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CBSE Class 12 Hindi विभिन्न माध्यमों के लिए पत्रकारीय लेखन और उसके विविध आयाम
पाठ से जनसंचार माध्यम
प्रश्न 1.
विभिन्न जनसंचार माध्यमों के वर्तमान प्रचलित रूप कौन-से हैं? इनके लिए लेखन के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर:
विभिन्न जनसंचार माध्यमों के वर्तमान प्रचलित रूप निम्नलिखित हैं-
1. प्रिंट माध्यम-समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ।
2. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम-रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा, इंटरनेट ।
इनके लिए लेखन अलग-अलग तरीकों द्वारा किया जाता है। समाचार-पत्र और पत्र-पत्रिकाओं में लिखने की शैली अलग होती है जबकि रेडियो और टेलीविज़न के लिए अलग शैली होती है। माध्यम अलग-अलग होने के कारण उनकी आवश्यकताएँ भी अलग-अलग होती हैं। विभिन्न जनसंचार माध्यमों के लेखन के अलग-अलग तरीकों को जानना एवं समझना अत्यंत आवश्यक है।
इन माध्यमों के लेखन के समय बोलने, लिखने के साथ-साथ पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है। हम रोज़ाना समाचार-पत्र पढ़कर टी० वी० देखकर और रेडियो सुनकर तथा साथ ही कभी-कभी इंटरनेट पर समाचार पढ़कर अथवा देखकर ही इस बात पर विचार कर सकते हैं कि जनसंचार के इन सभी प्रमुख माध्यमों में समाचार लेखन और प्रस्तुति में क्या अंतर है। अवश्य ही, इन सभी माध्यमों में समाचारों की लेखन-शैली, भाषा और प्रस्तुति में कई अंतर हैं। इंटरनेट पर पढ़ने, सुनने और देखने तीनों की सुविधा होती है। समाचार-पत्र केवल छपे हुए शब्दों का माध्यम है, रेडियो बोले हुए शब्दों का माध्यम है। टी० वी० पर आप देख भी सकते हैं।
प्रश्न 2.
जनसंचार माध्यमों में प्रिंट माध्यम का क्या महत्व है?”
उत्तर:
प्रिंट अर्थात मुद्रित माध्यम जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे प्राचीन है। वास्तव में आधुनिक युग का आरंभ ही मुद्रण अर्थात छपाई के आविष्कार से हुआ। वैसे तो मुद्रण का आरंभ चीन से हुआ लेकिन इसके आविष्कार का श्रेय जर्मनी के गुटेनबर्ग को जाता है। छापाखाना अर्थात प्रेस के आविष्कार से जनता को काफ़ी लाभ हुआ। यूरोप में पुनर्जागरण के ‘रेनेसां’ के आरंभ में छापेखाने की महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारत में प्रथम छापाखाना सन 1556 में गोवा में स्थापित हुआ।
इसकी स्थापना मिशनरियों ने धर्मप्रचार की पुस्तकें छापने के लिए की थी। इसके पश्चात मुद्रण तकनीक में ज्यादा बदलाव आया है और मुद्रित माध्यमों का विस्तार व्यापक रूप से हुआ है। मुद्रित माध्यमों के अंतर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आते हैं, जिनका हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता उसमें छपे हुए शब्दों के स्थायित्व में है, जिसे आराम से धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं।
समझ में न आने पर उसे दोबारा तब तक पढ़ सकते हैं, जब तक वह हमारी समझ में न आए। समाचार-पत्र अथवा पत्रिका पढ़ते समय यह आवश्यक नहीं कि उसे पहले पृष्ठ और पहली खबर से ही पढ़ना शुरू किया जाए। मुद्रित माध्यमों के स्थायित्व का एक लाभ यह है कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। मुद्रित माध्यमों की दूसरी बड़ी विशेषता लिखित भाषा का विस्तार है। लिखित समाचार में भाषा, व्याकरण, वर्तनी और शब्दों का उपयुक्त प्रयोग किया जाता है। लिखे हुए को प्रकाशित करने तथा ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए प्रचलित लिखित भाषा का होना आवश्यक है, जिससे उसे अधिक लोग समझ सकें।
मुद्रित माध्यम की तीसरी विशेषता इसका चिंतन-विचार और विश्लेषण है, जिसके द्वारा गूढ़ एवं गंभीर बातें लिखी जा सकती हैं। साक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं किंतु निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम व्यर्थ हैं। मुद्रित माध्यमों के लेखकों को – अपने पाठकों के भाषा-ज्ञान के साथ-साथ शैक्षिक ज्ञान एवं योग्यता का ध्यान रखना पड़ता है। मुद्रित माध्यम रेडियो, टेलीविजन एवं इंटरनेट की तरह तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते। ये एक निश्चित समय पर प्रकाशित होती हैं। जिस घंटे में एक बार या साप्ताहिक पत्रिका सप्ताह में एक बार प्रकाशित होती है। कुछ अपवादों को छोड़कर समय-सीमा समाप्त होने के पश्चात कोई भी सामग्री प्रकाशन के लिए स्वीकार नहीं की जाती।
अत: मुद्रित माध्यमों के लेखकों एवं पत्रकारों को प्रकाशन की सीमा का ध्यान रखना पड़ता है। मुद्रित माध्यम के अंतर्गत छपनेवाले आलेख में सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर करके प्रकाशित किया जाता है। समाचार-पत्र अथवा पत्रिका में यह प्रयास किया जाता है कि कोई गलती या अशुद्धि प्रकाशित न हो जाए। इसके लिए समाचार-पत्र और पत्रिकाओं में संपादक के साथ एक पूरी संपादकीय टीम होती है, जिसका मुख्य उत्तर:दायित्व प्रकाशन के लिए जा रही सामग्री को गलतियों और अशुद्धियों से रहित प्रकाशित करने योग्य बनाना है।
प्रश्न 3.
मुद्रित माध्यम की अपेक्षा रेडियो पर समाचार सुनने में क्या अंतर है?
उत्तर:
रेडियो श्रव्य माध्यम है। ध्वनि, स्वर और शब्दों के मेल के कारण रेडियो को श्रोताओं द्वारा संचालित माध्यम माना जाता है। इस कारण
रेडियो पत्रकारों को अपने श्रोताओं का पूरा ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि समाचार-पत्रों के पाठकों को अपनी पसंद से अपनी इच्छा से .. कभी भी और कहीं भी समाचार पढ़ने को मिल सकते हैं। लेकिन रेडियो के श्रोता को यह सुविधा प्राप्त नहीं होती। वह समाचार-पत्रों की तरह रेडियो समाचार बुलेटिन को कभी भी और कहीं से भी नहीं सुन सकता।
उसे बुलेटिन के प्रसारण समय का इंतज़ार करने के पश्चात शुरू से लेकर अंत तक सभी समाचारों को सुनना पड़ेगा। इस दौरान न तो वह इधर-उधर आ-जा सकता है और न ही वह शब्दकोश में अर्थ ढूँढ़ सकता है क्योंकि ऐसा करने पर बुलेटिन आगे निकल जाएगा। सकता है कि रेडियो में समाचार-पत्रों की तरह पिछले समाचार दोबारा सनने की सविधा नहीं होती। रेडियो एक रेखीय (लीनियर) माध्यम है। रेडियो की तरह दूरदर्शन भी एक रेखीय माध्यम है, जिसमें शब्दों और ध्वनियों की तुलना में दृश्यों एवं तस्वीरों का अधिक महत्व है।
प्रश्न 4.
रेडियो समाचार की संरचना किस पर आधारित होती है?
उत्तर::
रेडियो के लिए समाचार लेखन समाचार-पत्रों से भिन्न होते हैं। दोनों की प्रकृति अलग-अलग होती है। रेडियो समाचार की संरचना समाचार-पत्रों या टेलीविज़न की तरह उलटा पिरामिड (इंवर्टेड पिरामिड) शैली पर आधारित होती है। समाचार लेखन की सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण शैली उलटा पिरामिड-शैली है। 90 प्रतिशत समाचार या कहानियाँ इस शैली में लिखी जाती हैं। उलटा पिरामिडं-शैली में खबर के अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य को सबसे पहले लिखा जाता है। तत्पश्चात कम महत्वपूर्ण तथ्यों या खबरों को लिखा जाता है। इस शैली में कहानी की तरह क्लाइमेक्स अंत की जगह खबर के आरंभ में आ जाता है। इस शैली में कोई निष्कर्ष नहीं होता है।
उलटा पिरामिड-शैली के अंतर्गत समाचार को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-इंट्रो, बॉडी और समापन। समाचार में इंट्रो या लीड को हिंदी में मुखड़ा कहा जाता है। इसमें समाचार के मूल तत्व को आरंभ की दो-तीन पंक्तियों में लिखा जाता है। यह समाचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। तत्पश्चात बॉडी में समाचार के विस्तृत तत्वों को घटते हुए क्रम में लिखते हैं। उलटा पिरामिड-शैली में कोई अंतर नहीं होता। आवश्यकता पड़ने पर समय और जगह की कमी को देखते हुए अंतिम पंक्तियों या अनुच्छेद को काटकर छोटा किया जा सकता है और समाचार को समाप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
रेडियो के लिए समाचार-लेखन की बुनियादी बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रेडियो के लिए समाचार लिखते समय कुछ बातें सदा मन में रखी जानी चाहिए। यह एक ऐसा माध्यम है जो केवल श्रव्यता पर आधारित है और समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए है। इसका प्रयोग शिक्षित-अशिक्षित सभी करते हैं।
(क) साफ़-सुथरी और टंकित कॉपी-रेडियो समाचार पढ़ने वाले वाचक या वाचिका को जो समाचार कॉपी दी जाती है, वह बिलकुल साफ़-साफ़ टंकित (Typed) होनी चाहिए ताकि वाचक/वाचिका को उसे पढ़ने में कोई दिक्कत न हो। यदि समाचार कॉपी टंकित और साफ़-सुथरी नहीं है तो उसे पढ़ने के दौरान वाचक/वाचिका के अटकने या ग़लत पढ़ने का खतरा रहता है। इससे श्रोता का ध्यान बँटता है और वह भ्रमित होता है। प्रसारण के लिए तैयार की गई कॉपी कंप्यूटर पर ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए। कॉपी के दोनों ओर पर्याप्त हाशिया छोड़ा जाना चाहिए। एक पंक्ति में अधिकतम 12-13 शब्द होने चाहिए।
पंक्ति के आखिर में कोई शब्द विभाजित नहीं होना चाहिए और पृष्ठ के आखिर में कोई लाइन अधूरी नहीं होनी चाहिए। समाचार कॉपी में कठिन और लंबे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। उच्चारण में कठिन, संक्षिप्ताक्षर, अंक आदि नहीं लिखे जाने चाहिए। एक से दस तक के अंकों को शब्दों में तथा 11 से 999 तक अंकों में लिखा जाना चाहिए लेकिन लिखने की बजाए उन्चास लाख बारह हजार तीन सौ चालीस लिखा जाना चाहिए। ऐसा करने से वाचक/वाचिका को पढ़ने में कठिनाई नहीं आती।
समाचार लिखने वाले को न र और .जैसे संकेतों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उसे इनके लिए प्रतिशत, रुपया और डॉलर शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। उसे दशमलव को उसके नज़दीकी पूर्णांक में लिखना चाहिए। वित्तीय संख्याओं को उनके नजदीकी पूर्णांक के साथ लिखना चाहिए। वैसे रेडियो समाचारों में आँकड़ों और संख्याओं का प्रयोग कम-से-कम करना चाहिए। रेडियो समाचार कभी भी संख्या से शुरू नहीं होना चाहिए। तिथियों को उसी प्रकार लिखना चाहिए जैसे हम बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं।
(ख) डेडलाइन, संदर्भ और संक्षिप्ताक्षर का प्रयोग-रेडियो समाचार में अखबारों की तरह डेडलाइन अलग से नहीं होनी चाहिए बल्कि वह समाचार में ही गुंथी होनी चाहिए। उसमें आज, आज सुबह, आज दोपहर, आज शाम, बैठक कल होगी, कल हुई बैठक, इसी सप्ताह, अगले सप्ताह, पिछले सप्ताह, इस महीने, अगले महीने, इस साल, अगले साल, अगले सोमवार, पिछले रविवार आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। संक्षिप्तकारों से सदा बचना चाहिए। बहुत प्रचलित संक्षिप्त अक्षरों का प्रयोग थोड़ा-बहुत किया जा सकता है जैसे–यू० एन० ओ०, सार्क, यूनिसेफ़, डब्ल्यू० टी० ओ०, एच० डी० एफ० सी०,आई० सी० आई० सी० आई बैंक आदि।
प्रश्न 6.
