NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 16 पानी की कहानी

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पानी की कहानी NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 16

Class 8 Hindi Chapter 16 पानी की कहानी Textbook Questions and Answers

पाठ से

प्रश्न 1.
लेखक को ओस की बूंद कहाँ मिली?
उत्तर:
लेखक को ओस की बूंद बेर की झाड़ी पर मिली। वह उसके हाथ पर आ पड़ी; फिर कलाई से सरक कर हथेली पर आ गई।

प्रश्न 2.
ओस की बूंद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?
उत्तर:
ओस की बूँद क्रोध और घृणा से काँप उठी क्योंकि पेड़ बहुत बेरहम होते हैं। वे जलकणों को पृथ्वी के भीतर खींच लेते हैं। कुछ को पेड़ एकदम खा जाते हैं और अधिकतर का सब कुछ छीनकर उन्हें बाहर निकाल देते हैं।

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज (पुरखा) क्यों कहा?
उत्तर:
हाइड्रोजन और ऑक्सीज़न के मिलने से पानी बनता है; इसलिए पानी ने इनको अपना पूर्वज कहा है।

प्रश्न 4.
‘पानी की कहानी’ के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक क्रिया से पानी बनता है। पानी की बूंद भाप के रूप में घूमती है। ठंडक मिलने से वह ठोस बर्फ का रूप धारण कर लेती है। वही बूंद गर्म जलधारा के रूप में मिलकर फिर पानी बन जाती है। वाष्प बनने पर फिर वही-बूंद बादल बनकर बरस पड़ती है।

प्रश्न 5.
कहानी के अंत और आरम्भ के हिस्से को पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूंद लेखक को आप बीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?
उत्तर:
ओस की बूँद सूर्य की प्रतीक्षा कर रही थी।

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पाठ से आगे

प्रश्न 1.
जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।
उत्तर:
महासागरों का जल भाप बनकर वायुमण्डल में बादल का रूप धारण करता है। बादल का पानी बरसकर फिर धरती पर आ जाता है एवं फिर समुद्र में जाकर मिल जाता है। यही चक्र जलचक्र है। लेखक ने पानी के ठोस, गैस एवं तरल रूपों की विस्तार से चर्चा की है।

प्रश्न 2.
“पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूंद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।
उत्तर:
मैं हूँ आलू का पापड़। मैं छोटे-छोटे बीज के रूप में था। किसान ने खेत की जुताई करके मुझे जमीन में दबा दिया। मेरा दम घुटने लगा। मुझे लगा मेरे प्राण पखेरू उड़ जाएंगे। किसान ने सिंचाई की। मुझसे अंकुर निकलने लगे और ऊपर की कोमल जमीन को चीरकर खुली हवा में साँस लेने का मौका मिला । ठण्ड पड़ने लगी। लगा कि मेरे पत्ते सूख जाएँगे। किसान ने सिंचाई करके मुझे सुखने से बचाया। कुछ कीट-पंतगों ने भी मेरे स्वास्थ्य को खराब करने का बीड़ा उठाया। मेरा मालिक बहुत होशियार था। उसने कीटनाशक छिड़ककर मुझे होने वाली बीमारियों से छुटकारा दिला दिया। मैं धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। जमीन के भीतर मेरा आकार बढ़ने लगा।

किसान ने खुदाई करके मुझे बाहर निकाल लिया। बाहर का संसार बहुत सुन्दर था। एक दिन एक हलवाई मुझे खरीदकर ले गया। उसने पहले मुझे बड़े-बड़े भगौनों में उबाला। फिर मेरा छिलका बड़ी बेरहमी से उतारा। मेरी आँखों में इस हलवाई ने नमक-मिर्च झोंक दीं, मसाला भी मिला दिया। मुझे बुरी तहर कुचलकर बेलन से बेला और पापड़ बनाए। वह मुझे इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था। उसने मुझे तेज़ धूप में डाल दिया। मैं रो भी नहीं सकता था। इसके बाद उसने मुझे खौलते तेल में डालकर तला। आल से पापड़ बनने की यह मेरी कष्टकारी यात्रा थी।

प्रश्न 3.
समुद के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गर्मी क्यों नहीं पड़ती है?
उत्तर:
समुद्र तट के पास पानी होने के कारण वहाँ का तापमान दिन में अधिक नहीं बढ़ पाता और रात में अधिक कम नहीं हो पाता; इसीलिए समुद्र तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गर्मी नहीं पड़ती है।

