NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 पापा खो गए

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पापा खो गए NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7

Class 7 Hindi Chapter 7 पापा खो गए Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों ?
उत्तर:
नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र लैटर बॉक्स है। लैटर बॉक्स पढ़ना-लिखना जानता है। वह सबको दिशा निर्देश भी देता है। उसे लड़की के प्रति सच्ची सहानुभूति है। वह लड़की को उसके पापा से मिलवाने की योजना बनाता है। वह सबके साथ मिलकर ऐसी स्थिति पैदा कर देता है जिसके कारण वहाँ पुलिस जाए और बच्ची पुलिस के हाथ पड़ जाए। इस प्रकार पुलिस उस बच्ची को उसके पिता से मिलवा देगी।।

प्रश्न 2.
पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई ?
उत्तर:
एक दिन जोर की आँधी और बारिश आई (आँधी के कारण खंभा पेड़ के ऊपर गिर गया। पेड़ ने उसको संभाल लिया। पेड़ ने खंभे का पूरा भार अपने ऊपर झेला। पेड़ इस प्रक्रिया में जख्मी हो गया। खंभे का सारा अहंकार भी समाप्त हो गया। इस प्रकार खंभे और पेड़ में दोस्ती हो गई।

प्रश्न 3.
लैटर बॉक्स को सभी लालताऊ कहकर क्यों पुकारते थे ?
उत्तर:
लैटर बॉक्स लाल रंग था इसलिए उसे लालताऊ कहते थे। लैटर बॉक्स ताऊ की तरह बातें भी खूब किया करता था। उनकी बातें किस्से कहानियों से कम नहीं थीं। अतः उसका ‘ताऊ’ नामकरण ठीक ही था।

प्रश्न 4.
लालताऊ किस प्रकार दूसरे पात्रों से भिन्न था ?
उत्तर:
लालताऊ की सबसे बड़ी विशेषता थी उसका पढ़ा-लिखा होना। वह अपने अंदर से चिट्ठियों को निकालकर पढ़ता था। वह दूसरों को भी उन चिट्ठियों को सुनाता था। वह ज्ञान की बातें बहुत करता था। वह निडर भी था। ये गुण लालताऊ को अन्य पात्रों से अलग करते हैं।

प्रश्न 5.
नाटक में बच्ची को बचाने वाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगीं? लिखिए।
उत्तर:
नाटक में एक कौवा ही ऐसा पात्र है जो सजीव है वह बहुत ही मजेदार बातें करता था जैसे-
कौआ : (पेड़ के पीछे से झांककर) कॉउव-कॉउव कौन है जो रात के वक्त इतनी मीठी आवाजें लगाकर मेरी नींद खराब करता है ? जराभर चैन नहीं इन्हें।
कौआ : लड़की को उसके पिता से मिलाने का तरीका बताता हुआ कहता है।
कौआ : कहता है-आसान है। सुबह जब हो जाए पेड़ राजा, तो आप अपनी घनी-घनी छाया इस पर किए रहें, वह आराम से देर तक सोती रहेगी और खंभे महाराज, आप ज़रा टेढ़े होकर खड़े रहिए।
खंभा : के यह कहने पर कि इससे क्या होगा ?
कौआ : बोला, पुलिस को लगेगा, एक्सीडेंट हो गया। वो यहाँ आएगी और हमारी इस छोटी सहेली को देखेगी। वो लगाएगी इसके घर का पता। पुलिस सबके घर का पता मालूम करती है। खोए हुए बच्चों को उनके घर पहुँचाती है।
खंभा : के यह कहने पर कि-रहूँगा, मैं आड़ा होकर खड़ा रहूँगा। पर मान लो, पुलिस नहीं आई तो ?
कौआ : बोला, मैं बराबर यहाँ ज़ोर-ज़ोर से काँव-काँव करता रहूँगा। लोगों का ध्यान इधर खींचूँगा। उनकी चीजें अपनी चोंच से उठा- उठाकर लाता जाऊँगा।

प्रश्न 6.
वह कौन-सी वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुंचा पा रहे थे ?
उत्तर:
वह लड़की बहुत छोटी थी। उसे अपने घर, मुहल्ले गली के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थे। ये लोग भी उसके घर का पता नहीं जानते थे। वे चलने-फिरने में भी असमर्थ थे इसलिए वे पुलिस में भी रिपोर्ट नहीं करा सकते थे। कौए को छोड़कर वे सभी निर्जीव थे।