टेलीविज़न का जनसंचार माध्यम में क्या महत्व है?
उत्तर:
टेलीविज़न जनसंचार माध्यमों में देखने और सुनने का माध्यम है। टेलीविज़न के लिए खबर या स्क्रिप्ट लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शब्द परदे पर दिखाई देने वाले दृश्य के अनुकूल हों। दूरदर्शन स्क्रिप्ट लेखन प्रिंट और रेडियो माध्यम से भिन्न है। इसके द्वारा कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक समाचार बताया जाता है। दूरदर्शन के लिए समाचार दृश्यों के आधार पर लिखे जाते हैं। कैमरे से लिए गए शॉट्स को आधार बनाकर समाचार तैयार किए जाते हैं।
दूरदर्शन पर समाचार दो तरह से.पेश किए जाते हैं। इसका प्रारंभिक हिस्सा, जिसमें मुख्य समाचार होते हैं, रीडर या एंकर दृश्यों के बिना समाचार पढ़ता है। दूसरे हिस्से में पर्दे पर एंकर के स्थान पर समाचार से संबंधित दृश्य प्रस्तुत किए जाते हैं। अतः दूरदर्शन पर समाचार दो हिस्सों में विभाजित होते हैं। समाचार के साथ-साथ दृश्य प्रस्तुत होने के कारण दूरदर्शन (टेलीविज़न) का जनसंचार माध्यमों में महत्वपूर्ण स्थान है।
प्रश्न 7.
दूरदर्शन (टी०वी०) पर प्रसारित होनेवाली खबरों के विभिन्न चरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
किसी भी दूरदर्शन चैनल पर समाचार देने का मूल आधार लगभग वैसा ही होता है जैसा प्रिंट या रेडियो पत्रकारिता के क्षेत्र में होता है। वह आधार होता है सबसे पहले सूचना देना। दूरदर्शन में ये सूचनाएँ कई चरणों से होती हुई दर्शकों तक पहुँचती हैं, ये चरण निम्न हैं-
फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज – सर्वप्रथम कोई बड़ी खबर महत्वपूर्ण फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में उसी क्षण दर्शकों तक पहुँचाई जाती है। इसमें कम-से-कम शब्दों में महत्वपूर्ण समाचार दिया जाता है।
ड्राई एंकर – इसमें एंकर खबर के बारे में दर्शकों को कहाँ, क्या, कब और कैसे घटित दृश्यों को सीधे-सीधे बताता है। खबर के दृश्य मज़र न आने तक एंकर दर्शकों को रिपोर्टर से मिलाआनकारी पर आधारित सूचनाएँ पहुँचाता है।
फोन – इन-तत्पश्चात समाचार विस्तृत होते हैं और एकर रिपोर्टर से फोन के माध्यम से सूचनाएँ एकत्र करके दर्शकों तक पहुँचाई जाती है। रिपोर्टर घटना वाली जगह पर उपस्थित होता है और वहाँ से ज्यादा-से-ज्यादा जानकारियाँ लेकर दर्शकों को बताता है। एंकर विजुअल-घटना के दृश्य या विजुअल मिल जाने पर खबर लिखी जाती है। इस खबर की शुरुआत भी प्रारंभिक सूचना से होती है और बाद में इन विषयों पर प्राप्त दृश्य प्रस्तुत किए जाते हैं।
एंकर-बाइट-बाइट अर्थात कथन । दूरदर्शन पत्रकारिता में इसका बहुत महत्व है। दूरदर्शन में किसी भी समाचार को पुष्ट करने के लिए उससे संबंधित बाइट दिखाए जाते हैं। किसी घटना की सूचना और दृश्य से संबंधित व्यक्तियों का कथन दिखा और सुनाकर समाचार को प्रामाणिकता प्राप्त होती है।
लाइव-लाइव अर्थात किसी समाचार का घटना स्थल से सीधा प्रसारण। सभी चैनल इसी कोशिश में रहते हैं कि किसी भी घटित बड़ी घटना के दृश्य उसी समय दर्शकों तक सीधे प्रसारित किए जाएँ। इसके बारे में उस स्थान पर उपस्थित रिपोर्टर और कैमरामैन ओ० बी० वैन के माध्यम से घटना के बारे में सीधे दर्शकों को दिखाते और बताते हैं।
एंकर पैकेज-पैकेज किसी भी समाचार को संपूर्णता के साथ पेश करने का एक माध्यम है। इसमें संबंधित घटना के दृश्य, इससे जुड़े लोगों की बाइट, ग्राफ़िक्स के जरिए जरूरी सूचनाएँ आदि आते हैं। टेलीविज़न समाचार लेखन इन सभी चरणों को ध्यान में रखकर किया जाता है। आवश्यकता के अनुसार वाक्यों का प्रयोग किया जाता है। शब्द दृश्यों को जोड़ने का काम करते हैं और निहित अर्थों को सामने लाते हैं, जिससे खबर के सारे आशय प्रकट हो सकें।
प्रश्न 8.
रेडियो और टेलीविज़न समाचार की भाषा और शैली के लिए अनिवार्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
रेडियो और टेलीविज़न का संबंध देश के हर स्तर के व्यक्ति से है। इनके श्रोता और दर्शक पढ़े-लिखे लोगों से निरक्षर तक और मध्यम वर्ग से लेकर किसान-मजदूर तक सभी हैं। रेडियो और टी० वी० को इन सभी की आवश्यकताओं को पूरा करना होता है इसलिए इनकी भाषा-शैली ऐसी होनी चाहिए जो सभी वर्गों और सभी स्तरों को सरलता से समझ आ सकती हो। साथ ही साथ र भाषा के स्तर और गरिमा के साथ भी कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
रेडियो और टेलीविज़न के समाचारों में भाषा और शैली संबंधी अग्रलिखित विशेषताएँ अनिवार्य रूप से होनी चाहिए बताता है आदि साइटें भी अच्छी हैं। ‘रीडिफ़ डॉटकॉम’, ‘इंडिया इंफोला इन’, ‘सिफ़ी’ जैसी कुछ साइटें भी हैं। ‘रीडिफ़ कुछ गंभीरता से काम कर रही है इसलिए इसे अच्छा कहा जा सकता है। वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता आरंभ करने का श्रेय तहलका डॉटकॉम को जाता है।
(i) भाषा अति सरल होनी चाहिए।
(ii) वाक्य छोटे, सीधे और स्पष्ट लिखे जाने चाहिए।
(iii) भाषा में प्रवाहमयता होनी चाहिए।
(iv) भ्रामक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
(v) तथा, एवं, अथवा, व, किंतु, परंतु, यथा आदि शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। इनकी जगह और, या, लेकिन आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
(vi) गैर ज़रूरी विशेषणों, समासिक और तत्सम शब्दों, उपमाओं आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(vii) मुहावरों का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(viii) एक वाक्य में एक ही बात कहनी चाहिए।
(ix) वाक्यों में कुछ टूटता या छूटता हुआ प्रभाव नहीं होना चाहिए।
(x) प्रचलित और सहज शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 9.
विभिन्न जनसंचार माध्यमों में इंटरनेट की क्या भूमिका है?
उत्तर:
इंटरनेट पत्रकारिता को ऑनलाइन पत्रकारिता, साइबर पत्रकारिता, वेब पत्रकारिता आदि नामों से भी जाना जाता है। जिन लोगों को चौबीसों घंटे इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है या जो लोग इंटरनेट के अभ्यासी हैं उन्हें अब कागज़ पर छपे हुए अखबार ताजे नहीं लगते। भारत में कंप्यूटर साक्षरता की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। प्रत्येक वर्ष 50-55 फीसदी की रफ्तार से इंटरनेट कनेक्शनों की संख्या बढ़ती जा रही है। इंटरनेट पर एक ही क्षण में हम एक साथ कई खबरें पढ़ सकते हैं। .. इंटरनेट एक प्रकार का औजार है। इसे हम सूचना, मनोरंजन, ज्ञान, व्यक्तिगत और सार्वजनिक संवादों के आदान-प्रदान के लिए प्रयोग कर सकते हैं।
इंटरनेट जहाँ सूचनाओं के आदान-प्रदान का साधन है वहीं वह अश्लीलता, दुष्प्रचार और गंदगी फैलाने का भी माध्यम है। इंटरनेट पर पत्रकारिता का रूप प्रचलित हो चुका है। यह रूप औजार के तौर पर इस्तेमाल होता है अर्थात खबरों के संप्रेषण के लिए इंटरनेट का उपयोग होता है। रिपोर्टर अपनी खबर को एक जगह से दूसरी जगह ई-मेल के जरिए भेजता है। वह इसका प्रयोग समाचारों के संकलन, खबरों के सत्यापन और पुष्टिकरण के लिए भी करता है। इंटरनेट के माध्यम से चंद मिनटों में विश्वव्यापी जाल के भीतर से कोई भी पिछली पृष्ठभूमि खोजी जा सकती है। समय के साथ-साथ इसके शब्दकोश में वृद्धि होती जा रही है।
पहले एक मिनट में 80 शब्द एक जगह से दूसरी जगह भेजे जा सकते थे परंतु आज एक सेकिंड में 56 किलोबाइट अर्थात लगभग 70 हज़ार शब्द भेजे जा सकते हैं।
प्रश्न 10.
इंटरनेट पत्रकारिता क्या है? इसके स्वरूप और इतिहास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
इंटरनेट पर समाचार-पत्रों को प्रकाशित करना एवं समाचारों का आदान-प्रदान करना ही इंटरनेट पत्रकारिता है। इंटरनेट पर किसी भी रूप में समाचारों, लेखों, चर्चाओं, परिचर्चाओं, वाद-विवादों, फ़ीचर, झलकियों, डायरियों के माध्यम से अपने समय की धड़कनों को महसूस करना और दर्ज करना ही इंटरनेट पत्रकारिता है। प्रकाशन समूह और निजी कंपनियाँ इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़ी हुई हैं। इं सूचनाओं को तत्काल उपलब्ध कराता है।
विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता इस समय तीसरे दौर में है। पहला दौर 1982 से 1992 तक तथा दूसरा दौर 1993 से 2001 तक चला। तीसरा दौर 2002 से अब तक है। प्रारंभ में इंटरनेट का प्रयोग धरातल पर था। बड़े प्रकाशन । समूह समाचार-पत्रों की उपस्थिति सुपर इन्फार्मेशन हाइवे पर चाहते थे। .. .। इस दौरान कुछ चर्चित कंपनियाँ जैसे ए० ओ० एल० यानी अमेरिका ऑन लाइन सामने आई। यह दौर प्रयोगों का दौर था।
वास्तव में इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत 1983 से 2002 के बीच हुई। इस समय में तकनीकी स्तर पर इंटरनेट का बहुत विकास हुआ। इसी बीच नई वेब भाषा एच० टी० एम० एल० (हाइपर टेक्स्ट मार्डअप लैंग्वेज) आई, इंटरनेट ई-मेल आया, इंटरनेट एक्सप्लोरर और नेटस्केप नाम से ब्राउजर ने इंटरनेट को सुविधा संपन्न और तेज रफ्तार बना दिया। न्यू मीडिया के नाम पर डॉटकॉम कंपनियाँ संपर्क में आईं।
इंटरनेट और डॉटकॉम चर्चा का विषय बन गए। इससे जनता रातों-रात अमीर बनने के सपने देखने लगी। जितनी तेजी के साथ ये कंपनियाँ उभरीं उतनी ही तेजी के साथ ये कंपनियाँ गिरी भी। सन 1996 से 2002 के बीच अमेरिका के पाँच लाख लोगों को डॉटकॉम की नौकरियों से धक्का लगा। विषय-सामग्री और पर्याप्त आर्थिक आधार की कमी के कारण लगभग डॉटकॉम कंपनियाँ बंद हो गईं। बड़े प्रकाशन समूहों ने इस दौरान स्वयं को नहीं गिरने दिया। जनसंचार के क्षेत्र में चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों, सूचनाओं के आदान-प्रदान करने में इंटरनेट किसी से कम नहीं इसका महत्व हमेशा बना ही रहेगा। वास्तव में इंटरनेट पत्रकारिता का 2002 से शुरू हुआ तीसरा दौर ही वास्तविक अर्थों में टिकाऊ हो सकता है।
प्रश्न 11.