प्रश्न 4.
पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र विज्ञान शिक्षक से यह जानकारी प्राप्त करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर ओस की बूंद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूंद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और जल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भाँति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं लिखें।

प्रश्न 2.
अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थों से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बफ) हलकी होती है। इसका कारण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पानी बर्फ बनने पर अधिक स्थान घेरता है जिससे उसका घनत्व कम हो जाता है। अधिक स्थान घेरने पर ज्यादा ठण्ड में पानी की आपूर्ति की पाइपलाइन फट जाती है।

प्रश्न 3.
पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायुप्रदूषण, भूमिप्रदूषण जैसी आपदा हमारे सिर पर खड़ी हैं। इनके दुष्प्रभाव हमारे जीवन पर लगातार पड़ रहे हैं। प्रत्येक पक्ष पर विचार-विमर्श करके छात्र लेख तैयार करें।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
किसी भी क्रिया को संपन्न अथवा पूरा करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं; जैसे-“वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।”
जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़ने वाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों;
जैसे-कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भली-भाँति परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
उदाहरण-
1. भारतवर्ष सदा कानून को धर्म के रूप में देखता आ रहा है।
(भारतवर्ष-कर्ता, कानून को-कर्म धर्म के सम्बन्ध, रूप में-अधिकरण)

2. कुछ नौजवानों ने ड्राइवर को पकड़कर मारने-पीटने का हिसाब बनाया।
(नौजवानों ने कर्ता, ड्राइवर-कर्म, मारने-पीटने का-सम्बन्ध)?

3. सुबह घर पहुँच जाएँगे। (घर-कर्म)

4. बस-कम्पनी के एक हिस्सेदार भी उसी बस से जा रहे थे।
(हिस्सेदार-कर्ता, बस से-करण)

5. सारा घर धूल से अट गया।
(घर-कर्ता, धूल से-करण)

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मोती-सी एक बूंद मेरे हाथ पर आ पड़ी। कहाँ से?
(क) आसमान से
(ख) आम के पेड़ से
(ग) बेर की झाड़ी से
(घ) बादलों से
उत्तर:
(ग) बेर की झाड़ी से।

प्रश्न 2.
क्रोध और घृणा से उसका शरीर काँप उठा। किसका ?
(क) लेखक का
(ख) ओस की बूंद का
(ग) मछली का
(घ) नदी का
उत्तर:
(क) ओस की बूंद का।

प्रश्न 3.
फटी हुई पृथ्वी से इनमें से कौन-सा पदार्थ नहीं निकला?
(क) लपटें
(ख) धुआँ
(ग) रेत
(घ) पीतल
उत्तर:
(घ) पीतल।

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प्रश्न 4.
नदी तट पर ऊँची मीनार से किस रंग की हवा निकल रही थी?
(क) भूरे रंग की
(ख) काली-काली
(ग) बैंगनी
(घ) नीली
उत्तर:
(ख) काली-काली।

प्रश्न 5.
बूँद कहाँ नहीं पहुंची थी?
(क) मोटे नल में
(ख) टूटे नल में
(ग) बोतल में
(घ) पृथ्वी में
उत्तर:
(ग) बोतल में।

प्रश्न 6.
बूंद किसका इन्तज़ार कर रही थी?
(क) सूर्य का
(ख) समुद्र का
(ग) बेरं के पेड़ का
(घ) मछली का
उत्तर:
(क) सूर्य का।

प्रश्न 7.
हमारी पृथ्वी प्रारम्भ में क्या थी?
(क) जंगल से भरी
(ख) नदियों से भरी
(ग) आग का एक बड़ा गोला
(घ) चट्टानों से भरी हुई
उत्तर:
(ग) आग का एक बड़ा गोला।

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन और आक्सीजन किसके पुरखे हैं?
(क) सूर्य के
(ख) पृथ्वी के
(ग) चन्द्रमा के
(घ) पानी के
उत्तर:
(घ) पानी के।

प्रश्न 9.
ओस की बूंद ने समुद्र में क्या नहीं देखा?
(क) घोंघे
(ख) पेंग्विन
(ग) कई-कई मन भारी कछुवे
(घ) जालीदार मछलियाँ
उत्तर:
(ख) पेंग्विन।