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नाटक से आगे

प्रश्न 1.
अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाँ पहुँचने का रास्ता भी बताइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।
उत्तर:
‘पापा खो गए’ शीर्षक इसलिए रखा गया होगा कि जब उस बच्ची से पूछा होगा तो उसने कहा होगा कि मेरे पापा खो गए। वह लड़की बहुत ही मासूम है। मासूम बच्चे अक्सर इस तरह का ही जबाव देते हैं कि मेरे पापा खो गए, या मेरी मम्मी खो गई इसका और शीर्षक हो सकता है। ‘मासूम बच्ची’।

प्रश्न 3.
क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं ?
उत्तर:
इस बच्ची के पापा को खोजने के कई तरीके हो सकते हैं जैसे-पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाना-ऐसा करने पर पुलिस अपने तरीके से खोज सकती है। दूसरा तरीका-समाचार पत्र और दूरदर्शन पर विज्ञापन देना है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में, होगी ? क्या वह पार्क/मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा ?
उत्तर:
जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह घर से बैठकर बाहर चली गई होगी तभी उस पर किसी बच्चे चुराने वाले चोर की निगाह पड़ी होगी। उसने उस बच्ची को कोई खाने की वस्तु देकर बहला लिया होगा। वह पार्क में खेलते समय भी इधर-उधर जा सकती है क्योंकि बच्ची अभी छोटी है। उसे जगह की पहचान भी नहीं है।

प्रश्न 2.
नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।
उत्तर:

  • समूह में चलना।
  • एकजुट होकर बच्चा उठाने वालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
  • अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।
  • इसके अतिरिक्त अन्य उपाय हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति बच्चे को उठाने की चेष्टा करे तो बच्चे को चाहिए कि वह बचाओ! बचाओ! कहकर जोर से चिल्लाए ऐसा करने पर चोर इरकर भाग जाएगा।
  • कभी भी अकेले कहीं न जाना, घर के बड़े व्यक्तियों के साथ ही कहीं जाना चाहिए।
  • यदि कोई व्यक्ति कोई प्रलोभन दे तो प्रलोभन में न आना।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे-‘सड़क/रात का समय…दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर:

  • रात का सन्नाटा
  • आकाश बादलों से ढका हुआ
  • झिंगुरों की आवाज
  • गीदड़ का बोलना
  • घुप्प अँधेरा।

प्रश्न 2.
पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिन्हों की ओर गया होगा। नीचे पृष्ठ पर दिए अंश से विराम चिन्हों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिन्ह लगाइए-
मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक्-धक् करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ गड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है अंग थरथर काँपने लगते हैं।
उत्तर:
मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे! बाप रे वो बिजली थी या आफ़त! याद आते ही अब भी दिल धक्-धक् करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ गड्डा कितना गहरा पड़ गया था, खंभे महाराज! अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है। अंग थरथर काँपने लगते हैं।

प्रश्न 3.
आसपास की निर्जीव चीज़ों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-

  1. चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
  2. कलम का कॉपी से संवाद
  3. खिड़की का दरवाज़े से संवाद

उत्तर:
1. चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
चॉक : अरे ब्लैक बोर्ड तुम तो बहुत काले हो।
ब्लैक बोर्ड : मैं काला हूँ तभी तो तुम्हारा लिखा मुझ पर दिखाई देता है।
चॉक : मैं हूँ ही इतना खूबसूरत कि मेरे द्वारा सुंदर लिखा जाता है।
ब्लैक बोर्ड : नहीं यह बात नहीं है। पिछले दिनों जब मेरा रंग हल्का हो गया था और मैं कुछ चिकना हो गया था तब भी क्या तुम्हारे द्वारा सुंदर लिखा जाता था।
चॉक : नहीं, तब तो नहीं।
ब्लैक बोर्ड : मेरे कारण ही तुमसे सुंदर लिखा जाता है।
चॉक : हाँ, ब्लैक बोर्ड भाई तुम ठीक कहते हो।

2. कलम का कॉपी से संवाद ।
कलम : कॉपी बहिन मेरे द्वारा जब लोग तुम पर लिखते हैं तो कितने सुंदर अक्षर बन जाते हैं।
कॉपी : मैं तुम्हारे द्वारा लिखी बातों को अपने में सहेजकर रखती हूँ, जिनको बाद में भी लोग पढ़ सकते हैं।
कलम : मेरे द्वारा लिखा हुआ इस प्रकार ज्ञान का खजाना बन जाता है।
कॉपी : कलम भाई कभी-कभी तुम अपने लिखे को काट देते हो तब मेरी सूरत गंदी हो जाती है।

