NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15 Life on the Earth (Hindi Medium)

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 11 Geography. Here we have given NCERT Solutions for Class 11 Geography Fundamentals of Physical Geography Chapter 15 Life on the Earth.

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से कौन जैव मंडल में सम्मिलित हैं
(क) केवल पौधे
(ख) केवल प्राणी
(ग) सभी जैव व अजैव जीव
(घ) सभी जीवित जीव
उत्तर- (ग) सभी जैव व अजैव जीव

(ii) उष्णकटिबंधीय घास का मैदान निम्न में से किसे नाम से जाने जाते हैं?
(क) प्रेयरी
(ख) स्टैपी
(ग) सवाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ग) सवाना

(iii) चट्टानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर निम्नलिखित में से क्या बनाती है?
(क) आयरन कार्बोनेट
(ख) आयरन ऑक्साइड
(ग) आयरन नाइट्राइट
(घ) आयरन सल्फेट
उत्तर- (ख) आयरन ऑक्साइड

(iv) प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है?
(क) प्रोटीन
(ख) कार्बोहाइड्रेटस
(ग) एमिनोएसिड
(घ) विटामिन
उत्तर- (ख) कार्बोहाइड्रेटस

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तरे लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) पारिस्थितिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- जीवधारियों का आपस में व उनका भौतिक पर्यावरण से अंतर्संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन ही पारिस्थितिकी है। पारिस्थितिकी ही प्रमुख रूप से जीवधारियों के जन्म, विकास, वितरण, प्रवृत्ति व उनके प्रतिकूल
अवस्थाओं में भी जीवित रहने से संबंधित है।

(ii) पारितंत्र क्या है? संसार के प्रमुख पारितंत्र प्रकारों को बताएँ।
उत्तर- किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का भूमि, जल अथवा वायु (अजैविक तत्वों) से ऐसा अंतर्संबंध, जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण श्रृंखला स्पष्ट रूप से समायोजित हो, पारितंत्र कहा जाता है। पारितंत्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं- (i) स्थलीय पारितंत्र (ii) जलीय पारितंत्र। स्थलीय पारितंत्र को वन, घास क्षेत्र, मरुस्थल तथा टुण्ड्रो पारितंत्र तथा जलीय पारितंत्र को समुद्री पारितंत्र तथा ताजे पानी के परितंत्र में बाँटा जाता है। समुद्री परितंत्र को महासागरीय, ज्वारनदमुख, प्रवाल भित्ति पारितंत्र तथा ताजे पानी के पारितंत्र को झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल पारितंत्र में बाँटा जाता है।

(iii) खाद्य श्रृंखला क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए इसके अनेक स्तर बताएँ।
उत्तर- प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीयक उपभोक्ताओं के भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता फिर तृतीयक उपभोक्ताओं के द्वारा खाए जाते हैं। यह खाद्य क्रम और इस क्रम से एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य श्रृंखला कहलाती है। चराई खाद्यश्रृंखला पौधों से शुरू होकर मांसाहारी तक जाती है, जिसमें शाकाहारी जीव घास खाता है और शाकाहारी जीव को मांसाहारी जीव खाता है, हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है, जिसमें श्वसन, उत्सर्जन व विघटन प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं। खाद्य श्रृंखलाओं में तीन से पाँच स्तर होते हैं और हर स्तर पर ऊर्जा कम होती है। उदाहरणस्वरूप
घास-बकरी-शेर घास-कीट-मेढक-साँप-बाजे

(iv) खाद्य जाल से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताएँ।
उत्तर- खाद्य श्रृंखलाएँ पृथक अनुक्रम न होकर एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। जैसे-एक चूहा, जो अन्न पर निर्भर है, वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है और तृतीयक माँसाहारी अनेक द्वितीयक जीवों से अपने भोजन की पूर्ति करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक माँसाहारी जीव एक से अधिक प्रकार के शिकार पर निर्भर हैं। परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। प्रजातियों के इस प्रकार जुड़े होने (अर्थात जीवों की खाद्य श्रृंखलाओं के विकल्प उपलब्ध होने पर) को खाद्य जाल कहा जाता है।

