We are offering NCERT Solutions for Class 6 Sanskrit Grammar Book संधि-प्रकरणम् Questions and Answers can be used by students as a reference during their preparation.
Sanskrit Vyakaran Class 6 Solutions संधि-प्रकरणम्
स्वर-सन्धि
(Vowel Conjunction)
निकटतम दो वर्णों के संयोग से होने वाले विकार को सन्धि कहते हैं। सन्धि के तीन भेद हैं-स्वर सन्धि, व्यञ्जन-सन्धि तथा विसर्ग-सन्धि। इस पाठ में स्वर-सन्धि पर ही विचार किया जाएगा।
स्वर-सन्धि की परिभाषा
दो समीपवर्ती स्वरों के मेल से होने वाले विकार या परिवर्तन को स्वर-सन्धि कहते हैं।
उदाहरण-विद्या + आलयः = विद्यालयः। यहाँ पर विद्या के अन्तिम वर्ण आ तथा आलयः के प्रथम वर्ण आ के मेल से विद्यालयः का आ बना है तथा दो आ वर्गों के स्थान पर एक आ वर्ण रह गया है। अतः यहाँ पर स्वर-सन्धि है।
स्वर-सन्धि के भेद
स्वर-सन्धि के कुल पाँच भेद हैं
1. दीर्घ सन्धि
जहाँ दो ह्रस्व या दीर्घ स्वरों के मिलने से एक सवर्ण दीर्घ स्वर होता है, उसे दीर्घ सन्धि कहते हैं।
उदाहरण- विद्या + आलयः = विद्यालयः।
दीर्घ सन्धि के भेद
(क) दो ह्रस्व अकार के मिलने से एक दीर्घ आ हो जाता है
अ + अ = आ।
उदाहरण-
च + अपि = चापि
च + अस्ति = चास्ति
न + अस्ति – नास्ति
(ख) अ तथा आ के मिलने से दीर्घ आ हो जाता है
अ + आ = आ।
उदाहरण-
देव + आलयः = देवालयः
पुस्तक + आलयः = पुस्तकालयः
(ग) आ तथा अ के मिलने से दीर्घ आ हो जाता है
आ + अ = आ।
उदाहरण-
तथा + अपि = तथापि
तदा + अपि = तदापि
(घ) आ तथा आ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ आ हो जाता है
आ + आ = आ।
उदाहरण-
दया + आनन्दः = दयानन्दः
महा + आशयः = महाशयः
(ङ) इ तथा इ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ई हो जाती है
इ + इ = ई।
उदाहरण-
गिरि + इन्द्रः = गिरीन्द्रः
रवि + इन्द्रः = रवीन्द्रः
(च) इ तथा ई के मिलने पर उनके स्थान पर एक ई हो जाती है
इ + ई = ई।
उदाहरण-
कपि + ईशः = कपीशः
हरि + ईश = हरीशः
(छ) ई तथा इ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ई हो जाती है
ई + इ = ई।
उदाहरण-
मही + इन्द्रः = महीन्द्रः
महती + इच्छा = महतीच्छा
(ज) ई तथा ई के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ई हो जाती है
ई + ई = ई।
उदाहरण-
श्री + ईशः = श्रीशः
लक्ष्मी + ईश्वरः = लक्ष्मीश्वरः
(झ) उ तथा उ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ऊ हो जाता है
उ + उ = ऊ।
उदाहरण-
भानु + उदयः = भानूदयः
इन्दु + उदयः = इन्दूदयः
(ज) उ तथा ऊ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ऊ हो जाता है
उ + ऊ = ऊ।
उदाहरण-
सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूमिः
लघु + ऊर्मिः = लघूमिः
(ट) ऊ तथा उ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ऊ हो जाता है
ऊ + उ = ऊ।
उदाहरण-
वधू + उत्सवः = वधूत्सवः
वधू + उक्तिः = वधूक्तिः
(ठ) ऊ तथा ऊ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ऊ हो जाता है
