Class 8 Hindi वसंत Chapter 14 Akbari Lota Questions and Answers
These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 14 अकबरी लोटा Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.
अकबरी लोटा कक्षा 8 हिंदी वसंत पाठ 14 के प्रश्न उत्तर
कहानी की बात
प्रश्न 1.
“लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।”
लाला झाऊलाला को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जो पत्नी का न हुआ, वह कैसा पति? लाला जी ने सोचा कि यदि विरोध कर दिया तो बालटी में भोजन मिलेगा। तब क्या करना बाकी रह जाएगा? इसीलिए लाला जी अपना गुस्सा पीकर चुप रहे।
प्रश्न 2.
“लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया” आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?
उत्तर:
लोटा गिरने से गली में ज़ोर का हल्ला उठा। जब तक नीचे उतरे, भीड़ उनके आँगन में घुस चुकी थी। एक अंग्रेज पूरी तरह भीगा हुआ है और एक हाथ से दूसरे पैर को सहला रहा है। उनकी समझ में लोटे द्वारा की गई करतूत समझ में आ गई थी।
प्रश्न 3.
अंग्रेस के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने से इनकार इसलिए कर दिया था ताकि वे अंग्रेज की सहानुभूति और विश्वास प्राप्त कर सकें। वे झाऊलाल को परेशानी से बचाना चाहते थे और पूरे घटनाक्रम को लोटे के ऐतिहासिक होने की तरफ मोड़ना चाहते थे। उनका उद्देश्य लाला जी की आर्थिक सहायता करना था जो अंग्रेज को प्रभावित किए बिना सम्भव नहीं था।
प्रश्न 4.
बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबन्ध कहाँ से किया था? लिखिए।
उत्तर:
बिलवासी जी ने पत्नी के सन्दूक से ढाई सौ रुपये चुपचाप निकाल लिए थे ताकि लाला जी की मदद की जा सके।
प्रश्न 5.
आपके विचार से अंग्रेज ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।
उत्तर:
अंग्रेज का पड़ोसी मेजर डगलस पुरानी चीजों के संग्रह का शौकीन था और उससे बाज़ी मारने का दावा करता था। मेज़र डगलस ने दिल्ली के एक मुसलमान से जहाँगीरी अण्डा खरीदा था। भला फिर यह अंग्रेज एक पीढ़ी पुराना अकबरी लोटा खरीदने में क्यों पीछे रहता। उसने लाला झाऊलाला को पाँच सौ रुपये देकर ऐतिहासिक अकबरी लोटा खरीद लिया ताकि मेज़र डगलस के ऊपर अपना प्रभाव जमा सके।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
“इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।” बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।
उत्तर:
बिलवासी जी ने यह बात लाला झाऊलाल से कही। बिलवासी जी अपनी पत्नी की सन्दूक से रुपये निकालकर लाये थे और यह बात लाला जी को नहीं बताना चाहते थे, इसलिए ऐसी बात कही।
प्रश्न 2.
“उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई।” समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।
उत्तर:
बिलवासी जी ने पत्नी की सन्दूक ले चुपचाप ढाई सौ रुपये निकाल लिये थे। उन्हें वापस सन्दूक में रखने के लिए पत्नी के गले से सोने की जंजीर में बँधी ताली निकालनी थी। इसी अवसर की तलाश में उन्हें नींद नहीं आ रही थी। पत्नी के सो जाने पर ही ताली ली जा सकती थी और रुपये सन्दूक में रखे जा सकते थे। यह समस्या बिलवासी जी की थी न कि लाला झाऊलाल की।
प्रश्न 3.
“लेकिन मुझे इसी जिदंगी में चाहिए।”
“अजी इसी सप्ताह में ले लेना।”
“सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?”
