Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 35 भूरिश्रवा, जयद्रथ और आचार्य द्रोण का अंत

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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 35 भूरिश्रवा, जयद्रथ और आचार्य द्रोण का अंत

Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 35

प्रश्न 1.
भूरिश्रवा का अंत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
भूरिश्रवा का युद्ध सात्यकि के साथ चल रहा था। सात्यकि को घायल अवस्था में भूरिश्रवा पकड़कर खींच रहा था। तभी अर्जुन ने देखा कि भूरिश्रवा पैर से सात्यकि के शरीर को दबा रहा है और खड़ग से उसके ऊपर वार करने वाला है। अर्जुन ने एक बाण चलाया जिससे भूरिश्रवा का दाहिना हाथ तलवार सहित कटकर दूर जा गिरा। भूरिश्रवा ने अर्जुन के इस कृत्य का विरोध किया इसी बीच अन्य वीरों के मना करने के बाद भी सात्यकि ने भूरिश्रवा का सिर धड़ से अलग कर दिया। सभी लोगों ने सात्यकि की निंदा की।

प्रश्न 2.
अर्जुन ने जयद्रथ का वध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
अर्जुन कौरव सेना को तितर-बितर करता हुआ वहाँ पहुँच गया जहाँ जयद्रथ था। तभी ऐसा लगने लगा कि सूर्यास्त होने वाला है। दुर्योधन यह देखकर वहुत प्रसन्न हुआ। तभी कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जयद्रथ सूर्य की ओर देख रहा है और समझ रहा है कि सूर्य अस्त हो गया है। प्रतिज्ञा पूरी करने का यही अवसर है। तभी अर्जुन ने अपने गांडीव से एक तेज बाण छोड़ा जो जयद्रथ के सिर को धड़ से अलग करते हुए सिर को उड़ा ले गया।

प्रश्न 3.
जयद्रथ का सिर कहाँ जाकर गिरा ?
उत्तर:
जयद्रथ के पिता वृद्धक्षत्र अपने आश्रम में संध्या वंदना कर रहे थे तभी उनकी गोद में जयद्रथ का कटा हुआ सिर आकर गिरा। जब बूढ़े वृद्धक्षत्र ने देखा तो उसी क्षण उसके सिर के भी सौ टुकड़े हो गए।

प्रश्न 4.
घटोत्कच किस प्रकार वीरगति को प्राप्त हुआ ?
उत्तर:
घटोत्कच और कर्ण का युद्ध चल रहा था। घटोत्कच ने कर्ण को बहुत परेशान कर रखा था। घटोत्कच ने कर्ण को . बहुत पीड़ा पहुँचाई। कर्ण ने आपे से बाहर होकर इन्द्र द्वारा दी हुई उस शक्ति का प्रयोग कर दिया जो उसने अर्जुन को मारने के लिए सुरक्षित रखी थी। इसके प्रयोग से अर्जुन का संकट तो टल गया परंतु घटोत्कच मारा गया।

प्रश्न 5.
द्रोणाचार्य का वध करने के लिए पांडवों ने क्या कुचक्र रचा ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि कुचक्र रचकर ही द्रोणाचार्य को मारा जा सकता है। अतः योजना के अनुसार भीम ने अश्वत्थामा नाम के हाथी का वध कर दिया और शोर मचा दिया कि मैंने अश्वत्थामा को मार दिया। द्रोणाचार्य यह सुनकर विचलित हो गए। उन्होंने सत्य जानने के लिए युधिष्ठिर से पूछा। उन्होंने भी कह दिया अश्वत्थामा मारा गया बाद में धीरे से कह दिया ‘लेकिन हाथी’ तभी पांडवों ने शोर मचा दिया। इसी बीच धृष्टद्युम्न ने खड़ग के एक ही वार से द्रोणाचार्य का सिर धड़ से अलग कर दिया।

Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 35 भूरिश्रवा, जयद्रथ और आचार्य द्रोण का अंत

Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 35

एक तरफ अर्जुन और जयद्रथ का युद्ध चल रहा था दूसरी ओर भूरिश्रवा ने सात्यकि को ऊपर उठाकर जमीन पर पटक दिया। भूरिश्रवा सात्यकि को घसीटने लगा। अर्जुन ने जब यह देखा तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया। उधर भूरिश्रवा सात्यकि के शरीर को पाँव से दबाकर तलवार से वार करने ही वाला था तभी अर्जुन के एक बाण से उसका दाहिना हाथ कटकर तलवार समेत दूर जा गिरा। अर्जुन के हमले के विरोध में भूरिश्रवा ने आमरण अनशन शुरु कर दिया। तब अर्जुन बोला कि मैंने अपने बाणों की पहुँच तक किसी साथी का वध न होने देने की प्रतिज्ञा कर रखी है। सात्यकि की रक्षा करना मेरा धर्म है। भूरिश्रवा अर्जुन की बातों से संतुष्ट हो गया। कुछ ही घड़ी बीतने पर अचानक सात्यकि ने भूरिश्रवा का सिर धड़ से अलग कर दिया। सभी लोगों ने सात्यकि के इस कार्य की निंदा की।

अर्जुन कौरव सेना को तितर-बितर करता हुआ जयद्रथ तक पहुँच गया। उधर सूर्यास्त होने को था। दुर्योधन प्रसन्न था कि अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं कर पाएगा। तभी जयद्रथ भी सूर्य की ओर देखने लगा। इसी बीच कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने अपने गांडीव से एक तेज बाण छोड़कर जयद्रथ का सिर काट दिया। श्रीकृष्ण ने कहा कि जयद्रथ का सिर जमीन पर न गिरने पाए। अर्जुन ने ऐसा ही किया। जयद्रथ का सिर अपने आश्रम में संध्या वंदना कर रहे उनके पिता वृद्धक्षत्र की गोद में जा गिरा जब युधिष्ठिर ने जान लिया कि अर्जुन के हाथों जयद्रथ का वध हो गया है तो वे दूने उत्साह के साथ सेना लेकर द्रोण पर टूट पड़े। चौदहवें दिन का युद्ध देर रात तक चलता रहा। उधर घटोत्कच ने कर्ण को इतनी पीड़ा पहुँचाई कि अर्जुन के लिए सुरक्षित रखी गई इन्द्र की दी हुई शक्ति का प्रयोग उसे घटोत्कच पर करना पड़ा। घटोत्कच मारा गया। तभी कृष्ण ने कहा कि आचार्य को कुचक्र रचकर ही परास्त करना होगा। इस व्यवस्था के अनुसार भीम ने जाकर अश्वत्थामा नाम के हाथी को मार दिया। भीम जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि मैंने अश्वत्थामा को मार दिया है। द्रोणाचार्य ने जब यह सुना तो वह विचलित हो गए। आचार्य द्रोण ने युधिष्ठिर से पूछा तो उन्होंने कह दिया कि अश्वत्थामा मारा गया, लेकिन हाथी। इसके बाद भीम तथा अन्य पांडवों ने शोर मचा दिया। इसी बीच धृष्टद्युम्न ने खड़ग के एक ही वार से आचार्य की गरदन धड़ से अलग कर दी।

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