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बोध-प्रश्न

एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
प्रदूषण के महासंकट से निपटने के लिए विश्वभर के राष्ट्रों की बैठक कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
प्रदूषण के महासंकट से निपटने के लिए विश्व के राष्ट्रों की बैठक 5 जून, 1972 को स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुई।

प्रश्न 2.
प्रत्येक वर्ष पर्यावरण-दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर:
पर्यावरण-दिवस 5 जून को मनाया जाता है।

प्रश्न 3.
पृथ्वी सम्मेलन, कहाँ और कब आयोजित किया गया?
उत्तर:
‘पृथ्वी सम्मेलन’ रियो डि जेनेरो (ब्राजील) में 1992 में आयोजित किया गया?

प्रश्न 4.
प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र के दो प्रमुख घटक बताइए।
उत्तर:
प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र के दो प्रमुख घटक जैविक और अजैविक मण्डल हैं।

प्रश्न 5.
जैवमण्डल का निर्माण किन पाँच तत्त्वों से होता है?
उत्तर:
जैवमण्डल का निर्माण भूमि, गगन, वायु, अग्नि और जल-इन पाँच तत्त्वों से होता है।

प्रश्न 6.
पर्यावरण किन दो शब्दों के योग के बना है?
उत्तर:
पर्यावरण-परि + आवरण से मिलकर बना है।

प्रश्न 7.
‘पर्यावरण’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
‘पर्यावरण’ का अर्थ है-वह आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए है।

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प्रश्न 8.
प्रकृति के असंतुलन के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर:
प्रकृति के असंतुलन के मुख्य कारण हैं- वनों का विनाश, अवैध व असंगत उत्खनन, कोयला, पेट्रोल, डीजल के उपयोग में बेतहाशा वृद्धि तथा कल-कारखानों का विस्तार।

प्रश्न 9.
ओजोन गैस की परत का लाभ क्या है?
उत्तर:
यह गैस सूर्य से आने वाली हानिकारक गैसों को रोकती है और धरती के लिए रक्षा-कवच का काम करती है।

प्रश्न 10.
ग्लोबल वार्मिंग का क्या खतरा है?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग से द्वीप समूहों एवं महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों के डूब जाने का खतरा है।

प्रश्न 11.
‘ग्रीन हाउस प्रमुख’ क्या है?
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग के कारण जो दुष्प्रभाव पड़ता है, उसे ‘ग्रीन हाउस प्रमुख’ कहा जाता है।

बोध-प्रश्न

(क) “हैं, उनके वंशज अपनी भयावह लपटों से अब भी उनका मुख उज्ज्वल किए हुए हैं। हाँ, तो मेरे पुरखे बड़ी प्रसन्नता से सूर्य के धरातल पर नाचते रहते थे। एक दिन की बात है कि दूर एक प्रचंड प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। उनकी आँखें चौंधियाने लगीं। यह पिंड बड़ी तेजी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। ज्यों-ज्यों पास आता जाता था, उसका आकार बढ़ता जाता था। यह सूर्य से लाखों गुना बड़ा था। उसकी महान आकर्षण-शक्ति से हमारा सूर्य काँप उठा। ऐसा ज्ञात हुआ कि उस ग्रहराज से टकराकर हमारा सूर्य चूर्ण हो जाएगा। वैसा न हुआ। वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूम चला, परंतु उसकी भीषण आकर्षण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला। सूर्य से टूटा हुआ भाग इतना भारी खिंचाव सँभाल न सका और कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।”

प्रश्न 1.
भयावह लपटों से अब भी किसका मुख उज्ज्वल किए हुए हैं?
उत्तर:
भयावह लपटों से अब भी सूर्य का मुख उज्ज्वल किए हुए है।

प्रश्न 2.
प्रचण्ड प्रकाश किस प्रकार का था?
उत्तर:
प्रचण्ड प्रकाश आँखें चौंधियाने वाला था।

प्रश्न 3.
पिण्ड तेजी से किस ओर बढ़ रहा था?
उत्तर:
पिण्ड तेज़ी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था।

प्रश्न 4.
सूर्य के पास आने पर पिण्ड कैसा लग रहा था?
उत्तर:
सूर्य के पास आने पर पिण्ड का आकार बड़ा होता जा रहा था।

प्रश्न 5.
पिण्ड का सूर्य पर क्या प्रभाव पड़ने लगा।
उत्तर:
पिण्ड की आकर्षण शक्ति से सूर्य काँपने लगा। लगता था इससे सूर्य चूर-चूर हो जाएगा।

