथि-इसके द्वारा इंसुलिन हॉर्मोन स्रावित होता है।
यह हॉर्मोन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
उत्तर 10-
अलैंगिक जनन में केवल एक जनक भाग लेता है।
लैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों जनक भाग लेते हैं।
लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज़ द्वारा जनित स्पीशीज़ की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग होते हैं। क्योंकि लैंगिक जनन में दो प्रकार की जनन कोशिकाओं में डी०एन०ए० अणुओं की प्रतिकृति बनने के कारण, नई संतति में अधिक विभिन्नताएँ आती हैं, इसलिए उनमें उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग होते हैं।
उत्तर 11-
प्रकाश के अपवर्तन के नियम :
(i) पहला नियम-आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिंदु पर अभिलम्ब सभी एक ही तल में होते हैं।
(ii) दूसरा नियम-प्रकाश की किसी किरण द्वारा किन्हीं दो माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात स्थिर होता है। इस नियम को स्नेल का अपवर्तन का नियम भी कहते हैं।
\(\frac { sini }{ sinr }\) = स्थिरांक
किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक वायु में प्रकाश की चाल तथा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
अथवा
लेंस की क्षमता-किसी लेंस की फोकस दूरी के व्युत्क्रमानुपात को उस लेंस की क्षमता कहते हैं।
P(लेंस की क्षमता) = \(\frac { 1 }{ f }\)
इसका S.I. मात्रक डाइऑप्टर (D) है।
(i) लेंस की फोकस दूरी (f) = 40 cm = 0.4 m
इस लेंस की क्षमता (P) = \(\frac { 1 }{ 0.4 }\) = \(\frac { 10 }{ 4 }\) = + 2.5 D
प्रकृति-यह एक उत्तल लेंस है क्योंकि उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक (Positive) होती है।
(ii) इस लेंस की फोकस दूरी (f) = -20 cm = -0.2 m
इस लेंस की क्षमता (P) = \(\frac { 1 }{ -0.2 }\) = \(\frac { -10 }{ 2 }\) = -5.0D
प्रकृति-यह एक अवतल लेंस है क्योंकि अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक (Negative) होती है।
उत्तर 12-
(a) किसी प्रतिरोधक में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा दिए गए प्रतिरोधक (R) में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा (I) के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है एवं दी गई विद्युत धारा के लिए प्रतिरोध और उस समय (t) के अनुक्रमानुपाती होती है जिसके लिए दिए गए प्रतिरोध से विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इसे निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
H = I² Rt …[H = ऊष्मीय ऊर्जा; I = विद्युत धारा; R = प्रतिरोध; t = समय
(b) (i) पहले लैम्प के लिए :
उत्तर 13-
(a) किसी चालक तार का प्रतिरोध तीन कारकों पर निर्भर करता है :
(i) उस तार की लंबाई पर;
(ii) उसे तार की अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर; तथा
(iii) चालक तार को बनाने वाले पदार्थ की प्रकृति पर।
अतः चालक का प्रतिरोध (R) उसकी लम्बाई (l) के समानुपाती उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
∴R ∝ \(\frac { l }{ A }\) ∴ \(R=\frac { p\times l }{ A } \)
(b) धातुओं की वैद्युत प्रतिरोधकता बहुत कम होती है, इस लिए वे विद्युत के अच्छे चालक होते हैं, कांच की वैद्युत प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है, इस लिए कांच विद्युत का कुचालक होता है।
(c) मिश्रधातुओं का गलनांक ताप उच्च होता है जिस कारण इनका शीघ्र अपचयन नहीं होता तथा इनकी वैद्युत प्रतिरोधकता अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है। यही कारण है कि उनका उपयोग विद्युत तापन युक्तियों जैसे विद्युत इस्तरी, टोस्टर आदि बनाने में किया जाता है।
उत्तर 14-
(a) (i) जैव निम्नीकरणीय तथा जैव अनिम्नीकरणीय कूड़े को भिन्न-भिन्न कूड़ेदानों में एकत्रित करना।
