NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद

These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

सूरदास के पद NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15

Class 8 Hindi Chapter 15 सूरदास के पद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?
उत्तर:
दूध पीने से उनकी चोटी बलराम की चोटी की तरह लम्बी और मोटी हो जाएगी। इसी लोभ के कारण बालक श्रीकृष्ण दूध पीने के लिए तैयार हुए।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
उत्तर:
अपनी चोटी के बारे में श्रीकृष्ण सोच रहे थे कि काढ़ते समय, मूंथते समय और नहाते समय मेरी चोटी नागिन की तरह भूमि पर लहराने लगेगी अर्थात् उनकी चोटी इतनी लम्बी हो जाएगी कि भूमि का भी स्पर्श कर लेगी।

प्रश्न 3.
दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?
उत्तर:
श्री कृष्ण दूध की तुलना में माखन-रोटी को अधिक पसन्द करते हैं।

प्रश्न 4.
‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’-पंक्तियों में ग्वालिन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
उत्तर:
इन पंक्तियों में ग्वालन के मन में आए उलाहने और उपेक्षा के भाव प्रकट हुए हैं।

प्रश्न 5.
मक्खन चुराते और खाते समय श्री कृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
उत्तर:
श्रीकृष्ण जानबूझकर मक्खन नहीं बिखराते हैं। वे जब अपने सखाओं को भी मक्खन देते हैं तो कुछ मक्खन न चाहते हुए भी हड़बड़ी में गिर जाता है।

प्रश्न 6.
दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर:
पहले पद में श्रीकृष्ण की बालसुलभ चेष्टाओं का वर्णन किया गया है जो उसके भोलेपन और निश्छल स्वभाव को सूचित करता है। इसलिए हमें यह पद अधिक अच्छा लगा।

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
उत्तर:
हमारे अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र 7-8 साल की रही होगी।

प्रश्न 2.
ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।
उत्तर:
माँ के एक बार सबसे छुपाकर कोठरी में लड्डू रखे थे। मैंने धीरे-धीरे करके सब लड्डू खा लिये। जब माँ का सन्देह छोटी बहिन पर गया तो मैंने अपना पूरा कारनामा माँ को बता दिया। श्रीकृष्ण भी इसी तरह चुपचाप अपने या दूसरों के घर में से मक्खन चुराकर खा लेते थे।

प्रश्न 3.
किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।
उत्तर:
घर में मेरी गुल्लक में पैसे डाले गए थे। मैंने बीच-बीच में उसमें से पैसे निकालकर स्कूल की कैंटीन से समोसे खरीदकर खा लिये। महीने भर बाद जब मेरी गुल्लक देखी गई तो उसमें कोई पैसा नहीं था। पिता जी ने कसकर डाँटा तो मुझे सब कुछ बता देना पड़ा।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुराने वाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।
उत्तर:
इसके लिए एक शब्द है-माखनचोर

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द हैं-
गिरिधर, मुरलीधर, पीताम्बर, यशोदानंदन, माघव।

प्रश्न 3.
कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थ वाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं और कुछ विपरीत अर्थ वाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे-
पर्यायवाची-
चंद्रमा – राशि, इंदु, राका
मधुकर – भ्रमर, भौंरा, मधुप
सूर्य – रवि, भानु, दिनकर

विपरीतार्थक-
दिन – रात
श्वेत – श्याम
शीत – उष्ण
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।
उत्तर:
मिलते-जुलते अर्थ वाले शब्द
बेनी-चोटी
हलधर-बल
लाल-पूत-ढोटा

विलोम अर्थ वाले शब्द
छोटी – लम्बी
शहर – गाँव
बहुत – कम
जवान – बूढ़ा
व्यक्तिगत – सामाजिक
अच्छाई – बुराई

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण को सबसे अधिक क्या पसन्द था?
(क) दूध
(ख) माखन-रोटी
(ग) रोटी
(घ) छाछ
उत्तर:
(ख) माखन-रोटी।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के बड़े भाई का नाम क्या था?
(क) सुदामा
(ख) श्रीदामा
(ग) बलराम
(घ) मनसुखा
उत्तर:
(ग) बलराम।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण छीके से गोरस कैसे उतार लेते थे?
(क) ओखली पर चढ़कर
(ख) सीढ़ी से
(ग) उछलकर
(घ) नीचे खड़े होकर
उत्तर:
(क) ओखली पर चढ़कर।

प्रश्न 4.
गोपी ने यशोदा को उलाहना देते हुए किस प्रकार के पुत्र की बात कही?
(क) आज्ञाकारी
(ख) अनोखा
(ग) बहुत भला
(घ) समझदार
उत्तर:
(ख) अनोखा।

प्रश्न 5.
गोपी ने प्रतिदिन होने वाली किस हानि की बात की?
(क) भोजन
(ख) रुपया
(ग) गोरस
(घ) दही का बर्तन
उत्तर:
(ग) गोरस।

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद

सप्रसंग व्याख्या

(क) मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, है है लाँबी-मोटी।
काँचो दूध पियावत पचि-पचिए देतिन माखन-रोटी।
सूरज चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।