(v) बायोम क्या है?
उत्तर- बायोम पौधों एवं प्राणियों का एक समुदाय है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय संबंधी तत्व करते हैं। अत: विशेष परिस्थितियों में पादप एवं जंतुओं के अंतर्संबंधों के कुल योग को बायोम कहते हैं। इसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिट्टी संबंधी अवयव भी शामिल हैं। संसार के कुछ प्रमुख बायोम वन, मरुस्थलीय, घास भूमि और उच्च प्रदेशीय हैं।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) संसार के विभिन्न वन बायोम की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- वन बायोम को चार भागों में बाँटा जाता है
(i) भूमध्यरेखीय उष्ण कटिबंधीय
(ii) पर्णपाती उष्ण कटिबंधीय
(iii) शीतोष्ण कटिबंधीय
(iv) बोरियल।

(i) भूमध्यरेखीय उष्ण कटिबंधीय बायोम – यह भूमध्यरेखा से 10° उत्तर और दक्षिण अक्षांश के बीच स्थित है। यहाँ तापमान सालों भर 20° से 25° सेंटीग्रेड रहता है। यहाँ की मृदा अम्लीय है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी है। यहाँ वृक्ष काफी लंबे और घने होते हैं।

(ii) पर्णपाती उष्ण कटिबंधीय बायोम – यह बायोम 10° से 25° उत्तर व दक्षिण अक्षांश के बीच स्थित है। यहाँ तापमान 25 से 30° सेंटीग्रेड के बीच होता है। यहाँ वर्षा का वार्षिक औसत 1,000 मि०मी० एक ऋतु में है। यहाँ मिट्टी पोषक तत्वों के मामले में धनी है। यहाँ अनेक प्रजातियों के कम घने तथा मध्यम ऊँचाई के वृक्ष एक साथ पाए जाते हैं।

(iii) शीतोष्ण कटिबंधीय बायोम – यह बायोम पूर्वी उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पूर्वी एशिया, पश्चिमी एवं मध्य यूरोप में पाया जाता है। यहाँ का तापमान 20° से 30° सेंटीग्रेड के बीच रहता है। यहाँ वर्षा समान रुप से 750 से 1500 मि०मी० होती है। यहाँ असाधारण शीत पड़ती है तथा ऋतुएँ भी स्पष्ट हैं। यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है, जो अवधटक जीवों व कूड़ा-कर्कट आदि पदार्थों-हयूमस से भरपूर है। यहाँ मध्यम घने चौड़े पत्ते वाले वृक्ष पाए जाते हैं। यहाँ पौधों की प्रजातियों में कम विविधता पाई जाती है। ओक, बीच, मेप्पल आदि कुछ सामान्य प्रजातियों के वृक्ष यहाँ बहुतायत में पाए जाते हैं। गिलहरी, खरगोश, पक्षी, काले भालू, पहाड़ी शेर व स्कंक यहाँ पाए जाने वाले कुछ प्रमुख प्राणी हैं।

(iv) बोरियल बायोम – यह बायोम यूरेशिया व उत्तरी अमेरिका के उच्च अक्षांशीय भाग, साइबेरिया के कुछ भाग, अलास्का, कनाडा व स्केंडेनेवियन देश में पाया जाता है। यहाँ छोटा आर्द्र ऋतु व मध्यम रूप से गर्म ग्रीष्म ऋतु तथा लंबी (वर्षा रहित) शीत ऋतु होती है। यहाँ वर्षा मुख्यतः हिमपात के रूप में 400 से 1000 मि०मी० होती है। यहाँ की मिट्टी अम्लीय है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी है। यहाँ मिट्टी की परत अपेक्षाकृत पतली है। यहाँ सामान्यतः पाइप, फर, स्पूस आदि के सदाबहार कोणधारी वन पाए जाते हैं। कठफोड़ा, चील, भालू, हिरण, खरगोश, भेड़िया, चमगादड़ आदि यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ है।