भारत में इंटरनेट पत्रकारिता विषय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में इंटरनेट का आरंभ 1993 माना जा सकता है जब यहाँ इस क्षेत्र में अनेक प्रयोग किए गए। सन 2003 में इसका दूसरा दौर शुरू हुआ। डॉटकॉम का तूफ़ान आया पर जल्दी ही निकल गया। आज पत्रकारिता की दृष्टि से ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘हिंदू’, ‘ट्रिब्यून’, ‘स्टेट्समैन’, ‘पॉयनियर’, ‘इंडिया टुडे’, ‘आई० बी० एन०’, ‘जी न्यूज़,’ ‘आज तक’, ‘आउटलुक’ आदि साइटें भी अच्छी हैं। ‘रीडिफ़ डॉटकॉम’, ‘इंडिया इंफोला इन’, ‘सिफ़ी’ जैसी कुछ साइटें भी हैं। ‘रीडिफ़ कुछ गंभीरता से काम कर रही है इसलिए इसे अच्छा कहा जा सकता है। वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता आरंभ करने का श्रेय तहलका डॉटकॉम को जाता है।
प्रश्न 12.
हिंदी नेट संसार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हिंदी में नेट पत्रकारिता का आरंभ ‘वेब दुनिया’ के साथ हुआ था। इंदौर के नई दुनिया समूह से प्रारंभ पोर्टल हिंदी का संपूर्ण पोर्टल है। हिंदी के समाचार-पत्र-‘हिंदुस्तान’, ‘जागरण’, ‘अमर उजाला’ ‘नई दुनिया’, ‘भास्कर’, ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘प्रभात खबर’, ‘राष्ट्रीय सहारा’ आदि ने वेब संस्करण आरंभ किए हैं, पर इस क्षेत्र में ‘बी० बी० सी०’ हिंदी की सर्वश्रेष्ठ साइट है।
हिंदी वेब पत्रिकाएँ चल रही हैं, अनुभति, अभिव्यक्ति, हिंदी नेस्ट, सराय आदि प्रशंसनीय काम कर रही हैं। सभी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और बैंकों ने हिंदी अनुभाग आरंभ किए हैं। इससे हिंदी की ऑन लाइन पत्रकारिता का मार्ग तैयार हो रहा है। वास्तव में हिंदी की वेब पत्रकारिता अभी अपने शैशव काल में ही है। इसमें सबसे बड़ी समस्या हिंदी के फ़ॉन्ट की है। हमारे पास कोई ‘की-बोर्ड’ नहीं है। डायनमिक फ़ॉन्ट की अनुपलब्धता के कारण हिंदी की अधिकतर साइट्स खुलती ही नहीं हैं। इस समस्या से निपटने के लिए की-बोर्ड का मानकीकरण और बेलगाम फ़ॉन्ट पर नियंत्रण आवश्यक है।
पाठ से संवाद
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर: के लिए चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सटीक विकल्प पर / का निशान लगाइए __
प्रश्न 2.
विभिन्न जनसंचार माध्यमों-प्रिंट, रेडियो, टेलीविज़न, इंटरनेट से जुड़ी पाँच-पाँच खूबियों और खामियों को लिखते हुए एक तालिका तैयार करें।
उत्तर:
प्रश्न 3.
इंटरनेट पत्रकारिता सूचनाओं को तत्काल उपलब्ध कराता है, परंतु इसके साथ ही उसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इंटरनेट आज की पत्रकारिता का मुख्य आधार बन चुका है पर वह समाज के सारे वर्गों को अनेक आधारों पर विकृत भी कर रहा है। इसमें दुनिया भर के सभी अच्छे-बुरे कार्य साफ़-स्पष्ट और विस्तारपूर्वक देखे-सुने जा सकते हैं। इसके कारण कच्ची बुद्धि का युवा वर्ग तेज़ी से अश्लीलता और नग्नता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उसके संस्कार विकृत होने लगे हैं। इससे अपराध जगत को नई दिशा प्राप्त हो रही है। अपराधी और आतंकवादी सरलता से सलाह-मशवरा कर दुनिया के किसी भी कोने में आतंक फैलाने का कार्य कर रहे हैं। काले धन का लेन-देन सरल हो गया है, पुस्तकीय ज्ञान की चोरी होने लगी है।
प्रश्न 4.
श्रोताओं या पाठकों को बाँधकर रखने की दृष्टि से प्रिंट माध्यम, रेडियो और टी० वी० में से सबसे सशक्त माध्यम कौन है? पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
प्रिंट माध्यम, रेडियो और टी० वी० में से सबसे सशक्त माध्यम टी० वी० है। इसके लिए साक्षर होने की भी आवश्यकता नहीं है। यह दृश्य-श्रव्य आधार पर टिका हुआ है। मानव मन पर जितना प्रभाव देखने से पड़ता है, उतना प्रभाव सुनने या पढ़ने से नहीं पड़ता। यह पल-पल की घटना को दिखा देता है। यह मानव को वैसा ही करने को उकसाता है जैसा यह स्क्रीन पर दिखाता है। इसके लिए किसी शब्दकोश या विचार-विमर्श की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। इसका संप्रेषण अधिक प्रभावी होता है।
प्रश्न 5.
पाठ में दिए गए चित्रों को ध्यान से देखें और इसके आधार पर टी० वी० के लिए तीन अर्थपूर्ण संक्षिप्त स्क्रिप्ट लिखें।
उत्तर:
(i) पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों की भीड़ तो लगी ही रहती है। वे वहाँ की झीलों को निहारते हैं। झीलों में नौका विहार करते हैं। जिस वातावरण में रहकर आनंद प्राप्त करते हैं, उसकी स्वच्छता का ज़रा भी ध्यान नहीं रखते। वे नौका में झील की सैर करते हुए पानी में ही गंदगी फेंकते रहते हैं। वे कागज़ के टुकड़े, पॉलीथीन, खाने के टुकड़े आदि इधर-उधर बिखराते रहते हैं। वे यह भी नहीं सोचते कि यदि वे स्वयं साफ़-स्वच्छ झील के जल में नौका विहार करना चाहते हैं तो औरों के लिए गंदगी क्यों फैलाते हैं।
(ii) जल हमारा जीवन है। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते। पर हम हैं कि जब तक यह हमें आसानी से मिलता रहता है हम । परवाह नहीं करते। घर, गली, मुहल्ले, स्कूल, कॉलेज, आदि में व्यर्थ बहता पानी अकसर दिखाई दे जाता है। लोग जल प्राप्त करने के लिए नल खोलते हैं पर जल ले लेने के बाद उसे बंद करना भूल जाते हैं। वे सोच लेते हैं कि उनका इसमें क्या रखना चाहिए कि जल राष्टीय संपत्ति से भी बढ़कर है। यह हमें जीवन प्रदान करता है। इसके बिना हम जी नहीं सकते। इसे व्यर्थ बहने से रोकना चाहिए। ऐसा करना अति आवश्यक है।
(iii) कितना बोझ है पुस्तकों का इन छोटे-छोटे बच्चों के कंधों पर। किसी भी स्कूल के पास पल-भर खड़े होकर देखो। जितना भार बच्चे का अपना नहीं होता, शायद उससे अधिक बोझ उनकी पीठ पर लदा होता है-पुस्तकों के रूप में। बच्चों की पढ़ाई का आरंभ तो खेल-कूद से होना चाहिए, न कि भारी-भरकम पुस्तकों के बोझ से। अनेक विकसित देश तो उनकी पढ़ाई खिलौनों, नाचने, गाने, और खेलने-कूदने से आरंभ करते हैं पर हमारे देश में स्कूल की शिक्षा के नाम पर उन्हें पुस्तकें ही परोसी जाती हैं। – इससे उनके मन में भय उत्पन्न होता है। उनके शारीरिक विकास की राह में रुकावट पैदा होती है। सरकार को ऐसी शिक्षा नीति बनानी चाहिए कि छोटे बच्चों के कंधे पर टँगा बस्ता कुछ हल्का हो।
पाठ से पत्रकारीय लेखन
प्रश्न 1.
पत्रकारीय लेखन क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न तरीके अपनाते हैं, जिसे पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकारों के द्वारा यह कार्य प्राय: तीन तरीके से किया जाता है-पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर। पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन से जुड़कर नियंत्रित वेतन प्राप्त करता है। अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर) किसी समाचार संगठन के लिए निश्चित मानदेय पर काम करता है।
फ्रीलांसर पत्रकार किसी विशेष समाचार संगठन से नहीं होता। वह भुगतान के आधार पर अलग-अलग अख़बारों के लिए लिखता है। पत्रकारीय लेखन का संबंध विभिन्न घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों से होता है। यह कार्य कविता, कहानी, उपन्यास आदि के द्वारा पूरी तरह से संभव नहीं हो सकता क्योंकि इसमें तात्कालिकता और पाठकों की रुचियों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। पत्रकारीय लेखन में इस बात को सदा ध्यान में रखना चाहिए कि वह विशाल समुदाय के लिए लिख रहा है। उसे सदा सीधी-सादी और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। उसे कभी भी लंबे-लंबे वाक्य नहीं . लिखने चाहिए। उसे किसी भी अवस्था में अनावश्यक विशेषणों और उपमाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 2.
समाचार कैसे लिखा जाता है?
उत्तर:
प्रायः संवाददाता या रिपोर्टर अख़बारों के लिए समाचार लिखते हैं। उनके द्वारा समाचार एक विशेष शैली में लिखे जाते हैं। अख़बारों में
अधिकतर सबसे महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारियाँ सबसे पहले पैराग्राफ में लिखी जाती हैं। इसके बाद कम महत्वपूर्ण बातें तब तक दी जाती हैं जब तक समाचार खत्म नहीं हो जाता। इसे उलटा पिरामिड शैली कहते हैं।
उलटा पिरामिड में समाचार का ढाँचा यह तरीका सबसे अधिक लोकप्रिय और उपयोगी माना जाता है। यह शैली कहानी-लेखन से उलटी है। इस शैली का आरंभ 19वीं शताब्दी में हुआ था पर इसका विकास अमेरिका के गृहयुद्ध में हुआ था।
प्रश्न 3.
अच्छे लेखन के लिए ध्यान में रखी जाने वाली महत्वपूर्ण बातों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अच्छे लेखन के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए
(i) छोटे वाक्य लिखने चाहिए। मिश्र और संयुक्त वाक्य की तुलना में सरल वाक्य-संरचना को महत्व देना चाहिए।
(ii) सामान्य बोलचाल की भाषा और शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। अनावश्यक शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
(iii) शब्दों का सार्थक प्रयोग करना चाहिए।
(iv) अच्छा लिखने के लिए जाने-माने लेखकों की रचनाएँ ध्यान से पढ़नी चाहिए।
(v) लेखन में विविधता लाने के लिए छोटे वाक्यों के साथ-साथ कुछ मध्यम आकार के और कुछ बड़े वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ-साथ मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग भी करना चाहिए।
(vi) अपने लिखे को दोबारा ज़रूर पढ़ना चाहिए और गलतियों के साथ-साथ अनावश्यक चीज़ों को हटा देना चाहिए।
(vii) लेखन में कसावट बहुत ज़रूरी है।
(viii) लिखते हुए यह ध्यान रखिए कि आपका उद्देश्य अपनी भावनाओं, विचारों और तथ्यों को प्रकट करना है न कि दूसरे को प्रभावित करना।
(ix) आपको पूरी दुनिया से लेकर अपने आसपास घटने वाली घटनाओं, समाज और पर्यावरण पर गहरी निगाह रखनी चाहिए। उन्हें इस तरह से देखना चाहिए कि अपने लेखन के लिए आप उससे विचारबिंदु निकाल सकें।
(x) आपमें तथ्यों को जुटाने और किसी विषय पर बारीकी से विचार करने का धैर्य होना चाहिए।
प्रश्न 4.
पत्रकारीय लेखन की परिभाषा लिखिए। यह कितने प्रकार के होते हैं? पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
समाचार-पत्र अथवा जनसंचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाते हैं। पाठकों को जागरूक और शिक्षित बनाने और उनका मनोरंजन करने के लिए लेखन के जिन विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है उन्हें पत्रकारीय लेखन कहते हैं। पत्रकार मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
(i) पूर्णकालिक पत्रकार-पूर्णकालिक पत्रकार से तात्पर्य किसी समाचार संगठन में काम करने वाले नियमित वेतन-भोगी कर्मचारी से है।
(ii) अंशकालिक पत्रकार-अंशकालिक पत्रकार वह होता है जो किसी समाचार संगठन के लिए निश्चित मानदेय पर काम करता है।
(iii) फ्रीलांसर अर्थात स्वतंत्र पत्रकार-फ्रीलांसर पत्रकार किसी महत्वपूर्ण समाचार-पत्र से संबंधित नहीं होता। बल्कि वह समाचार-पत्रों में भुगतान के आधार पर लेख लिखता है।
प्रश्न 5.
