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सङ्ख्यागणना ननु सरला Sanskrit Class 6 Chapter 13 Question Answer NCERT Solutions
Sanskrit Class 6 Chapter 13 Question Answer सङ्ख्यागणना ननु सरला
प्रश्न 1.
पाठस्य आधारेण अधोलिखितानां प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तराणि लिखन्तु।
(क) कः एकः अस्ति?
(ख) कः षण्मुखदेवः अस्ति?
(ग) क: त्रिनयनमूर्तिः अस्ति?
(घ) का सरला अस्ति?
(ङ) के अतुलबलाः सन्ति?
उत्तराणि-
(क) सूर्य:
(ग) शंकर
(ङ) अष्टदिग्गजाः
(ख) कार्तिकेयः सुरसेनानि
(घ) संख्यागणना
प्रश्न 2.
उदाहरणानुगुणं शब्दानां पुरतः उचितां संख्यां लिखन्तु।
यथा- आकाशे १ सूर्यः विभाति। (१, २, ३, ४)
(क) मम हस्ते ___________________ अगुलयः सन्ति। (२, ५, ८, ७)
(ख) सप्ताहे ___________________ वासराः भवन्ति। (६, १०, ७, ५)
(ग) कार्तिकेयस्य ___________________ मुखानि सन्ति। (१, ६, १०, ३)
(घ) व्याकरणे ___________________ वचनानि सन्ति। (१०, ९, ३, ५)
(ङ) गगने ___________________ ग्रहाः सन्ति। (८, ७, ९, १०)
उत्तराणि-
(क) मम हस्ते 5(५) अङ्गुलयः सन्ति।
(ख) सप्ताहे 7(७) वासराः भवन्ति।
(ग) कार्तिकेयस्य 6(६) मुखानि सन्ति।
(घ) व्याकरणे 3(३) वचनानि सन्ति।
(ङ) गगने ग्रहाः 9(९) सन्ति।
प्रश्न 3.
उदाहरणानुसारं सङ्ख्यां सङ्ख्यापदं च लिखन्तु।
यथा- भवतः परिवारे कति जनाः सन्ति? ५, (पञ्च)।
(क) कति दिशः सन्ति? ___________, (___________)।
(ख) सप्ताहे कति वासराः भवन्ति? ___________, (___________)।
(ग) वर्षे कति मासाः भवन्ति? ___________, (___________)।
(घ) भवतः कति दन्ताः सन्ति? ___________, (___________)।
(ङ) स्वराः कति भवन्ति? ___________, (___________)।
उत्तराणि-
(क) कति दिशः सन्ति? 10, (दश)।
(ख) सप्ताहे कति वासरा: भवन्ति? 7, (सप्त)।
(ग) वर्षे कति मासाः भवन्ति? 12, (द्वादश)।
(घ) भवतः कति दन्ताः सन्ति? 32, (द्वात्रिंशत्)।
(ङ) स्वराः कति भवन्ति? 7, (सप्त)।
प्रश्न 4.
अधः प्रदत्तेन पदेन सह सङ्ख्यां योजयन्तु।
उत्तराणि-
अ | (ब) |
(क) पञ्च | 5 (५) |
(ख) एकम् | 1 (१) |
(ग) अष्ट | 8 (८) |
(घ) विंशति: | 20 (२०) |
(ङ) त्रयोदश | 13 (१३) |
प्रश्न 5.
उपस्थितिपत्रं पश्यन्तु। संख्यां वदन्तु लिखन्तु च।
(क) गणेशस्य उपस्थितिसंख्या का? ___________
(ख) सुभद्रायाः उपस्थितिसंख्या का? ___________
(ग) स्वयंप्रभायाः उपस्थितिसंख्या का? ___________
(घ) जगन्नाथस्य उपस्थितिसंख्या का? ___________
(ङ) गणेशस्य उपस्थितिसंख्या का? ___________
उत्तराणि-
(क) एकम्
(ख) नव
(ग) दश:
(घ) त्रीणि
(ङ) एकम्
प्रश्न 6.
चित्रं पश्यन्तु, संख्याः वदन्तु द्वितीयचित्रे अङ्कः च ताः संख्याः लिखन्तु।
उत्तराणि-
प्रश्न 7.