(ii) जैव भू-रासायनिक चक्र क्या है? वायुमंडल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण कैसे होता है? वर्णन करों
उत्तर- सूर्य ऊर्जा का मूल स्रोत है, जिस पर संपूर्ण जीवन निर्भर है। यही ऊर्जा जैवमंडल में प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा जीवन प्रक्रिया आरंभ करती है, जो हरे पौधों के लिए भोजन व ऊर्जा का मुख्य आधार है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन व कार्बनिक यौगिक में परिवर्तित हो जाती है। धरती पर पहुँचने वाले सूर्यातप का बहुत छोटा भाग (केवल 0.1 प्रतिशत) प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में काम
आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधे की श्वसन-विसर्जन क्रिया में और शेष भाग अस्थायी रूप से पौधे के अन्य भागों में संचित हो जाता है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले 100 करोड़ वर्षों में वायुमंडल एवं जलमंडल की संरचना में रासायनिक घटकों का संतुलन लगभग एक जैसा अर्थात् बदलाव रहित रहा है।

रासायनिक तत्वों का यह संतुलन पौधे व प्राणी ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्वों के अवशोषण से आरंभ होता है और उनके वायु, जल व मिट्टी में विघटन से पुनः आरंभ होता है। ये चक्रे मुख्यतः सौर ताप से संचालित होते हैं। जैवमंडल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच ये रासायनिक तत्वों के चक्रीय प्रवाह जैव भू-रासायनिक चक्र कहे जाते हैं। जैव भू-रासायनिक चक्र दो प्रकार के हैं–एक गैसीय और दूसरा तलछटी चक्र। गैसीय चक्र में पदार्थ के मुख्य भंडार वायुमंडल व महासागर हैं। तलछटी चक्र के प्रमुख भंडार पृथ्वी की भूपर्पटी पर पाई जाने वाली मिट्टी, तलछट व अन्य चट्टाने हैं।

(iii) पारिस्थितिकी संतुलन क्या है? इसके असंतुलन को रोकने के महत्त्वपूर्ण उपायों की चर्चा करें।
उत्तर- किसी पारितंत्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिकी संतुलन है। यह तभी संभव है जब जीवधारियों की विविधता अपेक्षाकृत स्थायी रहे। क्रमशः परिवर्तन भी होता है, लेकिन ऐसा प्राकृतिक अनुक्रमण के द्वारा ही होता है। इसे पारितंत्र में हर प्रजाति की संख्या के एक स्थायी संतुलन के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। यह संतुलन निश्चित प्रजातियों में प्रतिस्पर्धा
आपसी सहयोग से होता है। कुछ प्रजातियों के जिंदा रहने के संघर्ष से भी पर्यावरण संतुलन प्राप्त किया जाता है। संतुलन इस बात पर निर्भर करता है कि कुछ प्रजातियाँ अपने भोजन व जीवित रहने के लिए दूसरी प्रजातियों पर निर्भर रहती हैं। इसके उदाहरण विशाल घास के मैदानों में मिलते हैं, जहाँ शाकाहारी जंतु अधिक संख्या में होते हैं और उन्हें मांसाहारी जीव खाते हैं। इस तरह से पारिस्थितिकी में संतुलन बना रहता है।

पारिस्थितिकी असंतुलन को रोकने के उपाय – विशेष आवास स्थानों में पौधों व प्राणी समुदायों में घनिष्ट अंतर्संबंध पाए जाते हैं। निश्चित स्थानों पर जीवों में विविधता वहाँ के पर्यावरणीय कारकों का संकेतक है। इन कारकों का समुचित ज्ञान व समझ ही पारितंत्र के संरक्षण व बचाव के प्रमुख आधार हैं।

परियोजना कार्य-
(i) प्रत्येक बायोम की प्रमुख विशेषताओं को बताते हुए विश्व के मानचित्र पर विभिन्न बायोम के वितरण को दशाईए।
(ii) अपने स्कूल प्रांगण में पाए जाने वाले पेड़, झाड़ी व सदाबहार पौधों पर एक संक्षिप्त लेख लिखें और लगभग आधे दिन यह पर्यवेक्षण करें कि किस प्रकार के पक्षी इस वाटिका में आते हैं। क्या आप इन पक्षियों की विविधता का भी उल्लेख कर सकते हैं?
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

Hope given Fundamentals of Physical Geography Class 11 Solutions Chapter 15 are helpful to complete your homework.

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