समाचार-लेखन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
समाचार-लेखन पत्रकारीय लेखन का जाना-पहचाना रूप है। साधारणतया समाचार-पत्रों में समाचार पूर्णकालिक और अंशकालिक पत्रकारों द्वारा लिखे जाते हैं, जिन्हें संवाददाता अथवा रिपोर्टर भी कहते हैंकासमाचार-पत्रों में प्रकाशित अधिकतर समाचारों के लिए एक विधि अपनाई जाती है। इन समाचारों में किसी भी समस्या, विचार तथा घटनाओं के महत्वपूर्ण तथ्य सूचना और उससे संबंधितासारी जानकारी को आरंभ में वाक्य खंडों में लिखा जाता है। उसके पश्चात वाक्य खंडों में से महत्वपूर्ण तथ्य और सूचना को प्रकाशित किया जाता है। इस प्रकार लिखे समाचार पाठकों तक पहुँचते हैं।
प्रश्न 6.
उलटा पिरामिड-शैली से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उलटा पिरामिड-शैली समाचार लेखन की शैलियों में से एक है। यह शैली समाचार लेखन की विशेष शैली है जो सबसे लोक प्रसिद्ध उपयोगी और बुनियादी है। यह शैली कहानी अथवा कथा लेखन की शैली के बिलकुल विपरीत है। इसमें क्लाइमेक्स अंत में आता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य अथवा सूचना पिरामिड के नीचे के भाग में नहीं होते, अपितु इस शैली में पिरामिड को उलट दिया जाता है इसलिए इसे उलटा पिरामिड-शैली कहा जाता है।
उलटा पिरामिड-शैली को 19वीं शताब्दी के मध्य में प्रयोग में लाया गया था। परंतु इसका पूर्णतया विकास अमेरिका में गृहयुद्ध के अंतर्गत हुआ। इस दौरान संवाददाता अपनी खबरें टेलीग्राफ़, संदेशों के माध्यम से भेजते थे, जिसकी सेवाएँ महँगी होने के साथ-साथ अनियमित तथा दुर्लभ थीं। कई बार तकनीकी कारणों के कारण संवाददाताओं को किसी घटना का समाचार कहानी की तरह विस्तार से न देकर संक्षेप में देना पड़ता था। इस प्रकार उलटा पिरामिड-शैली विकसित हुई। धीरे-धीरे यह शैली लेखन की स्टैंडर्ड शैली बन गई। इस प्रकार इस शैली से लेखन एवं संपादन कार्य सुविधापूर्वक होने लगा।
प्रश्न 7.
समाचार लेखन के छह ककारों के बारे में संक्षेप में बताओ।
उत्तर:
किसी भी समाचार को लिखने के लिए छह प्रश्नों का उत्तर: आवश्यक माना जाता है। क्या हुआ, किसके साथ हुआ, कहाँ हुआ, कब हुआ, कैसे और क्यों हुआ? इन्हीं छह प्रश्नों का दूसरा नाम ककार है। इन्हीं छह ककारों को ध्यान में रखकर ही किसी घटना, समस्या और विचार आदि से संबंधित खबर लिखी जाती है। समाचार के आरंभ में जब पैराग्राफ़ लिखना शुरू किया जाता है तब शुरू की दो-तीन पंक्तियों में ‘क्या’, ‘कौन’, ‘कब’ और ‘कहाँ’? इन तीन या चार ककारों को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है।
उसके पश्चात समाचार के मध्य में और समापन से पूर्व ‘कैसे’ और ‘क्यों’ जैसे ककारों का उत्तर: दिया जाता है। इस तरह इन छह ककारों को ध्यान में रखकर समाचार लिखा जाता है। पहले चार ककारों का प्रयोग सूचना और तथ्यों के लिए किया जाता है। परंतु ‘कैसे’ और ‘क्यों’ ककारों द्वारा विवरणात्मक, व्याख्यात्मक और विश्लेषणात्मक पहलुओं पर बल दिया जाता है। इस प्रकार समाचार लेखन की पूरी प्रक्रिया में इन छह ककारों का विशेष महत्व है।
प्रश्न 8.
फ़ीचर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समाचार-पत्रों में समाचारों के अतिरिक्त प्रकाशित होने वाले पत्रकारीय लेखन के फ़ीचर सबसे महत्वपूर्ण हैं। समाचार और फ़ीचर में पर्याप्त अंतर होता है। फ़ीचर का मुख्य लक्ष्य पाठकों को सूचना देने, उन्हें शिक्षित करने के साथ-साथ उनका मनोरंजन करना होता है। फ़ीचर पाठकों को उसी समय घटित घटनाओं से परिचित नहीं कराता, जबकि समाचार पाठकों को तात्कालिक घटनाओं से परिचित कराता है। फ़ीचर लेखन की शैली समाचार-लेखन की शैली से भी भिन्न होती है।
समाचार लिखते समय रिपोर्टर वस्तुनिष्ठता और तथ्यों की शुद्धता पर बल देता है। उसमें अपने विचारों को प्रकट करने का अवसर नहीं होता। लेकिन फ़ीचर में लेखक अपने विचार, भावनाएँ तथा दृष्टिकोण को व्यक्त कर सकता है। … फ़ीचर लेखन में उलटा पिरामिड शैली के स्थान पर कथात्मक शैली का प्रयोग होता है। फ़ीचर लेखन की भाषा समाचारों की अपेक्षा सरल, आकर्षक, रूपात्मक तथा मन को मोह लेने वाली होती है। फ़ीचर में समाचारों की अपेक्षा कम शब्दों का प्रयोग होता है। फ़ीचर समाचार रिपोर्ट से प्रायः दीर्घ होते हैं। समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं में 250 शब्दों से लेकर 2000 शब्दों तक के फ़ीचर प्रकाशित होते हैं।
एक आकर्षक, रोचक एवं अच्छे फ़ीचर के साथ पोस्टर, रेखांकन, ग्राफ़िक्स का होना आवश्यक है। फ़ीचर का विषय हलका एवं गंभीर कुछ भी हो सकता है। फ़ीचर एक पाठशाला के परिचय से लेकर किसी शैक्षणिक यात्रा पर भी केंद्रित हो सकता है। फ़ीचर एक ऐसा नुस्खा है जो ज्यादातर विषय एवं मुद्दे को ध्यान में रखकर उसे प्रस्तुत करते हुए दिया जाता है। फ़ीचर की इन्हीं विशेषताओं के कारण कुछ समाचारों को भी फ़ीचर शैली में प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 9.
विचारपरक लेखन की श्रेणी में किन-किन सामग्रियों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समाचार-पत्रों में समाचार और फ़ीचर के अतिरिक्त विचारपरक सामग्री भी प्रकाशित होती है। कई समाचार-पत्रों की पहचान उनके वैचारिक तत्वों से होती है। समाचार-पत्रों में प्रकाशित होने वाले विचारात्मक लेखों से ही उस समाचार की पहचान होती है। समाचार-पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले लेख, टिप्पणियाँ, संपादकीय लेखन और स्तंभ लेखन इसी श्रेणी में आते हैं।
लेख-सभी समाचार-पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर सार्वजनिक मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकारों और उनके विषयों के विशेषज्ञों से संबंधित लेख प्रकाशित किए जाते हैं। प्रकाशित लेखों में किसी विषय या मुद्दे पर विस्तारपूर्वक चर्चा होती है। लेख में लेखकों के विचारों को महत्व दिया जाता है।
लेकिन ये विचार तथ्यों और सूचनाओं पर आधारित होने चाहिए। लेखक तथ्यों और सूचनाओं के विश्लेषण और तों के माध्यम से अपनी सलाह प्रस्तुत करता है। लेख लिखने के लिए काफ़ी तैयारी की आवश्यकता होती है। लेखक को किसी विषय पर लेख लिखने से पहले दूसरे लेखकों और पत्रकारों के विचार को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए। हर लेखक की शैली निजी होती है। समाचार-पत्र और पत्रिकाओं में लेख लिखते समय शुरुआत ऐसे विषयों के साथ करनी चाहिए जिसके बारे में हमें अच्छी जानकारी हो। लेख का एक प्रारंभ, मध्य और अंत होता है। लेख का प्रारंभ आकर्षक बनाने के लिए किसी विषय के सबसे ताजा प्रसंग या घटनाक्रम का सबसे पहले विवरण करना चाहिए।
उसके पश्चात उससे जुड़े अन्य पहलुओं को प्रस्तुत करना चाहिए। इस तरह लेख के अंतर्गत तथ्यों की सहायता से विश्लेषण करते हुए हम अपना मत प्रकट कर सकते हैं। टिप्पणियाँ-विचारपरक लेखन के अंतर्गत भिन्न-भिन्न टिप्पणियाँ भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका द्वारा समाचार-पत्रों की छवि को बढ़ाती रहती हैं। संपादकीय लेखन-संपादकीय लेखन को समाचार-पत्र की अपनी आवाज़ माना जाता है। संपादकीय के माध्यम से समाचार-पत्र किसी घटना, समस्या या मुद्दे के प्रति अपने विचार प्रकट करते हैं।
संपादकीय किसी विशेष व्यक्ति के विचार से संबंधित नहीं होता इसलिए इसे बिना किसी नाम के छापा जाता है। संपादकीय लिखने का उत्तर:दायित्व उस समाचार-पत्रों में काम करने वाले संपादक और उनके सहयोगियों का होता है।
विशेषकर समाचार-पत्रों में सहायक संपादक, संपादकीय लिखते हैं। किसी भी बाहरी लेखक या पत्रकार को संपादकीय लिखने की अनुमति नहीं होती। हिंदी के समाचार पत्रों में किन्हीं में तीन, किन्हीं में दो और किन्हीं में केवल एक संपादकीय प्रकाशित होता है। स्तंभ-लेखन-स्तंभ-लेखन विचारपरक लेखन का प्रमुख रूप है। जिन लेखकों की लेखन-शैली विकसित हो जाती है, उन लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचार-पत्र उन्हें नियमित स्तंभ लिखने का उत्तर:दायित्व दे देते हैं।
स्तंभ का विषय और उनमें विचार लेखक अपनी इच्छानुसार चुन अथवा व्यक्त कर सकता है। स्तंभ में लेखक के विचार अभिव्यक्त होते हैं। स्तंभ की पहचान लेखकों के नाम पर स्तंभ इतने प्रसिद्ध हो जाते हैं कि समाचार-पत्र उनके कारण ही पहचाने जाते हैं। नए लेखकों की अपेक्षा पुराने लेखकों को स्तंभ लिखने का मौका ज्यादा मिलता है। स्तंभ जनमत के लिए दर्पण का कार्य करता है।
प्रश्न 10.
संपादक के नाम पत्र किस प्रकार लिखा जाता है?
उत्तर:
समाचार-पत्रों के संपादकीय पृष्ठ पर और पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम पाठकों के पत्र प्रकाशित किए जाते हैं। सभी समाचार-पत्रों का एक स्थायी स्तंभ होता है। यह पाठकों का निजी स्तंभ होता है। इस स्तंभ के माध्यम से समाचार-पत्र के पाठक विभिन्न मुद्दों पर अपने मत व्यक्त करने के साथ-साथ जन-समस्याओं को भी उठाते हैं। यह स्तंभ जनमत के लिए दर्पण का कार्य करता है। परंतु कई बार समाचार-पत्र पाठकों द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से सहमत नहीं होते। यह स्तंभ नए लेखकों के लिए लेखन की
शुरुआत करने का अच्छा अवसर प्रदान करता है।
प्रश्न 11.
समाचार-लेखन में साक्षात्कार/इंटरव्यू की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाचार माध्यमों में साक्षात्कार का बहुत महत्व है। पत्रकार साक्षात्कार के माध्यम से ही समाचार, फ़ीचर, विशेष रिपोर्ट तथा दूसरे कई तरह के पत्रकारीय लेखन के लिए कच्ची सामग्री एकत्रित करते हैं। पत्रकारीय साक्षात्कार और सामान्य बोलचाल में यह अंतर होता है कि साक्षात्कार में एक पत्रकार किसी अन्य व्यक्ति से तथ्य, उसकी राय तथा भावनाएँ जानने के लिए प्रश्न पूछता है। एक सफल साक्षात्कार के लिए केवल ज्ञान का होना ज़रूरी नहीं, ज्ञान के साथ-साथ संवेदनशीलता, कूटनीति, धैर्य और साहस जैसे गुण भी होने चाहिए। एक अच्छे और कुशल साक्षात्कार के लिए आवश्यक है कि जिस विषय और जिस व्यक्ति के साथ साक्षात्कार करना हो उसके बारे में पर्याप्त जानकारी हो।
साक्षात्कार से क्या निकालना है इसके बारे में स्पष्ट रहना आवश्यक है। प्रश्न केवल वही पूछे जाने चाहिए जो समाचार-पत्र के एक आम पाठक के मन में हो सकते हैं। साक्षात्कार की अगर रिकार्डिंग करना संभव हो तो अच्छा है नहीं तो साक्षात्कार के समय नोट्स लेते रह सकते हैं। साक्षात्कार को लिखते समय दो तरीकों में से कोई भी एक तरीका सुविधानुसार अपनाया जा सकता है। साक्षात्कार को प्रश्न और फिर उत्तर: के रूप में लिखा जा सकता है या फिर उसे एक आलेख की तरह भी लिखा . जा सकता है।
प्रश्न 12.