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए।
उत्तर:
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच हुई इस बातचीत से पता चलता है-
- लाला झाऊलाल बहुत अमीर आदमी न थे, बस जीवन-यापन कर रहे थे।
- पत्नी को उन पर विश्वास नहीं था।
- लाला जी पहले भी झूठे वायदे कर चुके होंगे अतः इस बार अपना वायदा पूरा करेंगे, इस बारे में पत्नी को सन्देह था। पत्नी लाला जी की तुलना में ज्यादा तेज़-तर्रार थी।
क्या होता यदि
प्रश्न 1.
अंग्रेज़ लोटा न खरीदता?
उत्तर:
यदि अंग्रेज लोटा न खरीदता तो लाला झाऊलाल को पाँच सौ रुपये नहीं मिलते। उन्हें पं. बिलवासी जी से ढाई सौ रुपये उधार लेने पड़ते।
प्रश्न 2.
यदि अंग्रेज पुलिस को बुला लेता?
उत्तर:
यदि अंग्रेज पुलिस को बुला लेता तो लाला झाऊलाल जी कानून के झमेले में फँसकर और परेशान होते।
प्रश्न 3.
जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती?
उत्तर:
चाबी निकालते समय बिलवासी जी की पत्नी जाग जाती तो उन्हें अपमानित होना पड़ता।
पता कीजिए
प्रश्न 1.
“अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।” उल्का क्या होती है? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होते हैं?
उत्तर:
उल्का पुच्छल तारे को कहते हैं। कुछ इसे टूटकर गिरने वाला तारा भी कहते हैं। यह एक प्रकार से तारे का टुकड़ा होता है। इसमें तेज़ रोशनी की पूँछ जैसी होती है। ये चट्टान, धूल और जमी हुई गैसें और धूल के कण सूर्य से विपरीत दिशा में फैल जाते हैं और सूर्य की रोशनी परिवर्तित कर चमकने लगते हैं। सिर का सिरा ज़्यादा चमकीला होता है। सूर्य की विपरीत दिशा का भाग पूँछ की तरह लगता है।
सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। इनकी घुमक्कड़ प्रवृत्ति के कारण इन्हें ग्रह कहा गया है।
प्रश्न 2.
“इस कहानी में आपने दो चीज़ों के बारे में मजेदार कहानियाँ पढ़ी-अकबरी लोटे की कहानी और जहाँगीरी अंडे की कहानी।”
आपके विचार से ये कहानियाँ सच्ची हैं या काल्पनिक?
उत्तर:
अकवरी लोटे की कहानी और जहाँगीरी अण्डे की कहानियाँ काल्पनिक हैं।
प्रश्न 3.
अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज़ के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार कहानी बनाइए।
उत्तर:
छात्र अपनी कल्पना के अनुसार ऐसी ही कहानी बना सकते हैं।
प्रश्न 4.
बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या गलत?
उत्तर:
बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबन्ध किया था, वह गलत था।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बजाय रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।
उत्तर:
- इस समय अगर दुम दबाकर निकल भागते हैं तो फिर उसे क्या मुँह दिखलाएँगे?
- अभी अगर यूँ कर देता हूँ तो बाल्टी में भोजन मिलेगा।
- लाला अपना गुस्सा पीकर पानी पीने लगे।
- लाला को काटो तो बदन में खून नहीं।
- अंग्रेज को उसने सांगोपांग स्नान कराया।
- अंग्रेजी भाषा में गालियों का ऐसा प्रकांड कोष है।
- मेजर डगलस की डींग सुनते-सुनते मेरे कान पक गए।
प्रश्न 2.
इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।
उत्तर:
- गोलियों की आवाज़ सुनते ही पहलवान साहब दुम दबाकर निकल गए।
- कमाकर नहीं ले जाएँगे तो परिवार वालों को क्या मुँह दिखाएँगे।
- बाहर जो शेर बने घूमते हैं, वे घर में आकर यूँ भी नहीं करते।
- बड़े भाई ऊल-जलूल बोलते रहे। मैं उनके सामने गुस्सा पीकर रह गया।
- सतीश दबे पाँव घर में घुसा ताकि पिता जी को उसके देरी से आने का पता न चल जाए।
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए-
1. यह लोटा न जाने किस अनाधिकारी के झोंपड़े पर काशीवास का सन्देश लेकर पहुंचेगा।
2. इसके बदले में उसे इसी प्रकार के दस सोने के लोटे प्रदान किए।
3. तो आप इस लोटे का क्या करिएगा ?