(ii) कूड़े को खुले में न फेंक कर तथा कूड़े के उचित निपटान के प्रति लोगों को जागरूक करना।
(b) (i) प्लास्टिक, कागज़, काँच, धातु की बनी. वस्तुओं का पुनः चक्रण कर उसे उपयोगी वस्तुओं में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
(ii) घरों में प्लास्टिक की बोतलों, डिब्बों आदि का घरेलु वस्तुओं को रखने के लिए पुनः उपयोग करके।
उत्तर 15-
किसी नदी के जल को, ऊँचाई पर बहुत बड़े कुंड-रूपी संरचना में एकत्र करने की प्रक्रिया को बांध कहते है।
बड़े बाँध द्वारा जल सग्रहण पर्याप्त मात्रा में किया जा सकता है जिसका प्रयोग न केवल सिंचाई वरन् विद्युत का अधिक मात्रा में उत्पादन करने के लिए भी किया जाता है।
बड़े बांधों के निर्माण करते समय हमें निम्नलिखित समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए ।
(i) बांध बनाने के कारण विस्थापित हुए किसानों तथा आदिवासी लोगों को पुनः स्थापित करना।
(ii) बांध के निर्माण के समय होने वाले खर्च पर नियंत्रण रखना।।
(iii) बांध बनने से पर्यावरण का नुकसान कम से कम होना चाहिए।
उत्तर 16-
(a) धातु के कार्बोनेट अयस्कों से शुद्ध धातुओं के निष्कर्षण की विधि के चरण :
(i) पहले ज़िक कार्बोनेट अयस्क को निस्तापन क्रिया द्वारा जिंक ऑक्साइड यौगिक में बदला जाता है। जब जिंक कार्बोनेट को उच्च ताप पर वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है तो यह विघटित होकर जिंक ऑक्साइड तथा कार्बनडाइऑक्साइड बनाता है।
(ii) अब ज़िक ऑक्साइड को कार्बन (कोक) के साथ गर्म करने पर ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है, तथा ज़िक धातु प्राप्त हो जाती है।
(iii) अशुद्ध धातु से शुद्ध धातु प्राप्त करने लिए उसका विद्युत अपघटनी परिष्करण कर प्राप्त कर सकते है।
(b) ताँबे को उसके सल्फॉइड अयस्क Cu2S से प्राप्त किया जाता है। अयस्क का सांद्रण झाग प्लवन विधि द्वारा किया जाता है। फिर सांद्रित अयस्क का वायु में भर्जन किया जाता है। तब अयस्क कॉपर ऑक्साइड में बदल जाता है।
कॉपर ऑक्साइड को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है। इस रासायनिक अभिक्रिया के समय SO2 गैस उत्पन्न होती है जो प्राप्त हुए कॉपर के अंदर ही फंसी रह जाती है जिसके कारण कॉपर की सतह पर छाले जैसी संरचना दिखाई देती है।
कॉपर के विद्युत अपघटनी परिष्करण का नामांकित आरेख :
उत्तर 17-
(a) डॉबेराइनर की आवर्त सारणी :
उपलब्धि : डाबेराइनर ने सिद्ध किया कि मध्य वाले तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान, बाकी दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान के औसत के लगभग बराबर होता है।
सीमा : डाबेराइनर अपने समूहों में केवल 9 तत्त्वों को ही स्थान दे सका इसलिए त्रिक में वर्गीकृत करने की यह पद्धति सफल नहीं हुई।
न्यूलैण्ड की आवर्त सारणी :
उपलब्धि : न्यूलैण्ड ने तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के अनुसार रख कर पहली आवर्त सारणी बनाई।
सीमा : न्यूलैण्ड द्वारा निर्धारित तत्त्वों के Ca के बाद के तत्त्वों के गुण उन से ऊपर रखे तत्त्वों के गुणों से नहीं मिलते थे।
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी :
उपलब्धि : मेण्डलीफ ने अपने समय में खोजे गये सभी तत्त्वों को अपनी सारणी में उचित स्थान दिया, तथा बाद में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए रिक्त स्थान भी अपनी आवर्त सारणी में रख दिये थे ताकि सारणी में बिना किसी परिवर्तन के आसानी से उन्हें सम्मलित किया जा सके।
सीमा : मेण्डेलीफ ने एक ही तत्त्व के समस्थानिकों को, उनके परमाणु द्रव्यमान अलग-अलग होने के कारण, सारणी में भिन्न-भिन्न स्थान दिया था।
(b) हेनरी मोज्ले ने सर्वप्रथम यह दर्शाया कि किसी तत्त्व की परमाणु संख्या उसके परमाणु द्रव्यमान की तुलना में अधिक आधारभूत गुणधर्म है।