विशेष रिपोर्ट किस प्रकार लिखी जाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में प्राय: विशेष रिपोर्ट दिखाई देती हैं जो गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या का परिणाम होती हैं।
इन्हें किसी विशेष समस्या, मुद्दे या घटना की छानबीन के बाद लिखा जाता है। यह लेखन-कार्य तथ्यों पर पूरी तरह से आधारित होता है। खोजी रिपोर्ट, इन-डेप्थ रिपोर्ट, विश्लेषणात्मक रिपोर्ट और विवरणात्मक रिपोर्ट में विशेष तथ्यों को सामने लाया जाता है, जो पहले उपलब्ध नहीं थे।
खोजी रिपोर्ट में प्राय:-भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गड़बड़ियों को उजागर किया जाता है। इन-डेप्थ रिपोर्ट में किसी घटना, समस्या या मुद्दे को सामने लाया जाता है। विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या से जुड़ी तथ्यात्मक व्याख्या की जाती है और विवरणात्मक रिपोर्ट में किसी घटना का बारीक और विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाता है। किसी भी विशेष रिपोर्ट के लेखन में निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दिया जाना आवश्यक है
(क) विशेष रिपोर्ट का लेखन-कार्य उलटा पिरामिड-शैली में किया जाता है।
(ख) कभी-कभी रिपोर्ट को फ़ीचर-शैली में भी लिखा जाता है।
(ग) बहुत विस्तृत रिपोर्ट में उलटा पिरामिड और फ़ीचर शैली को कभी-कभी आपस में मिला लिया जाता है।
(घ) कई बार लंबी रिपोर्ट को शृंखलाबद्ध करके कई दिन छापा जाता है।
(ङ) रिपोर्ट की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की होती है।
पाठ से संवाद
प्रश्न 1.
किसे क्या कहते हैं?
(क) सबसे महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना को सबसे ऊपर रखना और उसके बाद घटते हुए महत्वक्रम में सूचनाएँ देना…
(ख) समाचार के अंतर्गत किसी घटना का नवीनतम और महत्वपूर्ण पहलू…..
(ग) किसी समाचार के अंतर्गत उसका विस्तार, पृष्ठभूमि, विवरण आदि देना…
(घ) ऐसा सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन; जिसके माध्यम से सूचनाओं के साथ-साथ मनोरंजन पर भी ध्यान ……. दिया जाता है… .
(ङ) किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहन छानबीन और विश्लेषण…
(च) वह लेख, जिसमें किसी मुद्दे के प्रति समाचार-पत्र की अपनी राय प्रकट होती है….
उत्तर:
(क) उलटा पिरामिड में समाचार का ढाँचा
(ख) क्लाईमेक्स
(ग) छह ककार
(घ) फ़ीचर
(ङ) विशेष रिपोर्ट
(च) संपादकीय
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए समाचार के अंश को ध्यानपूर्वक पढ़िए
शांति का संदेश लेकर आए फ़जलुर्रहमान
पाकिस्तान में विपक्ष के नेता मौलाना फ़जलुर्रहमान ने अपनी भारत-यात्रा के दौरान कहा कि वह शांति व भाईचारे का संदेश लेकर आए – हैं। यहाँ दारुलउलूम पहुँचने पर पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों में निरंतर सुधार हो रहा है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से गत सप्ताह नई दिल्ली में हुई वार्ता के संदर्भ में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सरकार ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए 9 प्रस्ताव दिए हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन पर विचार करने का आश्वासन दिया है। कश्मीर समस्या के संबंध में मौलाना साहब ने आशावादी रवैया अपनाते हुए कहा कि 50 वर्षों की इतनी बड़ी जटिल समस्या का एक-दो वार्ता में हल होना संभव नहीं है। लेकिन इस समस्या का समाधान अवश्य निकलेगा। प्रधानमंत्री के प्रस्तावित पाकिस्तान दौरे की बाबत उनका कहना था कि निकट भविष्य में यह संभव है और हम लोग उनका ऐतिहासिक स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते बहुत मज़बूत हुए हैं और प्रथम बार सीमाएँ खुली हैं, व्यापार बढ़ा है तथा बसों का आवागमन आरंभ हुआ है। (हिंदुस्तान से साभार)
(क) दिए गए समाचार में से ककार ढूँढ़कर लिखिए, जो ककार नहीं हैं उन्हें बताइए।
(ख) उपर्युक्त उदाहरण के आधार पर निम्नलिखित बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए
• इंट्रो
• बॉडी
• सनातन
अभिव्यक्ति और माध्यम
(ग) उपर्युक्त उदाहरण का गौर से अवलोकन कीजिए और बताइए कि ये कौन-सी पिरामीड-शैली में है, और क्यों?
उत्तर:
(क) दिए गए समाचार में सभी छह ककार-क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों, कैसे-विद्यमान हैं।
क्या-शांति और भाईचारे का संदेश। ..
कौन-पाकिस्तान के विपक्ष के नेता मौलाना फ़जलुर्रहमान।
कहाँ-दारुलउलूम के पत्रकार सम्मेलन में।
कब-भारत यात्रा के दौरान।
क्यों-दोनों देशों के संबंधों में सुधार के लिए।
कैसे-शांति प्रस्तावों से।
(ख)
- इंट्रो-पाकिस्तान के विपक्ष के नेता मौलाना फ़जलुर्रहमान की भारत यात्रा पर शांति और भाईचारे का संदेश लेकर आना।
- बॉडी-दोनों देशों के बीच संबंधों में निरंतर सुधार, पाकिस्तान सरकार का प्रस्ताव और आशावादी रवैया तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का उन पर विचार का आश्वासन।
- समापन-दोनों देशों के मज़बूत रिश्तों के प्रति आशावान। …
(ग) यह उदाहरण उलटा पिरामिड-शैली में है। इसका आरंभ पाकिस्तान के विपक्ष के नेता के भारत आगमन से हुआ। जो मुखड़े के रूप में है। पाकिस्तान सरकार के कश्मीर समस्या के समाधान के लिए 9 प्रस्तावों पर विचार करने का आश्वासन और मौलाना साहब का आशावादी रवैया समाचार की बॉडी है। व्यापार बढ़ने और बसों के आवागमन के साधन को समापन कहेंगे।
प्रश्न 3.
एक दिन के किन्हीं तीन समाचार-पत्रों को पढ़िए और दिए गए बिंदुओं के संदर्भ में उनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
(क) सूचनाओं का केंद्र/मुख्य आकर्षण
(ख) समाचार का पृष्ठ एवं स्थान
(ग) समाचार की प्रस्तुति
(घ) समाचार की भाषा-शैली
उत्तर:
रविवार के दैनिक भास्कर, पंजाब केसरी और दैनिक जागरण को पढ़ा। उनका प्रश्नानुसार तुलनात्मक अध्ययन किया और निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुंचा।
(क) सूचनाओं का केंद्र/मुख्य आकर्षण
(i) दैनिक भास्कर-इसमें राजनीति, खेलकूद, धर्म-संस्कृति, मनोरंजन आदि विषयों को प्रस्तुत किया गया है। नगर से जुड़े तथा फ़िल्मी जगत से संबंधित विशेष आकर्षणों को इसमें स्थान दिया गया है।
(ii) पंजाब केसरी-इसमें राजनीति, समाज, खेलकूद, मनोरंजन, विश्व अवलोकन आदि को केंद्र में रखा गया है। नगर से जुड़े समाचार तथा फ़िल्मी जगत को स्थान दिया गया है। बच्चों के मनोरंजन की ओर ध्यान दिया गया है।
(iii) दैनिक जागरण-राजनीति, समाज, खेलकूद, मनोरंजन, यात्रा के साथ-साथ राज्य संबंधी समाचारों को केंद्र में रखा गया है। नगर से संबंधित समाचार हैं। संपादकीय पृष्ठ पर सजगता और ज्ञान-बोध को प्रमुखता दी गई है।
(ख) सूचनाओं का पृष्ठ एवं स्थान
(i) दैनिक भास्कर-सूचनाओं का केंद्र पृष्ठ 1, 4, 5, 10 और 14 हैं। पृष्ठ 12 और 13 खेल-समाचारों की सूचना के केंद्र हैं। इसके मुख्य आकर्षण वूल्मर हत्याकांड पर रचित रिपोर्ट, रामनवमी पर प्रस्तुत पृष्ठ, नॉलेज और स्टाइल पृष्ठ हैं। इसके अतिरिक्त रस रंग है। नगर से संबंधित सूचनाएँ और खबरें देने के लिए चार पृष्ठ का पत्र है।
(ii) पंजाब केसरी-सूचनाओं का केंद्र पृष्ठ 1, 3, 5, 7 और 14 हैं। पृष्ठ 12 और 13 खेल-समाचारों से भरे हुए हैं। राज्य समाचार, विश्व आलोकन, कारोबार और दर्पण से संबंधित पृष्ठ आकर्षक हैं। इसके अतिरिक्त रविवारीय अंक तथा जिंदगी है। नगर से संबंधित चार पृष्ठ का समाचार-पत्र है।
(iii) दैनिक जागरण-सूचनाओं का केंद्र पृष्ठ 1, 2, 5, 7, 9 और 10 हैं। पृष्ठ 12, 13, 14 पर खेल-समाचार हैं। पृष्ठ 3 पर राज्य से संबंधित समाचार है। पृष्ठ 7 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचारों से संबंधित है, पृष्ठ 10 अर्थजगत से संबंधित है और इसमें पृष्ठ 11 पर भरोसा है। इसके अतिरिक्त ‘जागरण सिटी’ और ‘यात्रा’ से संबंधित 8 पृष्ठ अतिरिक्त हैं।
(ग) समाचार की प्रस्तुति-तीनों समाचार-पत्रों में समाचार प्रस्तुति सहज-स्वाभाविक रूप से की गई है। उनमें कोई विशेष अंतर नहीं है। सभी की तथ्यात्मकता के लिए रंग-बिरंगे चित्रों का प्रयोग किया गया है। सभी ने विभिन्न एजेंसियों से समाचार प्राप्त किए हैं और अपने-अपने संवाददाताओं से प्राप्त समाचारों को प्रकाशित किया है।
(घ) तीनों समाचार-पत्रों में खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है। तद्भव शब्दों के साथ तत्सम शब्दावली का प्रयोग है पर वे शब्द कठिन नहीं हैं। वाक्य बहुत लंबे-लंबे नहीं हैं। उनमें गतिशीलता है। भाषा-शैली भारी-भरकम नहीं है।
प्रश्न 4.