प्रश्न 6.
वह पिण्ड कहाँ से घूमकर चला गया।
उत्तर:
वह पिण्ड सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही घूमकर चला गया।

प्रश्न 7.
उस पिण्ड की भीषण आकर्षण-शक्ति का क्या असर हुआ?
उत्तर:
उस पिण्ड की भीषण आकर्षण शक्ति से सूर्य का एक भाग टूटकर उसके पीछे चला गया।

प्रश्न 8.
हमारी पृथ्वी कौन-सा टुकड़ा है और किसका टुकड़ा है?
उत्तर:
सूर्य से टूटा हुआ भाग कई टुकड़ों में टूट गया। उन्हीं टुकड़ों में से एक हमारी पृथ्वी बन गई।

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(ख) मैं और गहराई की खोज में किनारों से दूर गई तो मैंने एक ऐसी वस्तु देखी कि मैं चौंक पड़ी। अब तक समुद्र में अँधेरा था, सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था और बल लगाकर देखने के कारण मेरे नेत्र दुखने लगे थे। मैं सोच रही थी कि.यहाँ पर जीवों को कैसे दिखाई पड़ता होगा कि सामने ऐसा जीव दिखाई पड़ मानो कोई लालटेन लिए घूम रहा हो। यह एक अत्यंत सुंदर मछली थी। इसके शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी जो इसे मार्ग दिखलाती थी। इसका प्रकाश देखकर कितनी छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं और यह जब भूखी होती थी तो पेट भर उनका भोजन करती थी।”

प्रश्न 1.
अब तक समुद्र में प्रकाश की स्थिति क्या थी?
उत्तर:
अब तक समुद्र में अँधेरा था। सूर्य का प्रकाश कुछ ही भीतर तक पहुँच पाता था।

प्रश्न 2.
बूंद ने ऐसी क्या चीज़ देखी थी, जिसे देखकर बूँद चौंक पड़ी?
उत्तर:
द को एक ऐसा जीव दिखाई दिया, जो मानो लालटेन लिये घूम रहा हो। यह जीव एक सुन्दर मछली थी।

प्रश्न 3.
इस प्रकाश वाली मछली की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
इस मछली के शरीर से एक प्रकार की चमक निकलती थी, जो इसे मार्ग दिखलाती थी।

प्रश्न 4.
इसके प्रकाश का अन्य मछलियों पर क्या प्रभाव पड़ता था?
उत्तर:
इस मछली के प्रकाश से प्रभावित होकर छोटी-छोटी अनजान मछलियाँ इसके पास आ जाती थीं। जब यह भूखी होती थी तो इन छोटी मछलियों से अपना पेट भर लेती थी।

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(ग) सरिता के वे दिवस बड़े मजे के थे। हम कभी भूमि को काटते, कभी पेड़ों को खोखला कर उन्हें गिरा देते। बहते-बहते मैं एक दिन एक नगर के पास पहुँची। मैंने देखा कि नदी के तट पर एक ऊँची मीनार में से कुछ काली-काली हवा निकल रही है। मैं उत्सुक हो उसे देखने को क्या बढ़ी कि अपने हाथों दुर्भाग्य को न्यौता दिया। ज्योंही मैं उसके पास पहुँची अपने और साथियों के साथ एक मोटे नल में खींच ले गई। कई दिनों तक मैं नल-नल घूमती फिरी। मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी। भाग्य मेरे साथ था। बस, एक दिन रात के समय मैं ऐसे स्थान पर पहुँची जहाँ नल टूटा हुआ था। मैं तुरंत उसमें होकर निकल भागी और पृथ्वी में समा गई। अंदर घूमते-घूमते इस बेर के पेड़ के पास पहुँची।”

प्रश्न 1.
सरिता के रूप में कौन-से दिन बड़े मजे के थे?
उत्तर:
सरिता के वे दिन मज़े के थे; जब भूमि को काटने और पेड़ों को खोखला कर गिराने का मौका मिलता था।

प्रश्न 2.
नगर के पास बूँद ने क्या देखा?
उत्तर:
नगर के पास बूंद ने नदी के तट पर एक ऊँची मीनार देखी; जिसमें से काली-काली हवा निकल रही थी।