3. खिड़की का दरवाज़े से संवाद ।
दरवाजा : खिड़की तुम्हारा महत्त्व कुछ भी नहीं है ?
खिड़की : मेरा महत्त्व तुमसे अधिक है क्योंकि मुझसे ही होकर शुद्ध हवा कमरे में आती है।
दरवाजा : हवा तो मुझ से भी आती है।
खिड़की : परंतु कितनी देर। मालिक जब आता है तुम्हें बंद कर देता है।
दरवाजा : मैं आने-जाने के काम आता हूँ तुम थोड़े ही।
खिड़की : सबका अपना-अपना महत्त्व है, कोई भी महत्त्वहीन नहीं है।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त में से दस-पंद्रह संवादों को चुनें, उनके साथ दृश्यों की कल्पना करें और एक छोटा-सा नाटक लिखने का प्रयास करें। इस काम में अपने शिक्षक से सहयोग लें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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पापा खो गए Summary

नाटक का सार

यह एक काल्पनिक घटना पर आधारित नाटक है। इसकी सभी घटनाएँ सड़क पर घटित होती हैं। यहाँ लैटर बॉक्स, सड़क का खंभा और पेड़ सभी अपनी-अपनी परेशानियों का वर्णन करते हैं। खंभे और पेड़ को दिन-रात खड़े रहने में परेशानी है। वे हर मौसम में सदैव खड़े ही रहते हैं। उन्हें आँधी, तूफान झेलना पड़ता है। लैटर बॉक्स (लालताऊ) भी उनकी बातचीत में शामिल हो जाता है। वह कुछ पत्र निकाल कर पढ़ने लगते हैं। खंभा और पेड़ समझते हैं कि किसी का पत्र नहीं पढ़ना चाहिए।

तभी एक गुंडा-बदमाश एक छोटी प्यारी बच्ची को बेहोश कर वहाँ उठा लाता है, उन्हें लगता है कि वह उसे किसी को बेच देगा। वह आदमी लड़की को छिपाकर भोजन की तलाश में जाता है। गुंडे के जाते ही खंभा, पेड़ और लैटर बॉक्स लड़की के बारे में चिंतित हो जाते हैं, वे उसे बचाने के बारे में सोच-विचार कर बातें करने लगते हैं। इस बातचीत में कौए को जगाकर शामिल करते हैं, तभी लड़की कुछ होश में आ जाती है। वह समझ नहीं पाती कि बातें कौन कर रहा है, उसे अंधेरे में डर लग रहा है। लैटर बॉक्स उसके पास आकर उसे तसल्ली देता है। लड़की को लैटर बॉक्स को बोलते देखकर आश्चर्य के बाद खुशी होती है। लैटर बॉक्स उससे उसका पता-ठिकाना पूछता है, लेकिन लड़की कुछ बता नहीं पाती। धीरे-धीरे पेड़, खंभा और कौआ भी बातचीत में शामिल हो जाते हैं। लड़की सब कुछ भूलकर उनके साथ खेलने लग जाती है, तभी वह दुष्ट आदमी वहाँ आता है और लड़की को ढूँढ़ता है। लड़की बचने का प्रयत्न करती है। पेड़, लैटर बॉक्स, खंभा, पोस्टर सभी लपक-लपककर सामने आकर लड़की को गुंडे के हाथ नहीं लगने देते, तभी कौआ भूत-भूत चिल्लाता है, सभी के भूत-भूत चिल्लाने से गुंडा घबरा कर भाग जाता है। सभी खूब हँसते हैं। कुछ देर लड़की नहीं मिलती तो सब उसे ढूंढ़ कर थक कर सुला देते हैं।

खंभा, पेड़ सभी सोचते हैं कि अब लड़की को घर कैसे पहुँचाया जाए, उसे तो अपने पापा का नाम भी नहीं मालूम। सुबह होती है, वे एक पोस्टर बनाते हैं। सड़क पर सारे लड़की पर झुक कर छाया किए हुए हैं। खंभा टेढ़ा खड़ा है जैसे कोई दुर्घटना हुई हो। कौवा शोर करता है, सबका ध्यान उसकी ओर आकर्षित होता है। पोस्टर पर लिखा है-मेरे पापा खो गए हैं। लैटर बॉक्स सरकता हुआ लोगों से कहता है-इस प्यारी बच्ची के पापा को खोज कर यहाँ ले आइए।

शब्दार्थः आफत-मुसीबत, भंगिमा-मुद्रा, संतुलन-बराबर बने रहना, हड़बड़ी-जल्दबाजी, मुमकिन नहीं-असंभव, चौकस-सावधान, गरूर-घमंड, गश्त-फेरी, करीब से-निकट से, स्वीकृति-मंजूरी, दुबक जाना-छिप जाना, संरक्षण-रखवाली, चकमा-धोखा, आनंदित-प्रसन्न, प्रेक्षक-दर्शक।

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