उत्तर:
1. यह लोटा न जाने किस अनधिकारी के झोंपड़े पर काशीवास का संदेश लेकर पहुँचेगा।
2. इसके बदले में उसे इसी प्रकार के सोने के दस लोटे प्रदान किए।
3. तो आप इस लोटे का क्या कीजिएगा?
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लाला झाऊलाल को दुकानों के किराये के रूप में मिलते थे-
(क) 200 रुपये मासिक
(ख) 100 रुपये मासिक
(ग) 50 रुपये मासिक
(घ) 250 रुपये मासिक
उत्तर:
(ख) 100 रुपये मासिक।
प्रश्न 2.
लाल झाऊलाल ने पत्नी को कितने समय में रुपये देने का वायदा किया?
(क) एक सप्ताह
(ख) एक माह
(ग) एक वर्ष
(घ) दो सप्ताह
उत्तर:
(क) एक सप्ताह।
प्रश्न 3.
लाला जी ने अपनी विपदा किसे सुनाई?
(क) पत्नी को
(ख) अंग्रेज को
(ग) पं. बिलवासी मिश्र को
(घ) किसी को भी नहीं
उत्तर:
(ग) पं. बिलवासी मिश्र को।
प्रश्न 4.
लोटे की गढ़न कैसी थी?
(क) सामान्य
(ख) सुन्दर
(ग) बेढंगी
(घ) प्रभावित करने वाली
उत्तर:
(ग) बेढंगी।
प्रश्न 5.
अंग्रेज को लोटे की चोट लगी-
(क) माथे पर
(ख) पैर पर
(ग) सिर पर
(घ) हाथ पर
उत्तर:
(ख) पैर पर।
प्रश्न 6.
अकबर ने ब्राह्मण को सोने के कितने लोटे दिये?
(क) पाँच
(ख) चार
(ग) दस
(घ) एक भी नहीं
उत्तर:
(ग) दस।
प्रश्न 7.
हुमायूं शेरशाह से हारकर किस रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था?
(क) सहारा
(ख) थार
(ग) गोबी
(घ) सिंध
उत्तर:
(घ) सिंध।
प्रश्न 8.
लोटे का प्लास्टर का मॉडल कहाँ रखा हुआ है?
(क) मुम्बई
(ख) कलकत्ता
(ग) चेन्नई
(घ) दिल्ली
उत्तर:
(ख) कलकत्ता।
प्रश्न 9.
अंग्रेज ने लोटा कितने रुपये में खरीदा ?
(क) 500 रुपये
(ख) 400 रुपये
(ग) 250 रुपये
(घ) 100 रुपये
उत्तर:
(क) 500 रुपये।
बोध-प्रश्न
निम्नलिखित अवतरणों को पढ़िए एवं पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) लोटे ने दाएँ देखा न बाएँ, वह नीचे गली की ओर चल पड़ा। अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया। किसी ज़माने में न्यूटन नाम के किसी खुराफती ने पृथ्वी की आकर्षण शक्ति नाम की एक चीज़ ईजाद की थी। कहना न होगा कि यह सारी शक्ति इस समय लोटे के पक्ष में थी।
प्रश्न 1.
लोटा किधर चल पड़ा और कैसे?
उत्तर:
लोटा नीचे गली की तरफ चल पड़ा। लोटे ने दाएँ देखा न बाएँ, वह नीचे की ओर जा रहा था।
प्रश्न 2.
लोटा किस वेग से आँखों से ओझल हो गया?
उत्तर:
लोटा उल्का के वेग को भी लजाता हुआ आँखों से ओझल हो गया।
प्रश्न 3.
किस खुराफाती ने पृथ्वी की आकर्षण शक्ति को ईजाद किया था?