शब्दार्थ : कबहि-कब; बढेगी-बढ़ेगी; किती-कितनी; बार-समय,देरी; मोहिं-मुझे पियत भई-पीते हो गया; अजहूँ-आज भी; बल-बलराम; बेनी-वेणि, चोटी; ज्यौं-समान; दै-हो जाएगी; लाँबी-लम्बी; काढ़त-काढ़ना; गुहत-Dथना; न्हवावत-नहाते समय; नागिनी सी-साँपिन की तरह; भुइँ-भूमि पर; लोटी-लेटी; काँचों-कच्चा; पियावत-पिलाती है; पचि-पचि-बार-बार; सूरज-सूरदास; चिरजीवौ-चिरंजीव रहो, लम्बी उम्र वाले बनो; हरि-कृष्ण; हलधर-बलराम; जोटी-जोड़ी।

प्रसंग- यह पद ‘सूरदास के पद’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचनाकार भक्त कवि ‘सूरदास’ जी हैं। यशोदा कृष्ण को दूध पिलाती हैं और कहती हैं कि इससे तुम्हारी चोटी बड़ी हो जाएगी। कृष्ण जी को यशोदा की बात पर भरोसा नहीं होता। .

व्याख्या- श्रीकृष्ण जी यशोदा से पूछते है कि हे माँ मेरी चोटी कब बड़ी होगी? मुझे दूध पीते हुए कितना समय बीत गया है, परन्तु मेरी चोटी तो पहले की तरह छोटी ही है। तू तो कहती है कि दूध पीने से तेरी चोटी बलराम की चोटी की तरह लम्बी और मोटी हो जाएगी, काढ़ते समय, मूंथते समय और नहाते समय चोटी नागिन की तरह धरती पर लोटने लगेगी, लगता है तू मुझे कच्चा दूध पिलाती है। बार-बार माँगने पर भी मक्खन और रोटी खाने के लिए नहीं देती है। कवि सूरदास कृष्ण की इन बाल सुलभ बातों से भाव-विभोर होकर कहते हैं कि कृष्ण और बलराम इन दोनों भाइयों की यह जोड़ी चिरंजीवी हो।

विशेष-

  1. कृष्ण की बाल-सुलभ चेष्टाओं का सहज एवं सुन्दर चित्रण हुआ है।
  2. ब्रज भाषा का प्रयोग, वाल्सल्य रस
  3. ‘नागिनी-सी’ में उपमा अलंकार है
  4. ‘हरि-हलधर’ में अनुप्रास अलंकार है।

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 15 सूरदास के पद

(ख) तेरै लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूंढि-ढंढोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सींके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनैं ढंग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।

शब्दार्थ : लाल-पुत्र; दुपहर-दोपहर; दिवस-दिन; सूनो-सूना; दूँढ़ि-ढूंढ़कर; आपही-खुद ही; किवारि-किवाड़; पैठि-घुसकर; मंदिर-घर; मैं-में, भीतर; सखनि-मित्रों को; खवायौ-खिलाता है; चढ़ि-चढ़कर; सीके-छीके; लीन्हौ-लेना; अनभावत-जो अच्छा नहीं लगा; भुइँ-भूमि; ढरकायौ-गिरा दिया; गोरस-गाय के दूध से बने पदार्थ; ढोटा-पुत्र; कौनैं-कोई; ढंग-तरीका; हटकि न राखै-रोककर नहीं रखती; तें-त; अनोखौ-अनोखा; जायौ-पैदा किया।

प्रसंग- यह पद ‘सूरदास के पद’ से उद्धृत है। इस पद में सूरदास ने गोपियों की शिकायत को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है। कृष्ण क्या-क्या शरारत करते हैं, एक गोपी उलाहना देकर यशोदा से कहती है

व्याख्या- हे यशोदा! तेरे पुत्र कृष्ण ने मेरा मक्खन खा लिया है। दोपहर के समय घर को सुना देखकर, ढूँढ़ते-ढाँढ़ते खुद ही आ पहुँचे। किवाड़ खोल कर घर में घुस गए। घर में जो भी दूध और दही था, वह सब मित्रों को खिला दिया। ओखली पर चढ़कर छीके पर जो कुछ भी रखा था, उसे उतार लिया। जो अच्छा नहीं लगा, उसे ज़मीन पर गिरा दिया। इस प्रकार हमारे गोरस की रोज हानि हो रही है। यह लड़का तरह-तरह की अनोखी शरारत करता रहता है। सूर गोपी की यशोदा को कही तीखी बात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि अपने कृष्ण को तुम रोक कर नहीं रखतीं। लगता है तुमने ही अनोखे पूत को जन्म दिया है।

विशेष-

  1. गोपी के उलाहने को स्वाभाविक रूप में प्रस्तत किया है।
  2. ‘दुपहर दिवस’ ढूँढ़ि-टॅढ़ोरि, दूध-दही, सब सखनि, हानि होत, सूर स्याम-में अनुप्रास अलंकार का सौन्दर्य दर्शनीय है।
  3. ‘ते ही पूत अनोखौ जायौ’ का भाव है कि पुत्र तो औरों के यहाँ भी पैदा होते हैं। तुम कोई विशेष नहीं हो, जिसने अनोखा पुत्र पैदा किया हो।
error: Content is protected !!