Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 सूक्तिसुधा Questions and Answers were solved by Expert Teachers as per NCERT (CBSE) Book guidelines covering each topic in chapter to ensure complete preparation.
Bhaswati Sanskrit Class 11 Solutions Chapter 3 सूक्तिसुधा
अभ्यासः
प्रश्न 1.
संस्कृतेन उत्तरं देयम् –
(क) अयं पाठ: काभ्यां ग्रन्थाभ्यां संकलितः?
उत्तर-
अयं पाठः चाणक्यनीतेः हितोपदेशात् च संकलितः।
(ख) कुत्र वासः न कर्तव्यः?
उत्तर-
यस्मिन् देशे सम्मानः, वृत्तिः, बान्धवाः, विद्यागमः च न तत्र वास न कारयेत् ।
(ग) बान्धवः कुत्र कुत्र तिष्ठति?
उत्तर-
बान्धवः आतुरे, व्यसने, दुर्भिक्षे, शत्रुसंकटे, राजद्वारे, श्मशाने च तिष्ठति।
(घ) काचः कस्य संसर्गात् मारकती द्युतिं धत्ते?
उत्तर-
काचः काञ्चनस्य ससात् मारकती द्युति धत्ते।
(ङ) प्राज्ञः परार्थे किम् किम् उत्सृजेत्?
उत्तर- प्राज्ञः परार्थे धनानि जीवितं च उत्सजेत।
(च) मूर्खः कथं प्रवीणतां याति? .
उत्तर-
मूर्खः सत्सन्निधानेन प्रवीणतां याति।
(छ) पुरुषेण के षड् दोषाः हातव्याः?
उत्तर-
निद्रा, तन्द्रा, भयं, क्रोधः, आलस्य, दीर्घसूत्रता चेति षड् दोषाः पुरुषेण हातव्याः।
(ज) जीवलोकस्य षट् सुखानि कानि सन्ति?
उत्तर-
अर्थागमः, नित्यमरोगिता, प्रिया प्रियवादिनी च भार्या, वश्यः पुत्रः, अर्थकरी विद्या । चेति जीवलोकस्य षट् सुखानि सन्ति।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानपूर्तिः क्रियताम् –
उत्तर-
(क) यः आतुरे व्यसने दुर्मिक्षे शत्रुसंकटे राजद्वारे श्मशाने च तिष्ठति सः बान्धवः।
(ख) जीवलोकस्य अर्थागमः, नित्यमरोगिता प्रिया प्रियवादिनी च भार्या, वश्यः पुत्रः, अर्थकरी विद्या च षट् सुखानि भवन्ति।
(ग) मनस्विनः कुसुमस्तबकस्येव इव द्वयी वृत्तिः भवति।
(घ) षड्दोषाः पुरुषेण इह हातव्याः।
(ङ) सन्निमित्तं वरं त्यागो विनाशे नियते सति।
प्रश्न 3.
अधोलिखितयोः पद्यांशयोः मातृभाषया भावार्थ लिखत –
(क) कोऽप्रियः प्रियवादिनाम्।।
उत्तर-
इस श्लोकांश में कवि कहना चाहता है कि प्रिय बोलने वालों के लिए कोई भी अप्रिय (पराया या शत्रु) होता ही नहीं क्योंकि वे सबको अपना समझते हैं, वे सबसे स्नेह करते हैं।
(ख) सन्निमित्तं वरं त्यागो विनाशे नियते सति!
उत्तर-
इस श्लोकांश का भावार्थ यह है कि इस संसार में धन, जीवन आदि सब कुछ नश्वर है, नष्ट होने वाला है। अतः अच्छे प्रयोजन के लिए इनका त्याग कर देना ही अच्छा. है। हमें अपना धन और जीवन दूसरों की भलाई के लिए लगा देना चाहिए।
(ग) सर्वेषां मूनि वा तिष्ठेद् विशीर्येत वनेऽथवा।
उत्तर-
इस श्लोकांश का भाव यह है कि मनस्वी मनुष्य पुष्प माला की तरह या तो सबके सिर पर (गले में) सम्मान प्राप्त करते हैं या फिर लोग उनके स्वभाव से अपरिचित रह जाते हैं तथा जंगल में खिले हुए पुष्पों की तरह वे शाखा पर (लोगों से परिचित बिना हुए) ही मुरझा जाते हैं, नष्ट हो जाते हैं अर्थात् या तो लोग मनस्वी लोगों को जान ही नहीं पाते और यदि जान लेते हैं तो वे सबके सम्मान के पात्र बन जाते हैं।
प्रश्न 4.
क-भागस्थपदैः सह ख-भागस्यार्थानां मेलनं क्रियताम् –
उत्तर-
क – ख
(क) विद्यागमः – विद्याप्राप्तिः
(ख) व्यसने – विपत्ती
(ग) सविद्यानाम् – विदुषाम्
(घ) द्युतिम् – कल्याणम्
(ङ) कुसुमस्तबकस्य – पुष्पगुच्छस्य
(च) मूर्धिन – शिरसि
(छ) भूतिम् – शोभाम्
प्रश्न 5.