चित्रं पश्यन्तु, संख्याः वदन्तु, द्वितीयचित्रे शब्दैः च ताः संख्याः लिखन्तु।
उत्तराणि-
सङ्ख्यागणना ननु सरला Class 6 Summary Notes Sanskrit Chapter 13
चित्राधारितं गद्यांश-1 (NCERT पृष्ठ संख्या 140)
सन्दर्भ- प्रस्तुत संवादहमानी पाठ्य पुस्तक ‘दीपकम्’ के त्रयोदशः पाठ: संख्यागणना ननु सरला से उद्धृत किया गया है।
प्रसंग- प्रस्तुत संवाद शिक्षक और छात्र के मध्य है। शिक्षक छात्रों को संख्या गीत द्वारा गिनती सिखा रहा है।
अर्थ- विद्यार्थियो! यहाँ आपकी कक्षा में कितने मनुष्य हैं? सुमित, विश्वनाथ, वीणा, उदिता, कमला, प्रीति, निरूपमा, प्रशान्त, देवेश और मैं हूँ। तो कितने छात्र हैं। गिनो (गिनिए) एक, एक, एक, एक, एक, एक। अहो। आप संस्कृत में गिनती नहीं जानते हो। ठीक है, अब संख्या की गिनती को (हम) पढ़ते हैं। मैं एक सुन्दर संख्या गीत गाता हूँ। आप पीछे गाएँ।
पद्यांश-1 (NCERT पृष्ठ संख्या 141)
अन्वयः- एक: सूर्य: चन्द्रः अपि एक मानव कुलम् अपि एकम्। ननु सकलें जीविनि द्वे नयने सर्वो द्रष्टुम् प्रभवति।
सन्दर्भ- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘दीपकम्’ के त्रयोदश पाठ ‘संख्या गणना ननु सरला’ से उद्धृत किया गया है। इसके रचयिता डॉ. जनार्दन हेगड़े हैं।
प्रसंग- यहाँ ईश्वरीय सृष्टि के विषय में बताया गया है।
अर्थ- एक सूरज, चन्द्रमा भी एक मानव कुल भी एक निश्चित ही सम्पूर्ण प्राणी में (स्थित) दो नेत्र सब देख सकते हैं।
पद्यांश-2 (NCERT पृष्ठ संख्या 141)
अन्वयः- लोकशङ्करः त्रिनयनमूर्तिः अहम् तं प्रतिदिवसम् नमामि। अयं चतुर्मुखः जगतः स्रष्टा हि तेन जीवकुलं सृष्टम्।
सन्दर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग- यहाँ त्रयम्बकेश्वर एवं सृष्टि रचयिता ब्रह्मा के विषय में बताया गया है।
अर्थ- तीन नेत्रों वाली मूर्ति वाले भगवान शंकर को मैं प्रतिदिन (नित्य) नमस्कार करता हूँ। यह चार मुख वाले संसार के सृष्टिकर्ता ब्रह्मा निश्चय ही प्राणि समुदाय द्वारा बनाए गए हैं।
पद्यांश-3 (NCERT पृष्ठ संख्या 141)
अन्वयः- मन करकमले पञ्च अंगुल्यो लोको गणनाम् विदधति। सुरसेनानीः अयम् षण्मुखदेवः अमरगणम् सततं पाति।
सन्दर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग- यहाँ संख्या पाँच वछः को अँगुली एवं कार्तिकेय के माध्यम से वर्णन किया गया है।
अर्थ- मेरे हाथ में कमल के समान पाँच अँगुलियाँ संसार की गिनती करती हैं। देवताओं के सेनापति यह छः मुख वाले देव कार्तिकेय देवों की क्षेत्रीय रक्षा करते हैं।
पद्यांश-4 (NCERT पृष्ठ संख्या 141)
अन्वयः- ननु सप्ताहे सप्त वासराः सप्त सुमधुरा स्वराः ऊर्ध्वम्’ अधस्तात् सप्त लोकाः सप्त ऋषयः ख्याता।
सन्दर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग- यहाँ सात को दिन, स्वर, लोक एवं ऋषियों के माध्यम से वर्णन किया गया है।
अर्थ- निश्चित ही सप्ताह में सात दिन, सुमधुर सात स्वर, नीचे सात लोक और सात ऋषि प्रसिद्ध हैं।
पद्यांश-5 (NCERT पृष्ठ संख्या 142)
अन्वयः- उपकृति शीला अतुल बला: अष्ट दिग्गजा धरणीम् धरन्ति। ननु विपुले गगने नव ग्रहाः नियततया सततं चरन्ति।
सन्दर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग- यहाँ आठ दिक्पाल एवं नवग्रहों के विषय में बताया गया है।
अर्थ- उपकार करने वाले या उपकार स्वभाव वाले अतुलनीय बलशाली आठ दिग्पाल विशाल धरती (पृथ्वी) को धारण करते हैं। निश्चय ही विशाल आकाश में नौ ग्रह नियमित रूप से निरन्तर विचरण करते हैं।
पद्यांश-6 (NCERT पृष्ठ संख्या 142)