प्रश्न 3.
बूंद ने किस दुर्भाग्य को न्योता दिया?
उत्तर:
बूँद जैसे ही आगे बढ़ी एक मोटे नल ने उसको अपने भीतर खींच लिया। इस प्रकार उसने दुर्भाग्य को न्योता दिया।

प्रश्न 4.
बूंद को निकलने का मौका किस प्रकार मिला?
उत्तर:
बूंद एक रात में ऐसे स्थान पर पहुंची, जहाँ नल टूटा हुआ था। वह उसमें से होकर तुरन्त निकल भागी।

प्रश्न 5.
बूँद बेर के पेड़ के पास कैसे पहुँची?
उत्तर:
नल से निकल भागने पर वह पृथ्वी में समा गई और अंदर घूमते-घूमते बेर के पेड़ के पास पहुंची।

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(केवल पढ़ने के लिए)

हम पृथ्वी की संतान 5 जून, 1972 को स्टॉक होम (स्वीडन) में प्रदूषण के महासंकट से निपटने के लिए विश्वभर के देशों की बैठक हुई। इस अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ का सन्देश दिया। इस दिन की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मानते हैं। सन् 1992 में रियो डि जेनेरो (ब्राजील) में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रकृति में दो प्रकार के घटक हैं-जैविक और अजैविक। जैव मण्डल का निर्माण-भूमि, गगन, वायु, अग्नि, जल नामक पाँच तत्त्वों से होता है। इसमें हम छोटे-बड़े एवं जैव-अजैव विविधताओं के बीच रहते रहे हैं। पेड़-पौधों का एवं प्राणियों का एक तयशुदा सन्तुलन इसको महत्त्वपूर्ण बनाता है।

पर्यावरण में वह आवरण प्रमुख है जो हमें चारों तरफ से सही ढंग से ढके हुए है। प्रकृति और मानव के बीच का संतुलन बिगड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या एवं प्रकृति का दोहन एवं शोषण इसमें प्रमुख कारण है। वनों की कटाई, भूमिगत संसाधनों का दोहन, नदियों का भयंकर प्रदूषण खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है। ओजोन की परत धरती वासियों के लिए रक्षा-कवच का काम करती है। यह सूर्य की अनावश्यक किरणों को रोकती है, लेकिन इसकी परत में छेद हो चुके हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन गई है। पृथ्वी के इस बढ़ते तापमान से आने वाले समय में तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा मँडरा रहा है। अमृत जैसा जल देने वाले ग्लेशियर लुप्त होते जा रहे हैं। गंगा अपने उद्गम से पीछे खिसक चुकी है।

विकास के नाम पर बहुत से लोग बेघर हो चुके हैं। वन कटने से नदियों में प्रलयंकारी बाढ़ आने लगी है। ‘हे पवित्र करने वाली भूमि! हम कोई ऐसा कार्य न करें जिससे तेरे हृदय को आघात पहुँचे।’ हमारी यह प्राचीन प्रार्थना आज बिसर गई है। विश्व को सभी मतभेद भुलाकर पर्यावरण की रक्षा करने के लिए संकल्प लेना चाहिए। हमारी धरती हमारे स्वार्थ के कारण बर्बाद न हो। यदि हमें ज़िन्दा रहना है तो पृथ्वी की रक्षा के बारे में जरूर सोचें। यह तभी सम्भव है जब हम अपने इस सम्बन्ध “भूमि हमारी माता है और हम पृथ्वी की संतान हैं को ठीक तरह से निभाएँ।”

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पानी की कहानी Summary

पाठ का सार

बेर की झाड़ी से उतरकर ओस की बूंद लेखक की हथेली पर आ गई। वह अपनी कहानी लेखक को बता रही है। वायुमण्डल में भीड़ होने के कारण एवं सूर्यास्त होने से उसे पत्रों पर ही सिकुड़कर बैठे रहना पड़ा। बूंद को पौधों से डर लगता है; क्योंकि वे उसे अपने भीतर खींच लेते हैं। लेखक ने उसे सुरक्षा का भरोसा दिलाया।

