NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

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आश्रम का अनुमानित व्यय NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 19

Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय Textbook Questions and Answers

लेखा-जोखा

प्रश्न 1.
हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गाँधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?
उत्तर:
गाँधी जी कुटीर उद्योग, लघु उद्योग को बढ़ावा देना चाहते थे। वे चाहते थे कि सभी लोग स्वावलंबी बनें और अपनी आवश्यकताओं को स्वयं मिलजुल कर पूरा करें। ऐसा करने से समाज का विकास होता है। बेरोजगारी कम होती है। सारा काम सभी आदमियों में बराबर बँट जाता है। अपने हाथ से काम करने से आत्मविश्वास बढ़ता है, हम अपनी मूलभूत आवश्यकताएँ स्वयं पूरी कर सकते हैं। गाँधी जी ऐसा करके सभी को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती का पता चलता है?
उत्तर:
छात्र गाँधी जी के जीवन से संबंधित पुस्तकें पढ़ें एवं उनसे उन अंशों को चुनें जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती का पता चलता है।

प्रश्न 3.
मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नयी मदों को जोड़ना-हटाना चाहेंगे?
उत्तर:
आश्रम के लिए भवन एवं ज़मीन – 20 लाख रुपये
बालकों के लिए पाठ्य पुस्तकें – 50 हजार रुपये
पुस्तकालय के लिए पुस्तकें – 2 लाख रुपये
बच्चों के वस्त्रों पर खर्च – 50 हजार रुपये
आश्रम के लिए बिस्तरों पर खर्च – 1 लाख रुपये
खाने पर खर्च – 20 हजार रुपये
आश्रम के रखरखाव पर खर्च – 20 हजार रुपये

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प्रश्न 4.
आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।
उत्तर:
कार्यकारण
खाना बनाना – लड़कों को घर में खाना बनाना नहीं सिखाया जाता
कपड़े धोना – यह काम भी औरतों का माना जाता है
सिलाई का काम – सिखाने वाला नहीं मिला
मकान बनाना – घर के लोग करने नहीं देते
घर में सफेदी, रंग-रोगन करना – यह काम मजदूरों से ही करवाया जाता है।
इन सभी कार्यों को आसानी से किया जा सकता है। मैं भी इन कार्यों को कर सकता हूँ।

प्रश्न 5.
इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर:
इस बजट को देखकर आश्रम के उद्देश्य एवं कार्यप्रणाली स्पष्ट हो जाती है। जो इस प्रकार है-

  1. गाँधी जी सभी को स्वावलंबी बनाना चाहते थे।
  2. वे लघु उद्योगों के पक्षधर थे। उनका मानना था कि यदि लोग आपस में मिल-जुल कर छोटे-छोटे कार्य स्वयं करें तो इससे समाज का विकास होगा और परस्पर सहयोग की भावना बढ़ेगी।
  3. गाँधी जी लोगों को यह बताना चाहते थे कि हम किस प्रकार सीमित संसाधनों में भी विकास कर सकते थे।
  4. गाँधी जी यह संदेश देना चाहते थे कि कार्य कोई छोटा या बड़ा नहीं होता।
  5. ऐसा करके उन्होंने श्रम की महत्ता बताई।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
प्रमाणित, व्यथित, द्रवित, मुखरित
झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित
उत्तर:
प्रमाणित – प्रमाण + इत
व्यथित – व्यथा + इत
द्रवित – द्रव + इत
मुखरित – मुखर + इत
शिक्षित – शिक्षा + इत
मोहित – मोह + इत
चर्चित – चर्चा + इत

प्रश्न 2.
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे-सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक
उत्तर:
मौखिक – मुख + इक
सवैधानिक – संविधान + इक
प्राथमिक – प्रथम + इक
नैतिक – नीति + इक
पौराणिक – पुराण + इक
दैनिक – दिन + इक

प्रश्न 3.
बैलगाड़ी और घोडागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर:
रेलगाड़ी – रेल की पटरी पर चलने वाली गाड़ी
राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति
राजपुत्र – राजा का पुत्र
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
विद्याहीन – विद्या से हीन
घुड़सवार – घोड़े का सवार

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घरेलू सामान की सूची

चार पतीले-चालीस आदमियों का खाना बनाने के योग्य; दो छोटी पतीलियाँ- दस आदमियों के योग्य; तीन पानी भरने के पतीले या ताँबे के कलशे; चार मिट्टी के घड़े चार तिपाइयाँ; एक कढ़ाई; दस रतल खाना पकाने योग्य; तीन कलछियाँ, दो आटा गूंधने की परातें; एक पानी गरम करने का बड़ा पतीला; तीन केतलियाँ; पाँच बाल्टियाँ या नहाने का पानी रखने के बरतन; पाँच पतीले के ढक्कन; पाँच अनाज रखने के बरतन; तीन तइयाँ, दस थालियाँ; दस कटोरियाँ, दस गिलास, दस प्याले, चार कपड़े धोने के टब, दो छलनियाँ, एक पीतल की छलनी; तीन चक्कियाँ; दस चम्मच; एक करछा; एक इमामदस्ता-मूसली; तीन झाडू, छह कुर्सियाँ, तीन मेजें; छह किताबें रखने की अलमारियाँ, तीन दवातें; छह काले तख्ने; छह रैक; तीन भारत के नक्शे; तीन दुनिया के नक्शे; दो बंबई अहाते के नक्शे; एक गुजरात का नक्शा, पाँच हाथकरघे; बढ़ई के औज़ार, मोची के औज़ार; खेती के औज़ार; चार चारपाइयाँ, एक गाड़ी; पाँच लालटेन; तीन कमोड; दस गद्दे; तीन चैंबर पॉट; चार सड़क की बत्तियाँ। (वैशाख बदी तेरह, मंगलवार, 11 मई, 1915)