(c) आधुनिक आवर्त नियम-आधुनिक आवर्त सारणी यह वर्णित करती है कि ‘तत्त्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।’
उत्तर 18-
(a) रुधिर के दो अवयव हैं-
(i) तरल प्लाज्मा तथा
(ii) रक्त कोशिकाएँ।।
(b) ऑक्सीजन-प्रचुर रुधिर गमन का पथ ।।
फेफड़े → बांया आलिंद → बांया निलय → महाधमनी → धमनियाँ → विभिन्न अंग ।
(c) आलिन्द और निलय के बीच वाल्व, एक दरवाजे की तरह कार्य करते हैं। वे रक्त को आलिंद से निलय – की तरफ बहने देते हैं परंतु निलय से पुनः रक्त को आलिंद की तरफ नहीं बहने देते हैं।
(d) धमनियों की भित्ति मोटी होती है, जबकि शिराओं की भित्ति पतली होती है।
अथवा
(a) उत्सर्जन-शरीर में विभिन्न जैव प्रक्रियाओं में उत्पादित होने वाले हानिकारक तथा ज़हरीले उत्पादों को शरीर से बाहर निकालने के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं।
(b) वृक्क में उपस्थित आधारी निस्पंदन एकक का नाम वृक्काणु है।
(c) मानव उत्सर्जन तंत्र का आरेख :
उत्तर 19-
(a) (i) अण्डाशय-इसमें मादा जनन कोशिकाएँ बनती है तथा दो प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं-एस्ट्रोजन तभा प्रोजैस्टरॉन।
(ii) अण्डवाहिका-इस भाग में नर शुक्राणु द्वारा मादा अण्डाणु का निषेचन होता है तथा निषेचित अण्डाणुओं को गर्भाशय तक अण्डवाहिका द्वारा पहुँचाया जाता है।
(iii) गर्भाशय-मादा अण्डाणु के निषेचन के बाद वह गर्भ में भ्रूण के रूप में विकसित होने लगता है। यह भ्रूण फिर गर्भाशय के प्लेसेंटा पर स्थापित होकर पूर्ण बच्चे में विकसित होता है।
(b) गर्भस्थ भ्रूण माँ के रुधिर से अपना पोषण विशेष उत्तकों द्वारा बनी नलिका से प्राप्त करता है जिसे अपरा (प्लैसेन्टा) कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। प्लेसेन्टा माँ से भ्रूण को ग्लूकोज़, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानान्तरण हेतु एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करता है। विकासशील भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों को प्लेसेन्टा के माध्यम द्वारा माँ के रुधिर को भेजा जाता है। माँ के रुधिर से ये अपशिष्ट पदार्थ माँ के मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकलते हैं।
उत्तर 20-
(a) यह छात्र निकट दृष्टि-दोष से पीडित है।
इस दोष के सभांवित कारण :
(i) नेत्र गोलक का अधिक लम्बा हो जाना।।
(ii) आंख के लेंस की त्रिज्या का कम हो जाना अर्थात् लेंस का मोटा हो जाना।
इस दोष का संशोधन, उचित क्षमता वाले अवतल लेंस के उपयोग द्वारा किया जा सकता है।
(b) तारों को टिमटिमाना-किसी तारे का टिमटिमाना उसके प्रकाश के वायुमण्डलीय अपवर्तन के कारण होता है। तारे का प्रकाश पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करने पर पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक निरंतर अपवर्तित होता जाता है।
चूँकि वायुमंडल की विभिन्न परतों का घनत्व तथा अपवर्तनांक प्रति क्षण बदलता रहता है, अतः जब तारों से चलने वाला प्रकाश वायुमंडल में से होकर जाता है तो अपवर्तित किरणें अपना मार्ग बदलती रहती हैं। इस प्रकार एक निश्चित स्थिति में खड़े मनुष्य की आँख में प्रवेश करने वाली किरणों की संख्या बदलती रहती है। अधिक किरणों के प्रवेश करने पर तारे अधिक चमकदार होते हैं और हमें टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।
अथवा
(a) पुतली : यह नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
परितारिका : यह एक गहरा पेशीय डायाफ्राम होता है, जो प्रकाश की तीव्रता अनुसार पुतली के साइज़ को नियंत्रित करती है।
क्रिस्टलीय लेंस : यह लेंस विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं से आने वाली किरणों को रेटिना पर फोकसित करता है।
पक्ष्माभी पेशियाँ : ये पेशियाँ आँख के लेंस की फोकस दूरी को वस्तु की दूरी अनुसार परिवर्तित करती है, ताकि हर बार वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख की रेटिना पर ही बने।