उस यूँद के पुरखे हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के रूप में मौजूद थे। उस समय वायुमण्डल में उथल-पुथल मच रही थी। उसी उथल-पुथल में सूर्य का एक भाग टूटकर पृथ्वी बन गया। पृथ्वी प्रारम्भ में आग का एक बड़ा गोला थी। बाद में धरती ठण्डी होती गई। यह लाखों साल पहले की बात है। हम और हमारे साथी बर्फ बन गए थे। एक दिन हम पिघलने शुरू हो गए। मैं कई महीने समुद्र में घूमी। गर्म धारा से मिलकर मैं भी पिघल गई और पानी बनकर समुद्र में मिल गई। समुद्र में पानी के अलावा अनेक प्रकार के जीवों की भी चहल-पहल रही है।

समुद्र के भीतर घुमकर देखा-रेंगने वाले घोंघे, जालीदार मछलियाँ, भारी कछुए और हाथों वाली मछलियाँ भी थीं। एक मछली तो आदमी से भी कई गुना लम्बी थी। अधिक दूर समुद्र में जाकर देखा-वहाँ घोर अंधेरा था। वहाँ एक ऐसा जीव दिखाई दिया जो मानो कोई लालटेन लेकर घूम रहा हो। वह सुन्दर मछली थी। इसकी चमक देखकर छोटी मछलियाँ पास आ जातीं और यह उनको खा जाती। समुद्र की तह में जंगल है। जहाँ मोटे पत्ते वाले ठिगने पेड़ उगे हुए हैं। यहाँ घाटियाँ, पहाड़ियाँ और गुफाएँ भी हैं जहाँ कई प्रकार के जीव रहते हैं। मैं समुद्रतल से ऊपर आना चाहती थी; परन्तु मेरे ऊपर पानी की कोई तीन मील मोटी तह थी। मैं भूमि में घुसकर जान बचाना चाहती थी।

मैं अपने दूसरे साथियों के साथ चट्टान में घुस गई। हम सब चलते रहे। अचानक ऐसी जगह पहुँचे जहाँ तापमान बहुत
अधिक था। हम देखते-देखते ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बदल गए और साथियों सहित वहाँ से भाग निकले। फिर ऐसे स्थान पर चले गए, जहाँ से धमाके के साथ हम बाहर फेंक दिए गए थे। यह ज्वालामुखी था। हम जब ऊपर पहुँचे तो भाप का एक बड़ा दल मिला। हम गरजकर आपस में मिले और आगे बढ़े।

भाप जल-कणों के मिलने से भारी होकर बूंद बने और नीचे कूद पड़े। मैं पहाड़ पर गिरी और उछलती-कूदती आगे बढ़ चली। मैं नीचे आकर समतल धारा में मिल गई। जब एक नगर में पहुँची तो मोटे नल में खींच ली गई। किसी तरह टूटे हुए नल से निकलकर भागी और पृथ्वी में समा गई।

सूर्य निकल आया था। वह यूँद धीरे-धीरे घटी और आँखों से ओझल हो गई।

शब्दार्थ : दृष्टि-नज़र; झंकार-गूंज; अनुभव-तजुर्बा; सुरीली-सुन्दर सुर वाली; निर्दयी-निर्दय, बेरहम; असंख्य-अनगिन; बंधुओं-भाइयों; उत्सुकता-जानने की चाह; साँसत-कठिनाई; भावपूर्ण-भाव से भरा हुआ; विचित्र-अनोखा; चौंधियाना-चकाचौंध करना; चूर्ण-चकनाचूर; सहस्रों-हजारों; प्रत्यक्ष-सामने; अस्तित्व-वजूद; सौन्दर्य-खूबसूरती वार्तालाप-वातचीत; फलस्वरूप-परिणाम के रूप में; वर्णनातीत-वर्णन से परे; निरा-बिल्कुल; ठिगने-छोटे; बहुतायत-बहुत संख्या में; नाना प्रकार-तरह-तरह; निपट-विल्कुल; स्वच्छंद-आजाद; किलोलें-खेल; प्रहार-चोट; उन्मत्त-मस्ती से भरा;

मुहावरे-
कमर कसकर तैयार रहना – पूरी तरह तैयार रहना;
दाल में नमक के समान – बहुत ही कम मात्रा में;
मुख पर हवाइयाँ उड़ना – बहुत घबराहट होना;
आँखों से ओझल होना – बिल्कुल गायब हो जाना;

सही रूप-निर्दयी-निर्दय;
एक बड़ा आग का गोला – आग का एक बड़ा गोला;
एक और भाप का बड़ा दल – भाप का एक और बड़ा दल;
सूर्य निकल आए थे – सूर्य निकल आया था, सूर्यदेव निकल आए थे

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