अपने विद्यालय और मुहल्ले के आसपास की समस्याओं पर नजर डालें; जैसे पानी की कमी, बिजली की कटौती, खराब सड़कें, सफ़ाई की दुर्व्यवस्था। इनमें से किन्हीं दो विषयों पर रिपोर्ट तैयार करें और अपने शहर के अख़बार में भेजें।
उत्तर:
(क) पानी की कमी-जून का महीना है। सूर्य देवता दिन-भर आसमान से धूप बरसाते हैं और नगर में जनता पानी के लिए तरस रही है। पूरा सप्ताह बीत गया है कि नगर के किसी भी क्षेत्र में चौबीस घंटे में दो घंटे से अधिक पानी नलों से नहीं टपका। . जब एक-दो घंटों के लिए पानी आता भी है वह इतना कम होता है कि सारे दिन की आवश्यकता के लिए उसे इकट्ठा ही नहीं किया जा सकता। संपन्न और मध्यवर्गीय लोगों ने बिजली की मोटरें लगवा रखी हैं। सारा पानी तो वे ही खींच लेती हैं। पीने के लिए भी पानी प्राप्त नहीं हो पाता। कुछ बस्तियों ने निगम में टैंकरों से पानी भिजवाना आरंभ अवश्य किया है पर वहाँ भी एक अनार सौ बीमार वाली बात हो रही है। हाँ, इतना अवश्य है कि पीने के लिए एक-दो बाल्टी पानी मिल जाता है। इतनी गर्मी में नहाना भी कठिन हो गया है। घरों में लगे पौधे तो सूख ही गए हैं।
(ख) बिजली की कटौती-आजकल इतनी गर्मी है कि दोपहर के समय घर से बाहर पैर निकालना भी कठिन लगता है और ऊपर से बिजली की भारी कटौती ने नाक में दम कर दिया है। रात भर बिजली नहीं आती। टपटप गिरता पसीना और मच्छरों की धूं-धूं से सारा नगर परेशान है। दिन भर परिश्रम करने वाले लोग कुछ घंटे सोकर थकान दूर करना चाहते हैं। पर बिजली की .. कटौती के कारण वे ऐसा कर नहीं पाते। जिन लोगों ने इंवर्टर लगाए हुए हैं वे भी कुछ घंटे बाद दाएँ-बाएँ देखने के लिए मजबूर.. हो जाते हैं। क्योंकि बिजली के लंबे कट के कारण बेकार हो जाते हैं। ए० सी० और कूलर तो दिखावे के लिए ही रह गए हैं। फ्रिज न चल पाने के कारण रसोई का बहुत-सा सामान रोज ही खराब हो जाता है। रात के समय सड़कें और गलियाँ अंधकार में डूबी रहती हैं। इससे दुर्घटनाएँ तो होती ही हैं साथ ही चोरियों की संख्या बढ़ गई है।
(ग) खराब सड़कें-कहने को तो हमारे नगर को राज्य के सबसे सुंदर नगरों में गिना जाता है पर वह तब तक ही सुंदर है जब तक जाए। हमारे नगर की 80% सड़कें टूटी-फूटी हैं। रेलवे रोड पर तो इतने गहरे गड्ढे हैं कि उनमें ट्रक-बस तक उछल जाते हैं। उन्हें भी धीमी गति से चलना पड़ता है। स्कूटर-मोटरसाइकिल वाले तो वहाँ प्राय: गिरते ही रहते हैं। पता नहीं, कितने बेचारे अब तक इस कारण जख्मी होकर अपना इलाज करवा रहे हैं। बारिश आ जाने के बाद इन गड्ढों में पानी भर जाता है तब तो समस्या और भी बढ़ जाती है। पता ही नहीं लगता कि कहाँ सड़क टूटी हुई और कहाँ नहीं। हमारे नगर की सड़कें तो बिलकुल चंद्रमा की सतह जैसी गड्ढों से भरी हुई हैं। कॉर्पोरेशन इसे हर वर्ष दिखावे के लिए ठीक कराती है, इसके गड्ढों को भरवाती है जो एक-डेढ़ महीने बाद पहले जैसे ही हो जाते हैं। पता नहीं राज्य सरकार कब जागेगी और हमारी सड़कों को फिर से बनवाएगी।
(घ) सफ़ाई की दुर्व्यवस्था-मैं जिस सरकारी विद्यालय में पढ़ती हूँ वहाँ शायद सफ़ाई हुए महीनों बीत चुके हैं। कहते हैं कि हमारे स्कूल में दो सफाई कर्मचारी हैं पर मैंने तो उन्हें कभी नहीं देखा। पता नहीं वे कब आते हैं, कब सफ़ाई करते हैं? विद्यालय में एक छोटा-सा शौचालय है जिससे उठने वाली दुर्गंध विद्यालय के मैदान में दूर तक सदा फैली रहती है। शौचालय में नाक को बंद करके पाँव रखना भी साहस का काम लगता है। वहाँ जाने की ज़रा भी इच्छा नहीं होती पर मजबूरी में कभी-कभी जाना ही पड़ता है। वहाँ जाने पर तो मितली-सी होती है। विद्यालय के सारे कमरे गंदे हैं। छतें और दीवारें मकड़ी के जालों से भरे हैं।
सभी जगह धूल की मोटी परत जमी हुई है। जब हम अपनी अध्यापिका से सफ़ाई के बारे में कहती हैं तो झट से कहती हैं-‘यह मेरा काम नहीं है। तुम पढ़ो। उस तरफ मत ध्यान दो।’ पर हम क्या करें? गंदगी में हमारा मन बैठने को नहीं करता। सफ़ाई में भगवान बसते हैं। हमारे विद्यालय से तो भगवान कोसों दूर रहते होंगे। पता नहीं हमारे प्रधानाध्यापक का ध्यान इस ओर कब जाएगा?
प्रश्न 5.
किसी क्षेत्र विशेष से जुड़े व्यक्ति से साक्षात्कार करने के लिए प्रश्न-सूची तैयार कीजिए, जैसे
• संगीत/नृत्य
• चित्रकला
• शिक्षा
• अभिनय
• साहित्य
• खेल
उत्तर:
एक साहित्यकार से साक्षात्कार करने के लिए प्रश्नों की सूची-..
(i) आप साहित्य किसे मानते हैं ?
(ii) आप साहित्य की किस विधा से जुड़कर अपने भाव व्यक्त करते हैं ?
(iii) कविता क्या है?
(iv) आपने कविता को ही अन्य विधाओं की अपेक्षा अधिक महत्व क्यों दिया?
(v) आपकी कविता के सामान्य रूप से विषय कौन-कौन से होते हैं ?
(vi) क्या आप फरमाइशी कविता भी लिखते हैं ?
(vii) फ़रमाइशी कविता लिखने में क्या कठिनाइयाँ आती हैं ?
(viii) आप छंदरहित कविता ही क्यों लिखते हैं ?
(ix) पुरानी कविता से आपकी कविता किस आधार पर भिन्न है ? ….
(x) क्या प्रकृति ने आपकी कविता को प्रभावित किया है ?
(xi) प्रकृति का कौन-सा रूप आपको सबसे अधिक प्रभावित करता है?
(xi) आप अपनी कविता से समाज को क्या देना चाहते हैं ?
(xiii) क्या आपको कोई सरकारी/गैर-सरकारीपुरस्कार प्राप्त हुआ है ?
(xiv) आपकी कितनी पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं ?
(xv) आप अपने पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
प्रश्न 6.
आप अख़बार के मुख पृष्ठ पर कौन-से छह समाचार शीर्षक सुर्खियाँ (हेडलाइन) देखना चाहेंगे? उन्हें लिखिए।
उत्तर: :
(i) राजनीति-देश के नेता भ्रष्टाचार से बहुत दूर।
(ii) समाज-कल्याण-पूँजीपतियों ने जिम्मा उठाया अनाथ बच्चों के पालन-पोषण का।
(iii) मानवीयता-आतंकवादी ने मौत के मुंह से बचाया एक बच्चे को।
(iv) खेलकूद-भारत विश्व क्रिकेट कप के फाइनल में।
(v) समाज की समस्याएँ-देश से बेरोजगारी की समस्या समाप्त।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: एक-दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
मुद्रण माध्यम के अंतर्गत कौन-कौन से माध्यम आते हैं ?
उत्तर:
मुद्रण माध्यम के अंतर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आते हैं।
प्रश्न 2.
फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ का क्या आशय है?
उत्तर::
जब कोई विशेष समाचार सबसे पहले दर्शकों तक पहुँचाया जाता है तो उसे फ्लैश अथवा ब्रेकिंग न्यूज़ कहते हैं।
प्रश्न: 3.
ड्राई एंकर क्या है?
उत्तर:
ड्राई एंकर वह होता है जो समाचार के दृश्य नज़र नहीं आने तक दर्शकों को रिपोर्टर से मिली जानकारी के आधार पर समाचार
प्रश्न 4.
फोन-इन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एंकर का घटनास्थल पर उपस्थित रिपोर्टर से फ़ोन के माध्यम से घटित घटनाओं की जानकारी दर्शकों तक पहुँचाना फ़ोन-इन कहलाता है।
प्रश्न 5.
लाइव से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी समाचार का घटनास्थल से दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण लाइव कहलाता है।
प्रश्न 6.
जनसंचार के प्रमुख माध्यम कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जनसंचार के प्रमुख माध्यम समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ
प्रश्न 7.
इंटरनेट पर समाचार से संबंधित क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं ?
उत्तर:
इंटरनेट पर समाचार पढ़ने, सुनने और देखने की तीनों सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
प्रश्न 8.
मुद्रित माध्यमों की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
मुद्रित माध्यमों को सुरक्षित रख सकते हैं। इन्हें जब चाहे और जैसे चाहे पढ़ा जा सकता है। इनसे लिखित भाषा का विस्तार होता है। इसमें गूढ़ और गंभीर विषयों पर लिखा जा सकता है।
प्रश्न 9.
रेडियो कैसा जनसंचार माध्यम है ? इसमें किसका मेल होता है?
उत्तर:
रेडियो श्रव्य माध्यम है। इसमें ध्वनि, स्वर और शब्दों का मेल होता है।
प्रश्न 10.
रेडियो समाचार-लेखन के लिए आवश्यक बिंदु क्या हैं?
उत्तर::
रेडियो समाचार की समाचार कॉपी साफ़-सुथरी और टंकित होनी चाहिए।
प्रश्न 11.
दूरदर्शन जनसंचार का कैसा माध्यम है ?
उत्तर:
दूरदर्शन जनसंचार माध्यमों में देखने और सुनने का माध्यम है।
प्रश्न 12.
रेडियो और दूरदर्शन समाचार की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
तर भाषा अत्यंत सरल होनी चाहिए। वाक्य छोटे, सीधे और स्पष्ट हों। भाषा प्रवाहमयी तथा भ्रामक शब्दों से रहित हो। एक वाक्य में एक
बात कही जाए। मुहावरों, सामाजिक भाषा, अप्रचलित शब्दों, आलंकारिक शब्दावली आदि प्रयोगों से बचना चा
प्रश्न 13.
इंटरनेट पत्रकारिता को अन्य किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
इंटरनेट पत्रकारिता को ऑन लाइन पत्रकारिता, साइबर पत्रकारिता तथा वेब पत्रकारिता के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 14.
इंटरनेट पत्रकारिता क्या है?
उत्तर:
इंटरनेट पर समाचार-पत्रों को प्रकाशित करना तथा समाचारों का आदान-प्रदान करना इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है।
प्रश्न 15.
इंटरनेट पत्रकारिता के कितने दौर हुए हैं?
उत्तर:
इंटरनेट पत्रकारिता के तीन दौर हुए हैं। पहला दौर 1982 से 1992 तक, दूसरा दौर 1993 से 2001 तक और तीसरा और 2002 से शुरू हुआ है।
प्रश्न 16.
भारत में इंटरनेट का आरंभ कब हुआ था?
उत्तर:
भारत में इंटरनेट का आरंभ सन 1993 में हुआ था।
प्रश्न 17.
वेबसाइट पर विशुद्ध इंटरनेट पत्रकारिता आरंभ करने का श्रेय भारत में किसे दिया जाता है?
उत्तर:
भारत में इंटरनेट पर विशुद्ध पत्रकारिता आरंभ करने का श्रेय ‘तहलका डॉट काम’ को दिया जाता है।
प्रर 18.
इंटरनेट पत्रकारिता आजकल बहुत लोकप्रिय क्यों है?
उत्तर:
इंटरनेट पत्रकारिता से न केवल समाचारों का संप्रेषण, पुष्टि, सत्यापन होता है बल्कि समाचारों के बैकग्राउंडर तैयार करने में तत्काल सहायता मिलती है। इसलिए यह आजकल बहुत लोकप्रिय है।
प्रश्न 19.
पत्रकारीय लेखन में किस बात का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
पत्रकारीय लेखन आम लोगों को ध्यान में रखकर सीधी-सादी आम बोलचाल की भाषा में होना चाहिए।
प्रश्न 20.
उलटा पिरामिड-शैली क्या है?
उत्तर:
इसमें सबसे पहले महत्वपूर्ण तथ्य तथा जानकारियाँ दी जाती हैं तथा बाद में कम महत्वपूर्ण बातें देकर समाप्त कर दिया जाता है। इसकी सूरत उलटे पिरामिड जैसी होने के कारण इसे उलटा पिरामिड-शैली कहते हैं।
प्रश्न 21.
पूर्णकालिक पत्रकार किसे कहते हैं?
उत्तर:
पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार-संगठन में काम करने वाला नियमित वेतन भोगी कर्मचारी होता है।
प्रश्न 22.
अंशकालिक पत्रकार किसे कहते हैं? (C.B.S.E., 2018)
उत्तर:
अंशकालिक पत्रकार वह होता है जो किसी समाचार-संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय के आधार पर काम करता है।
प्रश्न 23.