  • चौके का सामान
  • एक बैलगाड़ी या घोड़गाड़ी
  • एक वर्ष के लिए खाने का खर्च-छह हजार रुपया

मेरा खयाल है कि हमें लुहार और राजमिस्त्री के औजारों की भी जरूरत होगी। दूसरे बहुत से औजार भी चाहिए, किंतु इस हिसाव से मैंने उनका खर्च और शिक्षण-संबंधी सामान का खर्च शामिल नहीं किया है। शिक्षण के सामान में पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी। अहमदाबाद में स्थापित आश्रम का संविधान स्वयं गाँधी जी ने तैयार किया था। संविधान के मसविदे से पता चलता है कि वह भारतीय जीवन का निर्माण किस प्रकार करना चाहते थे।

शब्दार्थ : अनुमानित-अंदाजे से; अलावा-अतिरिक्त; एरन-लोहा गर्म करने की भट्टी को हवा देने वाली मशीन; स्थानीय-स्थान विशेष से संबंधित (Local); खयाल-विचार।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

मुझे मालूम हुआ है ………………… अनुमान में भूलें भी हो सकती हैं।

प्रश्न 1.
कौन किस प्रयोग की बात कह रहा है?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जी अहमदाबाद में आश्रम की स्थापना कर उसे प्रयोग के तौर पर चलाना चाहते हैं जहाँ सभी सामूहिक रूप से रह सकें।

प्रश्न 2.
गाँधी जी अहमदाबाद से क्या अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
गाँधी जी चाहते थे कि अहमदाबाद आश्रम का ऊपर बताया खर्च उठाए और पूरी ज़मीन व मकान सभी को दे।

प्रश्न 3.
गाँधी जी स्वयं कौन-सा खर्च उठाने की बात कहते हैं?
उत्तर:
गाँधी जी स्वयं खाने का खर्च उठाने की बात कहते हैं।

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आश्रम का अनुमानित व्यय Summary

पाठ का सार

दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गाँधी जी ने अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की, उसके प्रारंभिक सदस्यों तथा सामान आदि का विवरण इस पाठ में है। आरंभ में संस्था (आश्रम) में चालीस लोग होंगे। कुछ समय में इस संख्या के पचास हो जाने की संभावना है। – हर महीने औसतन दस अतिथियों के आने की संभावना है। इनमें तीन या पाँच सपरिवार होंगे, इसलिए स्थान की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि परिवार वाले लोग अलग रह सकें और शेष एक साथ।

इसको ध्यान में रखते हुए तीन रसोईघर हों और मकान कुल पचास हजार वर्ग फुट क्षेत्रफल में बने तो सब लोगों के लायक जगह हो जाएगी। इसके अलावा तीन हजार पुस्तकें रखने लायक पुस्तकालय और अलमारियाँ होनी चाहिए।

कम-से-कम पाँच एकड़ जमीन खेती करने के लिए चाहिए, जिसमें कम-से-कम तीस लोग काम कर सकें, इतने खेती के औजार चाहिए। इनमें कुदालियों, फावड़ों और खुरपों की ज़रूरत होगी।

बढ़ईगिरी के निम्नलिखित औज़ार भी होने चाहिए-पाँच बड़े हथौड़े, तीन बसूले, पाँच छोटी हथौड़ियाँ, दो एरन, तीन बम, दस छोटी-बड़ी छेनियाँ, चार रंदे, एक सालनी, चार केतियाँ, चार छोटी-बड़ी बेधनियाँ, चार आरियाँ, पाँच छोटी-बड़ी संडासियाँ, बीस रतल कीलें-छोटी और बड़ी, एक मोंगरा (लकड़ी का हथौड़ा), मोची के औज़ार।

मेरे अनुमान से इन सब पर कुल पाँच रुपया खर्च आएगा।
रसोई के लिए आवश्यक सामान पर एक सौ पचास रुपये खर्च आएगा।
स्टेशन दूर होगा तो सामान को या मेहमानों को लाने के लिए बैलगाड़ी चाहिए।

मैं खाने का खर्च दस रुपये मासिक प्रति व्यक्ति लगाता हूँ। मैं नहीं समझता कि हम यह खर्च पहले वर्ष में निकाल सकेंगे। वर्ष में औसतन पचास लोगों का खर्च छह हजार रुपये आएगा।

यदि अहमदाबाद सब खर्च उठाए तो विभिन्न मदों में खर्च इस तरह होगा-

  • किराया-बंगला और खेत की ज़मीन
  • किताबों की अलमारियों का खर्च
  • बढ़ई के औज़ार
  • मोची के औज़ार
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