उत्तर:
किसी ज़माने में न्यूटन नाम के खुराफाती ने पृथ्वी की आकर्षण-शक्ति को ईजाद किया था।
प्रश्न 4.
इस समय सारी शक्ति कहाँ मौजूद थी?
उत्तर:
इस समय सारी शक्ति लोटे के पक्ष में मौजूद थी अर्थात् वह शक्ति लोटे को नीचे की ओर ले जा रही थी।
(ख) “जी, जनाब। सोलहवीं शताब्दी की बात है। बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हारकर भागा था और सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था। एक अवसर पर प्यास से उसकी जान निकल रही थी। उस समय एक ब्राह्मण ने इसी लोटे से पानी पिलाकर उसकी जान बचाई थी। हुमायूँ के बाद अकबर ने उस ब्राह्मण का पता लगाकर उससे इस लोटे को ले लिया और इसके बदले में उसे इसी प्रकार के दस सोने के लोटे प्रदान किए। यह लोटा सम्राट अकबर को बहुत प्यारा था। इसी से इसका नाम अकबरी लोटा पड़ा। वह बराबर इसी से वजू करता था। सन् 57 तक इसके शाही घराने में रहने का पता है। पर इसके बाद लापता हो गया। कलकत्ता के म्यूजियम में इसका प्लास्टर का मॉडल रंखा हुआ है। पता नहीं यह लोटा इस आदमी के पास कैसे आया? म्यूजियम वालों को पता चले तो फैंसी दाम देकर खरीद ले जाएँ।”
प्रश्न 1.
बादशाह हुमायूँ किससे हारकर भागा था? वह कहाँ मारा-मारा फिर रहा था?
उत्तर:
बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हारकर भागा था। वह सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिरा था।
प्रश्न 2.
हुमायूँ को किसने पानी पिलाया था?
उत्तर:
एक ब्राह्मण ने हुमायूँ को पानी पिलाया था।
प्रश्न 3.
बाद में लोटे को किसने ले लिया और इसके बदले में क्या दिया?
उत्तर:
बाद में इस लोटे को उस ब्राह्मण से अकबर ने ले लिया और बदले में उसको सोने के दस लोटे प्रदान किये।
प्रश्न 4.
लोहे का नाम अकबरी लोटा क्यों पड़ा?
उत्तर:
यह लोटा सम्राट अकबर को बहुत प्यारा था, इसलिए इसका नाम अकबरी लोटा पड़ा।
प्रश्न 5.
अकबर इस लोटे को किस रूप में इस्तेमाल करता था?
उत्तर:
अकबर हमेशा इसी लोटे से वजू करता था।
प्रश्न 6.
यह लोटा शाही घराने में कब तक रहा?
उत्तर:
यह लोटा शाही घराने में 1857 तक रहा।
प्रश्न 7.
कलकत्ता के म्यूजियम में लोटे का कौन-सा मॉडल रखा हुआ है?
उत्तर:
कलकत्ता के म्यूजियम में लोटे का प्लास्टर का मॉडल रखा हुआ है।
प्रश्न 8.
म्यूज़ियम वालों को पता चले तो क्या होगा?
उत्तर:
म्यूज़ियम वालों को पता चले तो वे फैंसी दाम देकर इस लोटे को खरीद लेंगे।
प्रश्न 9.
क्या ऊपर दिए गए लोटे सम्बन्धी विवरण सही हैं?
उत्तर:
ऊपर दिए गए लोटे सम्बन्धी विवरण काल्पनिक हैं और केवल मनोरंजन के लिए दिए गए हैं।
(ग) उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। वे चादर लपेटे चारपाई पर पड़े रहे। एक बजे वे उठे। धीरे, बहुत से अपनी सोई हुई पत्नी के गले से उन्होंने सोने की वह सिकड़ी निकाली जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। फिर उसके कमरे में जाकर उन्होंने उस ताली से संदूक खोला। उसमें ढाई सौ के नोट ज्यों-के-त्यों रखकर उन्होंने उसे बंद कर दिया। फिर दबे पाँव लौटकर ताली को उन्होंने पूर्ववत् अपनी पत्नी के गले में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने हँसकर अंगड़ाई ली। दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चैन की नींद सोए।
प्रश्न 1.