अन्वयः- पूर्व आधा दश दिशा: प्रसिद्धाः। ननु संख्यागणना सरला। वयम् अमितामोदं गायाम: बहुधा करतालं कुर्मः।
सन्दर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग- यहाँ घर की दस दिशाओं का वर्णन किया गया है।
अर्थ- पूर्व आदि दस दिशाएँ प्रसिद्ध हैं। निश्चित ही संख्या की गिनती सरल है। हम सब अत्यधिक आनन्द का अनुभव करते हैं। अधिकतर करतल ध्वनि करते हैं। (ताली बजाते हैं) अर्थात् घर की दिशाएँ होती हैं- पूर्वदिशा, पश्चिम दिशा, उत्तर दिशा, दक्षिण दिशा, ईशान दिशा, अग्नि दिशा, नैर्ऋत्यदिशा, वायव्य दिशा, ऊपर और नीचे।
वयं शब्दार्थान् जानीमः
उत्तराणि-
छात्र / छात्राएँ स्वयं शब्दों के अर्थों को समझकर अपनी मातृ भाषा में लिखें।
वयं संख्यां गणयाम: (१-५०)
उत्तराणि-
छात्र / छात्राएँ स्वयं संख्या गणना को शब्दों में लिखने का अभ्यास करें।
संव्यागणना ननु सरला पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ डॉ. जनार्दन हेगड़े द्वारा रचित है। यहाँ शिक्षक विद्यार्थियों को संख्या गणना एक से दश तक प्रसिद्ध एवं ज्ञानवर्धन उदाहरणों द्वारा समझा रहा है। यथा- एक (सूर्य, चन्द्र एवं मानव कुल) दो नेत्र (जिनसे कि सम्पूर्ण प्राणी देखते हैं।) त्रि (तीन नेत्रों वाले शंकर) चत्वार (चार मुख वाले सृष्टि रचयिता ब्रह्मा) पाँच (हाथ की पाँचों अँगुलियाँ) छः (भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय षडानन) सात (सप्ताह में दिन, सात स्वर ऊपर और नीचे सात लोक, सात ऋषि) आठ (अतुलनीय बलशाली आठ दिग्पाल) नौ (सम्पूर्ण आकाश में विचरण करने वाले नवग्रह) दस (घट की दश दिशाएँ)। इस प्रकार श्लोकों एवं गीत के माध्यम से छात्र सरलता से समझ सकते हैं। पाठ में एक से दस तक सभी के उदाहरणों का यहाँ विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। यहाँ एक से पचास तक संख्याओं का शब्दों एवं अंकों में अभ्यास कार्य दिया गया है।
शब्दार्थः
- कक्षायाम् = कक्षा में।
- भवन्तः = आपका।
- कति = कितना।
- सन्ति = हैं।
- जनाः = मनुष्य।
- तर्हि = तो।
- गणयतु = गिनो।
- गणना = गिनती।
- जानन्ति = जानते हो।
- अधुना = अब।
- संख्यागणना = संख्या की गिनती।
- अनुगायन्तु = पीछे गाएँ।
- चन्द्रोप्येकः = चन्द्र भी एक (चन्द्र: + अपि + एक)।
- मानवकुलप्येकम् = मानव कुल भी एक (मानव कुलम् + अपि + एकम्)।
- ननु = निश्चय ही।
- सकले = सम्पूर्ण।
- जीविनि = जीव में।
- द्वे नयने = दो नेत्र।
- सर्वो द्वष्टम् = सब देख सकते हैं।
- त्रिनयन मूर्ति = तीन नेत्रों वाली मूर्ति।
- सृष्टम् = मैं नमस्कार करता हूँ/करती हूँ (नमामि + अहम्)।
- जगतः = संसार के।
- सृष्टा = सृजनकर्ता ब्रह्मा।
- सृष्टम् = निर्मित किया गया।
- चतुर्मुखोऽयं = चार मुख वाले (चतुर्मुखः अयं)।
- कर कमले = हाथ में कमल जैसा।
- पञ्चाङ्गुलयों = पाँच अंगुलियाँ (पञ्च + अङ्गुलियों)।
- सततं = लगातार।
- पाति = रक्षा करते हैं।
- सप्त = सात।
- वासराः = दिन।
- सप्ताहे = सप्ताह में।
- ऊर्ध्वम् = ऊपर।
- अधः = नीचे।
- लोकाः = लोक।
- ख्याता = प्रसिद्ध है।
- ऋषयः = ऋषि।
- अष्ट = आठ।
- धरन्ति = धारण करते हैं।
- धरणीम = धरती को।
- उपकृतिशीला = उपकार करने वाले।
- अतुलबलः = अतुलनीय बलशाली।
- नियतया = नियमित रूप से।
- चरन्ति = विचरण करते हैं।
- पूर्वाद्याः पूर्वद्या = पूर्व आदि (पूर्व + आद्या)।
- दिशा = दिशाएँ।
- वयममितामोदं = हम सभी अत्यन्त आनन्दित हैं (वयम् + अमित + आमोदं)।
- तालं = ताली।
- बहुधा = अधिकांश।
- कुर्मः = करते हैं।