ऊ + ऊ = ऊ।
उदाहरण- भू + ऊर्ध्वम् = भूर्ध्वम्
वधू + ऊरुः = वधूरुः
(ड) ऋ तथा ऋ के मिलने पर उनके स्थान पर एक दीर्घ ऋ हो जाती है
ऋ + ऋ = ऋ।
उदाहरण-
पितृ + ऋणम् = पितृणम्
मातृ + ऋणम् – मातृणम्
2. गुण सन्धि
अ, आ में से किसी एक के साथ इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ में से किसी एक के मिलने पर दोनों के स्थान पर गुण अर्थात् ए, ओ या अर् हो जाता है। उदाहरण-देव + ऋषिः = देवर्षिः । गुण सन्धि के भेद
(क) अ तथा इ के मिलने पर दोनों के स्थान पर ए हो जाता है
अ + इ = ए।
उदाहरण-
सुर + इन्द्रः = सुरेन्द्रः
नर + इन्द्रः = नरेन्द्रः
(ख) अ तथा ई के मिलने पर दोनों के स्थान पर ए हो जाता है
अ + ई = ए।
उदाहरण-
गण + ईशः = गणेशः
नर + ईशः = नरेशः
(ग) आं तथा इ के मिलने पर दोनों के स्थान पर ए हो जाता है
आ + इ = ए।
उदाहरण-
महा + इन्द्रः = महेन्द्रः
लता + इव = लतेव
(घ) आ तथा ई के मिलने पर दोनों के स्थान पर ए हो जाता है
आ + ई = ए।
उदाहरण-
महा + ईशः = महेशः
महा + ईश्वरः = महेश्वरः
(ङ) अ तथा उ के मिलने पर दोनों के स्थान पर ओ हो जाता है
अ + उ = ओ।
उदाहरण-
सूर्य + उदयः = सूर्योदयः
चन्द्र + उदयः = चन्द्रोदयः
(च) अ तथा ऊ के मिलने पर दोनों के स्थान पर ओ हो जाता है
अ + ऊ = ओ।
उदाहरण-
जल + ऊर्मिः = जलोमिः
सुयोधन + ऊरुः = सुयोधनोरुः
(छ) आ तथा उ के मिलने पर दोनों के स्थान पर ओ हो जाता है
आ + उ = ओ।
उदाहरण-
गङ्गा + उदकम् = गङ्गोदकम्
यथा + उच्चकैः = यथोच्चकैः
(ज) आ तथा ऊ के मिलने पर दोनों के स्थान पर ओ हो जाता है
आ + ऊ = ओ।
उदाहरण- दया + ऊर्मिः = दयोर्मिः
गंगा + ऊर्मयः = गंगोर्मयः
(झ) अ तथा ऋ के मिलने पर दोनों के स्थान पर अर् हो जाता है
अ + ऋ = अर्।
उदाहरण- देव + ऋषिः = देवर्षि:
वसन्त + ऋतुः = वसन्तर्तुः
(ब) आ तथा ऋ के मिलने पर दोनों के स्थान पर अर् हो जाता है
आ + ऋ = अर्।
उदाहरण- महा + ऋषिः = महर्षिः
राजा + ऋषिः = राजर्षिः
3. वृद्धि सन्धि
अ या आ. का ए अथवा ऐ के संयोग होने पर दोनों के स्थान पर वृद्धि स्वर ऐ हो जाता है। इसी तरह अ या आ का ओ अथवा औ से संयोग होने पर दोनों के स्थान पर वृद्धि स्वर औ हो जाता है।
उदाहरण-
तेन + एकः = तेनैकः
जन + ओघः = जनौघः
वृद्धि सन्धि के भेद
(क) अ का ए से संयोग होने पर दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है
अ + ए = ऐ।
उदाहरण-
तव + एव = तवैव
मम + एकः = ममैक:
(ख) अ तथा ऐ का संयोग होने पर दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है
अ + ऐ = ऐ।
उदाहरण-
मत + ऐक्यम् = मतैक्यम्
देव + ऐश्वर्यम् = देवैश्वर्यम्
(ग) आ तथा ए का संयोग होने पर दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है
आ + ए = ऐ।
उदाहरण-
तथा + एव = तथैव
सदा + एव = सदैव
(घ) आ तथा ऐ का संयोग होने पर दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है
आ + ऐ = ऐ।
उदाहरण-
तथा + ऐक्यम् = तथैक्यम्
महा + ऐरावतः = महैरावतः
(ङ) अ तथा ओ का मेल होने पर दोनों के स्थान पर औ हो जाता है