एक बजे बिलवासी जी ने उठकर क्या किया?
उत्तर:
एक बजे बिलवासी जी ने धीरे से उठकर सोई हुई पत्नी के गले से सोने की वह जंजीर निकाली जिसमें एक ताली बँधी थी।
प्रश्न 2.
बिलवासी जी ने सन्दूक में क्या रखा?
उत्तर:
बिलवासी जी ने सन्दूक में ढाई सौ रुपये रखे।
प्रश्न 3.
ये रुपये किसके रहे होंगे? आपने कैसे अनुमान लगाया?
उत्तर:
‘ढाई सौ के नोट ज्यों-के-त्यों रखने’ के प्रसंग से ज्ञात होता है कि ये रुपये बिलवासी जी की पत्नी के रहे होंगे।
प्रश्न 4.
बिलवासी जी ने हँसकर अंगड़ाई क्यों ली? अपने अनुमान से बताइए।
उत्तर:
बिलवासी जी ने हँसकर अंगड़ाई इसलिए ली कि बिना कुछ खर्च किए अपनी चालाकी से लाला झाऊलाल की मदद भी कर दी और ढाई सौ रुपये चुपचाप संदूक में रख दिये। पत्नी को भी खबर नहीं हुई।
प्रश्न 5.
बिलवासी जी चैन की नींद क्यों सोते रहे?
उत्तर:
बिलवासी जी अपने काम में बिना किसी बाधा के सफल हो गए थे, इसीलिए वे चैन की नींद सोते रहे।
अकबरी लोटा Summary
पाठ का सार
लाला झाऊलाल काशी में आराम का जीवन बिताते थे। पत्नी ने एकाएक ढाई सौ रुपये की माँग रख दी तो झाऊलाल एक बार सन्नाटे में आ गए। पत्नी ने भाई से रुपये लेने की बात की तो लाला जी को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने एक सप्ताह का समय माँगा। चार दिन बीत गए पर रुपयों का इतंजाम नहीं हुआ। लाला जी को अपना वायदा पूरा करना कठिन लगा। अब पत्नी को क्या मुँह दिखाएँगे? पाँचवें दिन घबराकर उन्होंने पं. बिलवासी मिश्र को अपनी परेशानी बताई। मिश्र जी की जेब भी उस समय खाली थी। फिर भी उन्होंने कोशिश करने का भरोसा दिलाया और कल शाम तक व्यवस्था करने की बात की। इंतज़ाम न होने पर लाला जी को अपनी हेकड़ी से हाथ धोना पड़ेगा।
लाला जी परेशान थे और छत पर टहल रहे थे। नौकर को पानी लाने के लिए आवाज़ दी। नौकर नहीं था, पत्नी ही पानी ले आई। गिलास लाना भूल गई थी। लाला जी लोटे से ही पानी पीने लगे। उन्हें यह बेढंगा लोटा पसन्द नहीं था। छत की मुँडेर के पास खड़े होकर पानी पीने लगे। हाथ हिलने से लोटा छूट गया और तिमंजले से नीचे की ओर बढ़ा। तभी नीचे हल्ला हुआ। लोटा एक अंग्रेज को जा लगा। भीड़ आँगन में घुस आई थी। ठीक उसी समय पं. बिलवासी जी आ पहुँचे। भीड़ को बाहर निकाला। अंग्रेज को कुर्सी पर बैठाया। अंग्रेज ने लाला जी को खतरनाक पागल बताया तो पंडित जी ने खतरनाक मुजरिम करार दिया और अंग्रेज को पुलिस स्टेशन ले जाने की सलाह दे डाली। चलने से पहले बिलवासी जी ने लोटे को खरीदने की बात की। उन्होंने लोटे को ऐतिहासिक बताया।