फ्रीलांसर पत्रकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
फ्रीलांसर पत्रकार किसी समाचार-पत्र से संब
प्रश्न 24.
समाचार-लेखन के कितने ककार हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
समाचार-लेखन के छह ककार हैं। ये हैं-क्या, कौन, कब, कहाँ, कैसे और क्यों।
प्रश्न 25.
विचारपरक लेखन में क्या-क्या आता है?
उत्तर:
विचारपरक लेखन में लेख, टिप्पणियों, संपादकीय तथा स्तंभ लेखन आता है।
प्रश्न 26.
उलटा पिरामिड में समाचार का ढाँचा कैसा होता है?
उत्तर:
इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य अथवा सूचना को सबसे पहले लिखा जाता है और इसके बाद घटते हुए महत्वक्रम में लिखा जाता है।
प्रश्न 27.
‘क्लाईमेक्स’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
समाचार के अंतर्गत किसी घटना का नवीनतम और महत्वपूर्ण पक्ष क्लाईमेक्स कहलाता है।
प्रश्न 28.
फ़ीचर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसीसुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन को फ़ीचर कहते हैं, जिसके माध्यम से सूचनाओं के साथ-साथ मनोरंजन पर भी ध्यान दिया जाता है।
प्रश्न 29.
विशेष रिपोर्ट क्या होती है?
उत्तर:
किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहन छानबीन और विश्लेषण को विशेष रिपोर्ट कहते हैं।
प्रश्न 30.
संपादकीय क्या है?
उत्तर:
वह लेख जिसमें किसी मुद्दे के प्रति समाचार-पत्र की अपनी राय प्रकट होती है, संपादकीय कहलाता है।
प्रश्न 31.
विशेष लेखन क्या है?
उत्तर:
किसी विशेष विषय पर सामान्य लेखन से डटकर लिखा गया लेख विशेष लेखन कहलाता है।
प्रश्न 32.
बीट रिपोर्टिंग क्या होती है ?
उत्तर:
जो संवाददाता केवल अपने क्षेत्र विशेष से संबंधित रिपोर्टों को भेजता है, वह बीट रिपोर्टिंग कहलाती है।
प्रश्न 33.
व्यापार-कारोबार की रिपोर्टिंग की भाषा कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
व्यापार-कारोबार से संबंधित रिपोर्टिंग में व्यापार जगत में प्रचलित शब्दावली का प्रयोग होना चाहिए।
प्रश्न 34.
समाचार-पत्रों में विशेष लेखन के क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
समाचार-पत्रों में विशेष लेखन के क्षेत्र व्यापार जगत, खेल, विज्ञान, कृषि, मनोरंजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, अपराध, कानून आदि हैं।
प्रश्न 35.
समाचार-पत्रों के लिए सूचनाएँ प्राप्त करने के स्त्रोत कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
समाचार-पत्रों के लिए सूचनाएँ विभिन्न मंत्रालयों, प्रेस कॉफ्रेंसों, विज्ञप्तियों, साक्षात्कारों, सर्वे, जाँच-समितियों, संबंधित विभागों, इंटरनेट, विशिष्ट व्यक्तियों, संस्थाओं आदि से प्राप्त की जाती हैं।
प्रश्न 36.
भारत में विज्ञान के क्षेत्र में कौन-सी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं ?
उत्तर:
भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, नेशनल रिसर्च डेवल्पमेंट कार्पोरेशन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भाभा परमाणु संस्थान, राष्टीय भौतिकी शोध संस्थान आदि संस्थाएं विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रही हैं।
प्रश्न 37.
पर्यावरण से संबंधित पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण एबस्ट्रेक्ट, डाउन टू अर्थ, नेशनल ज्योग्रॉफ़ी।
प्रश्न 38.
खोजी पत्रकारिता से क्या आशय है ?
उत्तर:
खोजी पत्रकारिता में पत्रकार मौलिक शोध और छानबीन के द्वारा ऐसी सूचनाएँ तथा तथ्य उजागर करता है जो सार्वजनिक रूप
से पहले उपलब्ध नहीं थे।
प्रश्न 39.
भारत में पहली छापाखाना कहाँ और कब खुला था?
उत्तर:
भारत में पहला छापाखाना गोआ में सन 1556 ई० में खुला था।
प्रश्न 40.
पत्रकारीय लेखन में पत्रकार को किन दो बातों से बचना चाहिए?
उत्तर:
पत्रकारीय लेखन में पत्रकार को कभी भी लंबे-लंबे वाक्य नहीं लिखने चाहिए। उसे किसी भी अवस्था में अनावश्यक विशेषणों और उपमाओं का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 41.
मुद्रण का प्रारंभ कहाँ से माना जाता है?
उत्तर:
मुद्रण का प्रारंभ चीन से माना जाता है।
प्रश्न 42.
वर्तमान छापेखाने के आविष्कार का श्रेय किसे है?
उत्तर:
वर्तमान छापेखाने का श्रेय जर्मनी के गुटेनबर्ग को है।
प्रश्न 43.
जनसंचार का मुद्रित माध्यम किनके लिए किसी काम का नहीं है?
उत्तर:
निरक्षरों के लिए जनसंचार का मुद्रित माध्यम किसी काम का नहीं है।
प्रश्न 44.
साप्ताहिक पत्रिका सप्ताह में कितनी बार प्रकाशित होती है?
उत्तर:
साप्ताहिक पत्रिका सप्ताह में एक बार प्रकाशित होती है।
प्रश्न 45.
रेडियो में क्या सुविधा नहीं है?
उत्तर:
रेडियो में अखबार की तरह पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं है।
प्रश्न 46.
आजकल टेलीप्रिंटर पर एक सेकेंड में कितने शब्द भेजे जा सकते हैं?
उत्तर:
आजकल टेलीप्रिंटर पर एक सेकेंड में 56 किलोबाइट अर्थात लगभग 70 हज़ार शब्द भेजे जा सकते हैं।
प्रश्न 47.
नई वेब भाषा को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
नई वेब भाषा को ‘एच०टी०एम०एल०’ अर्थात हाइपर टेक्स्ट मार्डअप लैंग्वेज कहते हैं।
प्रश्न 48.
भारत की प्रमुख वेबसाइटें कौन-सी हैं?
उत्तर:
भारत की प्रमुख वेबसाइटें रीडिफ डॉटकॉम, इंडिया इंफोलाइन, सीफी, हिंदू तहलका डॉटकॉम आदि हैं।
प्रश्न 49.
हिंदी की सर्वश्रेष्ठ इंटरनेट पत्रकारिता की साइट कौन-सी है?
उत्तर:
पत्रकारिता के लिहाज से हिंदी की सर्वश्रेष्ठ इंटरनेट साइट बी०बी०सी० है।
प्रश्न 50.
इंटरनेट पर उपलब्ध हिंदी का वह कौन-सा समाचार-पत्र है जो प्रिंट रूप में नहीं है ?
उत्तर:
प्रभासाक्षी’ नामक समाचार-पत्र केवल इंटरनेट पर उपलब्ध है।
प्रश्न 51.
उलटा पिरामिड में समाचार का ढाँचा कैसा होता है?
उत्तर:
उलटे पिरामिड ढाँचे में सबसे पहले इंट्रो या मुखड़ा, फिर बाडी और अंत में समापन होता है।
प्रश्न 52.
उलटा पिरामिड-शैली का प्रयोग कब से शुरू हुआ था?
उत्तर:
उलटा पिरामिड-शैली का प्रयोग उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरू हुआ था।
प्रश्न 53.
समाचार-पत्रों में छपने वाले फ़ीचरों की शब्द-संख्या कितनी होती है?
उत्तर:
समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में छपने वाले फ़ीचरों की शब्द-संख्या 250 शब्दों से लेकर 2000 होती है।
प्रश्न 54.
एक अच्छे और रोचक फ़ीचर के साथ क्या होना आवश्यक है?
उत्तर:
एक अच्छे और रोचक फ़ीचर के साथ फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि का होना आवश्यक है।
प्रश्न 55.
समाचार-पत्र कैसा माध्यम है?
उत्तर:
समाचार-पत्र केवल छपे हुए शब्दों का माध्यम है।
प्रश्न 56.
जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम कौन-सा है ?
उत्तर:
मुद्रित माध्यम जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है।
प्रश्न 57.
यूरोप में छापेखाने की महत्वपूर्ण भूमिका कब रही?
उत्तर:
यूरोप में पुनर्जागरण के ‘रेनसां’ के आरंभ में छापेखाने की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी।
प्रश्न 58.
मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
उत्तर:
मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता उसमें छपे हुए शब्दों के स्थायीपन की है। इन्हें जब जैसे चाहे पढ़ सकते हैं।
प्रश्न 59.
मुद्रित माध्यम के अंतर्गत समाचार-पत्र में क्या कमियाँ हैं?
उत्तर:
इसे निरक्षर नहीं पढ़ सकते। इसमें तुरंत घटी हुई घटनाएँ प्रस्तुत नहीं की जा सकती।
प्रश्न 60.
रेडियो प्रसारण की क्या कमियाँ हैं?
उत्तर:
रेडियों पर प्रसारण के समय की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। कार्यक्रम आरंभ से सुनना पड़ता है। कार्यक्रम के दौरान कहीं जा नहीं सकते। उसी कार्यक्रम को फिर से नहीं सुन सकते।
प्रश्न 61.
समाचार-पत्रों की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
समाचार-पत्र जनता को समाचार देकर उन्हें जागरूक, शिक्षित और सचेत करते हैं। इनसे पाठकों का मनोरंजन भी होता है। ये लोकतंत्र के पहरेदार माने जाते हैं। ये जनमत जगाने का कार्य भी करते हैं।
प्रश्न 62.
पत्रकारीय लेखन का संबंध किनसे होता है?
उत्तर:
पत्रकारीय लेखन का संबंध देश-विदेश में घटित विभिन्न घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों से होता है।
प्रश्न 63.
संपादक के नाम पत्र कौन लिखता है?
उत्तर:
संपादक के नाम पत्र समाचार-पत्र को पढ़ने वाले पाठक लिखते हैं। वे इन पत्रों में विभिन्न मुद्दों और समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 64.
समाचार-पत्र में साक्षात्कार का क्या महत्व है?
उत्तर:
समाचार-पत्र में साक्षात्कार का बहुत महत्व है। साक्षात्कार के माध्यम से ही पत्रकार अपने समाचार-पत्र के लिए समाचार, फीचर, लेख, विशेष रिपोर्ट आदि तैयार कर सकता है।
प्रश्न 65.
स्तंभ-लेखन क्या है?
उत्तर:
स्तंभ लेखन विचारपरक लेखन होता है। स्तंभकार समसामयिक विषयों पर नियमित रूप से अपने समाचार-पत्र के लिए लिखते हैं।
प्रश्न 66.
बीट किसे कहते हैं?
उत्तर:
समाचार-पत्र में राजनीति, आर्थिक, खेल, अपराध, फ़िल्म, कृषि आदि से संबंधित समाचार होते हैं। जो पत्रकार जिस क्षेत्र से संबंधित समाचार लिखता है, वह उसकी बीट होती है।
प्रश्न 67.
‘डेस्क’ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समाचार-पत्रों में किसी विशेष लेखन के लिए कार्य करने वाले पत्रकारों के समूह के निश्चित समय को डेस्क कहते हैं, जैसे खेल डेस्क।
प्रश्न 68.
व्यापार से जुड़ी खबरों की शब्दावली कैसी होती हैं?
उत्तर:
व्यापार से जुड़ी खबरों में व्यापार जगत से संबंधित तेजड़िए, घाटा, गिरावट, आवक आदि शब्द होते हैं।
प्रश्न 69.
कारोबारी जगत की खबरें किस शैली में लिखी जाती हैं ?
उत्तर:
कारोबारी जगत की खबरें उलटा पिरामिड-शैली में लिखी जाती हैं।
प्रश्न 70.
भारत के लोकप्रिय हिंदी दैनिक समाचार-पत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दैनिक हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब केसरी, नई दुनिया, नवभारत टाइम्स आदि।
प्रश्न 71.
बीट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
समाचार-पत्र या अन्य समाचार माध्यमों द्वारा अपने संवाददाता को किसी क्षेत्र या विषय यानी बीट की दैनिक रिपोर्टिंग की ज़िम्मेदारी दी जाती है। यह एक तरह के रिपोर्टर का कार्यक्षेत्र निश्चित करना है।
प्रश्न 72.
सीधा प्रसारण (लाइव) कैसा होता है ?