उदाहरणानुसारं विग्रहपदानि आधृत्य समस्तपदानि रचयत विग्रहपदानि समस्तपदानि
यथा –
विद्यायाः आगमः = विद्यागमः
उत्तर-
(क) राज्ञः द्वारे = राजद्वारे
(ख) सता सन्निधानेन = सत्संन्निधानेन
(ग) काञ्चनस्य संसर्गात् = काञ्चनसंसर्गात्
(घ) अर्थस्य आगमः = अर्थागमः
(ङ) जीविताय इदम् = जीवितम्
(च) न रोगिता = अरोगिता
(छ) अर्थम् करोति या सा = अर्थकरी
प्रश्न 6.
अधोलिखितेषु शब्देषु प्रकृतिप्रत्ययं विच्छेदं कुरुत –
उत्तर-
(क) प्राप्ते = प्र आप् + क्त प्रत्यय।
(ख) प्रवीणताम् = प्रवीण शब्द + ता प्रत्यय।
(ग) वृत्तिः = वृत् + क्तिन् प्रत्यय।
(घ) नियते = नि ।यम् + क्त प्रत्यय।
(ङ) हातव्याः = हा + तव्यत् प्रत्यय।
Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 3 सूक्तिसुधा Summary Translation in Hindi and English
1. यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमः कश्चित् वासं तत्र न कारयेत्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – जिस देश में आदर, आजीविका, सम्बन्धी तथा ज्ञान की प्राप्ति न हो वहाँ किसी को नहीं रहना चाहिए।
Meaning in English – One should not live in that country where there is no respect, no means of livelihood, no relatives and no source of knowledge.
2. आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – जो बीमारी में, आपत्ति के समय, अकाल में, शत्रु से संकट के समय में, राजा के दरबार में तथा श्मशान में साथ रहता है वही (सच्चा) मित्र या सम्बन्धी है।
Meaning in English – A person who stands by in disease, in misfortune, in famine, in problem from an enemy, in the court of the king and in grave is really a true relative or a true friend.
3. कोऽतिभार. समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सविद्यानां कोऽप्रियः प्रियवादिनाम्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – बलशाली पुरुषों के लिए बड़ा बोझ क्या है? व्यापारी मनुष्यों के लिए कौन-सा स्थान दूर है? शिक्षितों के लिए कौन-सा स्थान विदेश है? तथा प्रिय बोलने वालों के लिए कौन पराया या शत्रु है?
Meaning in English – What is great burden for the strong men? What is far for the hard-working men? Which place is foreign-country for the educated persons and who is not his own (or enemy) for the sweet spoken men (i.e. no one)?
4. काचः काञ्चनसंसर्गात् धत्ते मारकती द्युतिम्।
तथा सत्सन्निधानेन मूर्यो याति प्रवीणताम्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ- शीशा सोने का साथ प्राप्त करके पन्ने की शोभा को प्राप्त कर लेता है उसी प्रकार सज्जन की संगति प्राप्त करके मूर्ख कुशल (निपुण) बन जाता है।
Meaning in English – Just as mirror when joined with gold attains beauty of emerald, similarly by the company of the good man foolish also becomes clever.
5. कुसुमस्तबकस्येव द्वयी वृत्तिर्मनस्विनः।
सर्वेषां मूर्ध्नि वा तिष्ठेद् विशीर्येत वनेऽथवा।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – पुष्प के गुच्छे की तरह मनस्वी मनुष्य की दो प्रकार की स्थिति होती है वह या तो सब लोगों के सिर पर रहता है या फिर वन में ही मुरझा जाता है।
Meaning in English – There are two states of the strong minded man like that of a bunch of flowers : they either attain the highest position (i.e. on the head of the people) or they are desytroyed in the forest only.
6. धनानि जीवितं चैव परार्थे प्राज्ञ उत्सृजेत्।
सन्निमित्तं वरं त्यागो विनाशे नियते सति।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – बुद्धिमान् मनुष्य को दूसरों की भलाई के लिए धन तथा जीवन त्याग देना चाहिए क्योंकि विनाश के निश्चित होने पर अच्छे कारण के लिए त्याग करना श्रेयस्कर है।
Meaning in English – A clever man should sacrifice his wealth and life for the welfare of others because it is always good to give away something for a good cause when the destruction is certain.
7. षड्दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधं आलस्यं दीर्घसूत्रता।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थः – इस संसार में कल्याण चाहने वाले मनुष्य को छ: दोष छोड़ देने चाहिएँ – नींद, सुस्ती, भय, क्रोध, आलस्य तथा देर से कार्य करने की आदत।
Meaning in English – In this world; a man who wants to prosper, should give up these six blemishes namely sleep, nap, fear, anger, laziness and dialatoriness.
8. अर्थागमो नित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रोऽर्थकरी च विद्या षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हे राजन! जीवलोक के ये छः सुख हैं- धन की प्राप्ति, सदा नीरोगता, स्वयं प्रिय तथा प्रिय बोलने वाली पत्नी, आज्ञाकारी पुत्र तथा धन देने वाली विद्या।
Meaning in English – Oh king! These are the six comforts of this world namely continuously attaining wealth, absence of disease, wife sweet herself and who speaks sweet words, an obedient son and wealth giving learning.