(b) सूर्योदय के समय सूर्य क्षितिज के समीप होता है। क्षितिज के समीप स्थित सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों से होकर गुजरता है। क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग वायुमंडल के सूक्ष्म कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसलिए हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य अर्थात् लाल रंग का होता है। इससे सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।
कोई प्रेक्षक इस परिघटना की प्रेक्षण चंद्रमा पर नहीं कर सकता क्योंकि यह परिघटना सूर्य के प्रकाश की किरणों की वायुमंडल के कणों द्वारा प्रकीर्णन के कारण ही होती है और चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं होता।
उत्तर 21-
(a) फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम-इस नियमानुसार यदि हम अपने वाम (बांये) हस्त की प्रथम, मध्यमा उँगली तथा अंगूठे को परस्पर लम्बवत खींचें और यदि प्रथम उँगली, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताए, मध्यमा उँगली, विद्युत धारा की दिशा को बताए तो अंगूठी, चालक तार पर लगने वाले बल की दिशा को बताता है।
(b) विद्युत मोटर का सिंद्धात-जब एक आयताकार कुण्डली चालक को एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है और उसमें से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो आयताकार कुण्डली पर इस प्रकार बल लगता है। कि चालक कुण्डली अपने अक्ष पर चक्राकार घूमने लगती है। यह सिद्धांत फ्लेमिंग के वामहस्त नियम पर आधारित है। एक विद्युत मोटर कार्य करने के लिए इस प्रकार वैद्युत ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
(c) (i) आर्मेचर-वह नर्म लौह-क्रोड जिस पर कुण्डली को लपेटा जाता है, दोनों मिलकर आर्मेचर कहलाते हैं। इससे विद्युत मोटर की शक्ति अधिक हो जाती है।
(ii) बुश-चालक ब्रुशों द्वारा, बाहरी विद्युत परिपथ से कुण्डली में विद्युत धारों का प्रवाह होता है। 3
(iii) विभक्त वलय-विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है अर्थात् यह विद्युत परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित (आधे चक्र के बाद, विद्युत धारा की दिशा को बदलता है) करता है।
उत्तर 22-
A, B तथा D परखनलियों के विलयनों के रंगों में परिवर्तन होगा। A परखनली में आयरन सल्फेट विलयन का हरा रंग, रंगहीन हो जायेगा। B परखनली के विलयन का नीला रंग भी रंगहीन हो जायेगा क्योंकि दोनों परखनलियों में एल्युमिनियम सल्फेट बनेगा जिसका विलयन रंगहीन होता है। परखनली D के विलयन का रंग नीले से हरा हो जायेगा, ऐसा उसमें आयरन सल्फेट का विलयन बनने के कारण हुआ है। इनमें से एल्युमिनियम धातु सर्वाधिक अभिक्रियाशील है क्योंकि इसने आयरन तथा कॉपर दोनों धातुओं को उसके विलयनों से विस्थापित कर दिया है।
उत्तर 23-
बेरियम क्लोराइड के विलयन में सोडियम सल्फेट के विलयन को मिलाने पर, बेरियम सल्फेट के सफेद अवक्षेप प्राप्त होते हैं। यह द्विविस्थापन अभिक्रिया है।
उत्तर 24-
अस्थाई आरोपण तैयार करने की प्रक्रिया के चरण :
(i) पत्ती के निचले भाग को छिलका निकाल कर उसे पानी में एक पैट्री डिश में रख लें।
(ii) अब एक साफ स्लाइड लेकर उसके मध्य भाग पर ब्रुश की सहायता से पत्ती के छिलके को रखें।
(iii) पत्ती के छिलके पर एक बूंद मेथेलीन ब्लू (नील) की डालें।
(iv) अब पत्ती के छिलके पर एक बूंद ग्लिसरीन की डालें।
(v) अब पत्ती के छिलके पर धीरे-धीरे कवर स्लिप इस प्रकार रखें कि बीच में वायु के बुलबुले न आ सकें।
उत्तर 25-
अमीबा में द्विखण्डन विधि द्वारा जनन होता है।
अमीबा के जनन की प्रक्रिया का क्रमानुसार चित्र-देखें
अथवा
उत्तर 26-
दिया है : h1 = +4 cm; u = -30 cm; f = +20 cm
किरण आरेख :
उत्तर 27-
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