अ + ओ = औ।
उदाहरण-
जन + ओघः = जनौघः
भव + औषधम् = भवौषधम्
(च) अ तथा औ का मेल होने पर दोनों के स्थान पर औ हो जाता है
अ + औ = औ।
उदाहरण-
मम + औदार्यम् = ममौदार्यम्
तव + औत्सुक्यम् = तवौत्सुक्यम्
(छ) आ का ओ से मेल होने पर दोनों के स्थान पर औ हो जाता है
आ + ओ = औ।
उदाहरण-
महा + ओघः = महौघः
महा + ओषधम् = महौषधम्
(ज) आ का औ से मेल होने पर दोनों के स्थान पर औ हो जाता है
आ + औ = औ।
उदाहरण-
महा + औदार्यम् = महौदार्यम्
विद्या + औत्सुक्यम् = विद्यौत्सुक्यम्
4. यण् सन्धि
इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ तथा लु के पश्चात् कोई असवर्ण स्वर हो तथा इ, ई के स्थान पर य; उ, ऊ के स्थान पर व्; ऋ, ऋ के स्थान पर र् तथा लु के स्थान पर ल् हो जाता है।
उदाहरण-
यदि + अपि = यद्यपि
मधु + अरिः = मध्वरिः
पितृ + आदेशः = पित्रादेशः
ल + आकृतिः = लाकृतिः
सन्धि-प्रकरणम् यण् सन्धि के भेद
(क) इ का इ, ई से भिन्न स्वर से मेल होने पर इ के स्थान पर य हो जाता है
उदाहरण-
इति + आदि = इत्यादि
प्रति + एकम् = प्रत्येकम
(ख) ई का इ, ई से भिन्न स्वर से मेल होने पर ई के स्थान पर य हो जाता है
उदाहरण-
सुधी + उपास्यः = सुध्युपास्यः
देवी + उवाच = देव्युवाच
(ग) उ का उ, ऊ से भिन्न स्वर से मेल होने पर उ के स्थान पर व् हो जाता है
उदाहरण-
अनु + अयः = अन्वयः
सु + आगतम् = स्वागतम्
(घ) ऊ का उ, ऊ से भिन्न स्वर से मेल होने पर ऊ के स्थान पर व् हो जाता है
उदाहरण-
भू + आदि = भ्वादि
वधू + आदेशः = वध्वादेशः
(ङ) ऋ का ऋ, ऋ से भिन्न स्वर से मेल होने पर ऋ के स्थान पर र् हो जाता है
उदाहरण-
मातृ + अंशः = मात्रंशः
पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
(च) का से भिन्न स्वर से मेल होने पर लू के स्थान पर ल हो जाता है
उदाहरण-
ल + आकृतिः = लाकृतिः
5. अयादि सन्धि
ए, ओ, ऐ, औ का किसी भी भिन्न स्वर से मेल होने पर ए के स्थान पर अय्, ओ के स्थान पर अव्, ऐ के स्थान पर आय तथा औ के स्थान पर आव् हो जाता है
उदाहरण-
ने + अति = नयति
भो + अति = भवति
नै + अक: = नायकः
भौ + उकः = भावुकः
उभौ + अपि = उभावपि
अयादि सन्धि के भेद
(क) ए का परवर्ती किसी स्वर से मेल होने पर ए का अय् हो जाता है
उदाहरण- हरे – + ए = हरये
रवे + ए = रवये
(ख) ओ का परवर्ती किसी स्वर से मेल होने पर ओ के स्थान पर अव हो जाता है
उदाहरण-
भो + अति = भवति
पो + अनः = पवनः
(ग) ऐ का परवर्ती किसी स्वर से मेल होने पर ऐ के स्थान पर आय् हो जाता है
उदाहरण-
नै + अकः = नायकः
सै + अकः = सायकः
(घ) औ का परवर्ती किसी स्वर से मेल होने पर औ के स्थान पर आव हो जाता है
उदाहरण-
नौ + इकः = नाविकः
द्वौ + अपि = द्वावपि
अभ्यासः
1. निम्नवाक्येषु कोष्ठगतपदानि आधृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत
(निम्न वाक्यों में कोष्ठगत पदों के आधार पर रिक्तस्थानों को पूरा करो)
(क) …………………….. (सु + आगतम्), कृपया आसनम् स्वीकुरु।
(ख) सः ध्यानेन …………………… (परम + आनन्दम्) लभते।