पंडित जी के ऐतिहासिक ज्ञान के अनुसार बादशाह हुमायूँ ने सिन्ध के रेगिस्तान में भागते समय इसी लोटे से पानी पिया था। जिस ब्राह्मण का यह लोटा था, उससे बाद में अकबर ने यह लोटा ले लिया था। बदले में उसको सोने के दस लोटे प्रदान किए थे। अकबर इसी से वजू करता था। सन् 1857 तक यह शाही घराने में रहा। इसके बाद लापता हो गया। म्यूजियम वाले बढ़िया दाम देकर इसे खरीद लेंगे। अंग्रेज ने सुना तो उत्सुक हो उठा। फिर पं. बिलवासी और अंग्रेज दोनों में लोटे को खरीदने की होड़ लग गई। बिलवासी जी ने ढाई सौ रुपये की बोली लगाई तो अंग्रेज पाँच सौ रुपये देने को तैयार हो गया। वह मेज़र डगलस के सामने अपना रौब दिखाना चाहता था कि उसके पास अकवरी लोटा है। डगलस यहाँ से जहाँगीरी अंडा ले गए थे। अकबरी लोटा तो एक पीढ़ी पुराना हुआ।
लाला झाऊलाल को अंग्रेज पाँच सौ रुपये देकर और लोटा लेकर चला गया। लाला जी की बढ़ी हुई दाढ़ी का एक-एक वाल खुशी से लहरा रहा था। बिलवासी जी अपने घर चले गए। उन्होंने अपनी पत्नी के संदूक से जो ढाई सौ रुपये निकाले थे, चुपचाप वापस रख दिए और चैन की नींद सोए।
शब्दार्थ : ठठेरी बाज़ार-वह बाज़ार जहाँ बर्तन बनाने का काम होता है; आँख सेंकना-आँखों को ठण्डक पहुँचाना, देखने का सुख प्राप्त करना; सनसनाया-हिला, सन-सन की आवाज़ की। प्रतिष्ठा-इज़्जत; वाहवाही-प्रशंसा; गाथाएँ-कहानियाँ चारों खाने चित्त होना-हार जाना; मुँह खोलकर सवाल करना-माँगना; दुम दबाकर निकलना-डरकर भागना; मुँह दिखाना-सामना करना; विपदा-परेशानी; संयोग-अवसर; खुक्ख-खाली, परम दरिद्र; माँग-जाँचकर-माँगकर; हेकड़ी-अकड़ डामलफाँसी-देश निकाला, आजीवन कारावास; मरोड़ पैदा होना-परेशानी होना; उधेड़-बुन-ऊहापोह-पशोपेश; गढ़न-बनावट; अदब-सम्मान; गनीमत-संतोष की बात; चूँ कर देना-विरोध करना, मना करना; गुस्सा पीना-क्रोध को काबू में रखना; उल्का-पुच्छल तारा, टूटकर गिरने वाला तारा, मशाल; खुराफाती-उपद्रव करने वाला; ईजाद-खोज करना; काटो तो खून नहीं-बहुत अधिक घबराहट; हँसी-खेल-मामूली बात; अनधिकारी-जिसको अधिकार न मिला हो; नख शिख से-नीचे से ऊपर तक, नाखून से शिखा तक; सायबान-वह छप्पर या कपड़े आदि का पर्दा जो धूप आदि से बचाव के लिए मकान या दुकान के आगे लगाया जाता है; सांगोपांग (सा + अंग + उप + अंग)-पूरी तरह, ऊपर से नीचे तक; प्रकांड-बहुत बड़ा; शख्स-व्यक्ति; इजाज़त-अनुमति; म्यूज़ियम-अजायबघर; फैंसी-बढ़िया; दून की-दुगुने की; सहेजना-सँभालकर रखना; मनमोहक-मन को मोहित करने वाला; सिकड़ी-जंजीर; पूर्ववत्-पहले की तरह; दबे पाँव-चुपचाप;
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