(ग) ……………………… (यदि + अपि) सः मम लघुः भ्राता अस्ति तथापि अहं तस्य आदरं करोमि।
(घ) मम भ्राता तु …………………….. (रमा + ईश:) एव अस्ति।
(ङ) ………………..: (सूर्य + उदयः) प्रातः भवति।
(च) ……………………… (महा + ऋषिः) वाल्मीकिः रामायणम् रचयति स्म।
(छ) देवदत्तः मम ……………………. (विद्या + अर्थी) अस्ति।
(ज) अयम् अस्माकं …………………… (विद्या + आलयः) अस्ति।
(झ) …………………….. (सदा + एव) सत्यं वद।।
(ञ) मम पुस्तकस्य नाम ……………… (हित + उपदेशः) अस्ति।
2. निम्नवाक्येषु कोष्ठगतरिक्तस्थानेषु स्थूलाक्षरांकितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा लिखत
(निम्न वाक्यों में कोष्ठगत रिक्तस्थानों में स्थूलाक्षरांकित पदों को सन्धिच्छेद करके लिखो)
(क) परोपकारः ( ………….. + ……………) उत्तमः गुणः अस्ति।
(ख) मम पिता श्रीमान् धर्मानन्दः (…………… + ……………..) अस्ति।
(ग) यद्यपि भवान् आचार्यः न अस्ति, तथापि (…………… + …………….) अहं त्वाम् एव प्रणमामि।
(घ) कुबेरः धनेशः (…………… + ……………..) आसीत्।
(ङ) चन्द्रोदयः ( …………… + …………….) शान्तिं ददाति
(च) सप्तर्षयः (…………… + …………….) तत्र आगच्छन्ति
(छ) शोधार्थी ( …………… + ……………..) शोधं करोति।
(ज) मम विद्यालये पुस्तकालयः ( …………… + ……………..) न अस्ति।
(झ) अद्य अपि सः तथैव ( …………… + …………….) अस्ति।
(ब) यथोचितम् (…………… + …………….) कुरु।
बहुविकल्पीयप्रश्नाः
अधोलिखितेषु विकल्पेषु समुचितम् उत्तरं चित्वा लिखत (निम्नलिखित विकल्पों में से उचित उत्तर चुनकर लिखें।
(After choosing the proper answer among the following, rewrite it.)
प्रश्न 1.
‘कपि + ईशः’-इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) कपीशः
(ख) कपिशः
(ग) कपीश
(घ) कपशः।
उत्तर:
(क) कपीशः
प्रश्न 2.
‘ल + आकृतिः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) लृकृतिः
(ख) लाकृतिः
(ग) लकृतिः
(घ) लाकृतिः।
उत्तर:
(ख) लाकृतिः
प्रश्न 3.
‘उभौ + अपि’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) उभौपि
(ख) उभपि
(ग) उभावपि
(घ) उभापि।
उत्तर:
(ग) उभावपि
प्रश्न 4.
‘सै + अकः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) सावकः
(ख) सानकः
(ग) सौकः
(घ) सायकः।
उत्तर:
(घ) सायकः।
प्रश्न 5.
‘जन + ओघः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) जनौघः
(ख) जनोघ
(ग) जनोघः
(घ) जनघः।
उत्तर:
(क) जनौघः
प्रश्न 6.
‘तेन + एकः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) तनैकः
(ख) तेनैकः
(ग) तेनकः
(घ) तेनेकः।
उत्तर:
(ख) तेनैकः
प्रश्न 7.
‘वसन्त + ऋतुः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) वसन्तृतुः
(ख) वसन्तुः
(ग) वसन्तर्तुः
(घ) वसतर्तुः।
उत्तर:
(ग) वसन्तर्तुः
प्रश्न 8.
वधू + ऊरुः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) वध्वूरुः
(ख) वध्वरुः
(ग) वधुरुः
(घ) वधूरुः।
उत्तर:
(घ) वधूरुः।
प्रश्न 9.
‘सूर्य + उदयः’ इत्यत्र सन्धिं कुरुत।
(क) सूर्योदयः
(ख) सूर्युदयः
(ग) सूर्वृदयः
(घ) सूर्यादयः।
उत्तर:
(क) सूर्योदयः