उत्तर:
रेडियो और टेलीविज़न में जब किसी घटना या कार्यक्रम को सीधा होते हुए दिखाया या सुनाया जाता है तो उस प्रसारण को सीधा प्रसारण (लाइव) कहते हैं। रेडियो में इसे आँखों देखा हाल भी कहते हैं जबकि टेलीविज़न के परदे पर सीधे प्रसारण के समय लाइव लिख दिया जाता है। इसका अर्थ यह है कि उस समय आप जो भी देख रहे हैं, वह बिना किसी संपादकीय काट-छाँट के सीधे आप तक पहुँच रहा है।
प्रश्न 73.
स्टिंग आपरेशन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी टेलीविजन चैनल का पत्रकार छुपे टेलीविज़न कैमरे के ज़रिए किसी गैर-कानूनी, अवैध और असामाजिक गतिविधियों को फ़िल्माता है और फिर उसे अपने चैनल पर दिखाता है तो इसे स्टिंग ऑपरेशन कहते हैं। कई बार चैनल ऐसे आपरेशनों को गोपनीय कोड दे देते हैं। जैसे आपरेशन दुर्योधन या चक्रव्यूह। हाल के वर्षों में समाचार चैनलों पर सरकारी कार्यालयों आदि में भ्रष्टाचार के खुलासे के … लिए स्टिंग आपरेशनों के प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ी है। .
प्रश्न 74.
सूचनाओं के विभिन्न स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
(i) मंत्रालय के सूत्र
(ii) प्रेस कॉफ्रेंस और विज्ञप्तियाँ
(iii) साक्षात्कार
(iv) सर्वे
(v) जाँच समितियों की रिपोर्ट्स
(vi) क्षेत्र विशेष में सक्रिय संस्थाएँ और व्यक्ति
(vii) संबंधित विभागों और संगठनों से जुड़े व्यक्ति
(viii) इंटरनेट और दूसरे संचार के माध्यम
(ix) स्थायी अध्ययन प्रक्रिया
प्रश्न 75.
विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रही भारत की पाँच संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
(ii) मिनरल्स एंड मेटल्स कार्पोरेशन (MMTC)
(iii) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
(iv) नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कार्पोरेशन (NRDC)
(v) केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL)
प्रश्न 76.
पर्यावरण पर छपने वाली पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) पर्यावरण एबस्ट्रेक्ट
(ii) एन्वायरो न्यूज
(iii) डाउन टू अर्थ
(iv) जू प्रिंट
(v) सैंकुचरी
(iv) नेशनल ज्योग्रॉफ़ी
प्रश्न 77.
व्यावसायिक शिक्षा के दस विभिन्न संस्थानों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
(ii) भारतीय प्रबंधन संस्थान
(iii) भारतीय विज्ञान संस्थान
(iv) भारतीय सूचना प्रौद्योगिक एवं प्रबंधन संस्थान
(v) भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान
(vi) राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान
(vi) मनिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी
(viii) राष्ट्रीय फ़ैशन टेक्नॉलोजी संस्थान
(ix) राष्ट्रीय डिफैंस अकादमी
(x) अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान
प्रश्न 78.
अपडेटिंग से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विभिन्न वेबसाइटों पर उपलब्ध सामग्री को समय-समय पर संशोधित और परिवर्धित किया जाता है। इसे ही अपडेटिंग कहते हैं।
प्रश्न 79.
ऑडियंस किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनसंचार माध्यमों के साथ जुड़ा एक विशेष शब्द, जिसका प्रयोग जनसंचार माध्यमों के दर्शकों, श्रोताओं और पाठकों के लिए सामूहिक रूप से होता है।
प्रश्न 80.
समाचार-पत्रों में ऑप-एड क्या होता है?
उत्तर:
यह समाचार-पत्रों में संपादकीय पृष्ठ के सामने प्रकाशित होने वाला वह पन्ना है जिसमें विश्लेषण, फ़ीचर, स्तंभ, साक्षात्कार, विचारपूर्ण टिप्पणियाँ आदि प्रकाशित की जाती हैं। हिंदी के बहुत कम समाचार-पत्रों में ऑप-एड पृष्ठ प्रकाशित होता है, लेकिन अंग्रेजी के हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों में ऑप-एड पृष्ठ देखा जा सकता है।
प्रश्न 81.
डेडलाइन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी समाचार को प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए उसके समाचार माध्यमों तक पहुँचने की आखिरी समय-सीमा को डेडलाइन कहते हैं। अगर कोई समाचार डेडलाइन निकलने के बाद मिलता है, तो आमतौर पर उसके प्रकाशित या प्रसारित होने की संभावना कम हो जाती है।
प्रश्न 82.
न्यूज़पेग क्या होता है?
उत्तर:
न्यूज़पेग का अर्थ है ‘किसी मुद्दे पर लिखे जा रहे लेख या फ़ीचर में उस ताज़ा घटना का उल्लेख, जिसके कारण वह मुद्दा चर्चा में आ गया है। जैसे अगर आप माध्यमिक बोर्ड की परीक्षाओं में सरकारी स्कूलों के बेहतर हो रहे प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट लिख रहे हैं तो उसका न्यूज़पेग सीबीएसई का ताज़ा परीक्षा परिणाम होगा। इसी तरह शहर में महिलाओं के खिलाफ़ बढ़ रहे अपराध पर फ़ीचर का न्यूज़पेग सबसे ताजी वह घटना होगी जिसमें किसी महिला के खिलाफ़ अपराध हुआ हो।
प्रश्न 83.
‘पीत पत्रकारिता’ किसे कहते हैं ? उत्तर: इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल उन्नीसवीं सदी के
उत्तर:
में अमेरिका में कुछ प्रमुख समाचार-पत्रों के बीच पाठकों को आकर्षित करने के लिए छिड़े संघर्ष के लिए किया गया था। उस समय के प्रमुख समाचारों ने पाठकों को लुभाने के लिए झूठी अफ़वाहों, व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोपों, प्रेम-संबंधों, भंडाफोड़ और फ़िल्मी गपशप को समाचार की तरह प्रकाशित किया। उसमें सनसनी फैलाने का तत्व अहम था।
प्रश्न 84.
‘पेज थ्री पत्रकारिता’ कैसी पत्रकारिता है? (C.B.S.E., 2018)
उत्तर:
पेज थ्री पत्रकारिता का तात्पर्य ऐसी पत्रकारिता से है जिसमें फ़ैशन, अमीरों की पार्टियों, महफ़िलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के.. बारे में बताया जाता है। ऐसे समाचार आमतौर पर समाचार-पत्रों के पृष्ठ तीन पर प्रकाशित होते रहे हैं, इसलिए इसे ‘पेज थ्री पत्रकारिता’ कहते हैं। हालाँकि अब यह जरूरी नहीं है कि यह पृष्ठ तीन पर ही प्रकाशित होती हो लेकिन इस पत्रकारिता के तहत अब भी जोर उन्हीं विषयों पर होता है।
प्रश्न 85.
‘फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन’ तकनीक क्या है?
उत्तर:
यह रेडियो प्रसारण की एक विशेष तकनीक है जिसमें फ्रीक्वेंसी को मॉड्यूलेट किया जाता है। रेडियो का प्रसारण दो तकनीकों के जरिए होता है जिसमें एक तकनीक एमप्लीच्यूड मॉड्यूलेशन (ए०एम०) है और दूसरा फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन (एफ०एम०)। एफ०एम० तकनीक अपेक्षाकृत नई है और इसकी प्रसारण की गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है। लेकिन ए०एम० रेडियो की तुलना में एफ०एम० के प्रसारण का दायरा सीमित होता है।
बोर्ड परीक्षाओं में पूछे गए लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न
प्रश्न 86.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: संक्षेप में दीजिए– (B.S.E. A.T. 2008)
(क) ‘प्रिंट माध्यम से आप क्या समझते हैं?
(ख) ‘स्तंभ-लेखन’ का क्या तात्पर्य है?
(ग) संपादकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं दिया जाता?
(घ) हिंदी में प्रकाशित होने वाले किन्हीं चार राष्ट्रीय समाचार-पत्रों के नाम लिखिए।
(ङ) ‘अंशकालिक संवाददाता’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
(क) प्रिंट माध्यम से तात्पर्य छपे हुए जनसंचार के माध्यम हैं। इसके अंतर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि आती हैं।
(ख) स्तंभ-लेखन विचारपरक लेखन होता है। इसके अंतर्गत समसामयिक विषयों पर लिखा जाता है।
(ग) संपादकीय के लेखक का नाम इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि वह समाचार-विशेष का विचार होता है तथा उसे समाचार-पत्र का संपादक लिखता है।
(घ) दैनिक हिंदुस्ताने, नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर।
(ङ) ‘अंशकालिक संवाददाता’ वह होता है जो किसी समाचार-संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय के आधार पर काम करता है।
प्रश्न 87.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर: दीजिए (Delhi 2008, Set-I)
(क) छापेखाने के आविष्कार का श्रेय किसको है?
(ख) मुद्रित माध्यमों की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ग) पत्रकारीय लेखन और साहित्यिक-सृजनात्मक लेखन का अंतर बताइए।
(घ) विशेष रिपोर्ट के दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए। (C.B.S.E. Delhi 2013, Set-III)
(ङ) संपादकीय लेखन क्या होता है?
उत्तर:
(क) छापेखाने के आविष्कार का श्रेय जर्मनी के गुटेनबर्ग को दिया जाता है।
(ख) मुद्रित माध्यमों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ये चिंतन, विचार तथा विश्लेषण का माध्यम होते हैं।
(ग) पत्रकारीय लेखन समाचार-पत्र, पत्रिकाओं के लिए लिखे गए समाचारों, रिपोर्टों आदि से संबंधित होता है तथा यथार्थ पर आधारित होता है। साहित्यिक-सृजनात्मक लेखन कल्पना पर आधारित अथवा वास्तविक जीवन से प्रेरित होकर लिखा गया साहित्य होता है।
(घ) विशेष रिपोर्ट के अंतर्गत आर्थिक, राजनीतिक, खेल, फ़िल्म, कृषि, कानून आदि पर आधारित रिपोर्ट आती हैं।
(ङ) वह लेख जिसमें किसी मुद्दे के प्रति समाचार-पत्र अपनी राय व्यक्त करता है, संपादकीय लेखन कहलाता है।
प्रश्न 88.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त दीजिए (Delhi 2008, Set-II)
उत्तर:
(क) जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ?
(ख) ‘विशेष रिपोर्ट’ के लेखन में किन बातों पर अधिक बल दिया जाता है ?
(ग) ‘उल्टा पिरामिड-शैली’ क्या होती है ?
(घ) ‘अंशकालिक पत्रकार’ से आप क्या समझते हैं ?
(ङ) समाचार और फ़ीचर के बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है तथा जब चाहे, जैसे चाहे, पढ़ा जा सकता है।
(ख) विशेष रिपोर्ट पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित होती है और गहरी छानबीन, विश्लेषण तथा व्याख्या का परिणाम होती है।
(ग) इसमें पहले महत्वपूर्ण तथ्य तथा बाद में कम महत्वपूर्ण बातें दी जाती हैं।
(घ) जो पत्रकार किसी समाचार-पत्र के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करता है, वह अंशकालिक पत्रकार होता है।
(ङ) समाचार पाठक को केवल तत्कालीन घटनाओं से परिचित कराता है किंतु फ़ीचर तत्कालीन घटनाओं से परिचित कराने के साथ-साथ पाठकों को शिक्षित तथा मनोरंजन भी करता है। इसमें फ़ीचर लेखक का दृष्टिकोण भी स्पष्ट होता है।
प्रश्न 89.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर: दीजिए (Delhi 2008, Set-III)
(क) मुद्रित माध्यमों की किन्हीं दो विशेषताओं को बताइए।
(ख) पत्रकार की लेखन-शैली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ग) ‘विशेष रिपोर्ट’ क्या होती है?
(घ) पत्रकारिता की भाषा में ‘बीट’ किसे कहते हैं ?
(ङ) ‘विशेष लेखन’ के किन्हीं तीन क्षेत्रों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(क) मुद्रित माध्यम बहुत लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं। पाठक इन्हें अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ सकता है।
(ख) पत्रकार सदा सीधी-सादी और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करता है। वह लंबे वाक्य नहीं लिखता। वह अनावश्यक विशेषणों आदि का भी प्रयोग नहीं करता है।
(ग) विशेष रिपोर्ट किसी विशेष समस्या, घटना अथवा मुद्दे पर लिखी जाती है। यह अत्यंत गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या का परिणाम होती है। यह तथ्यों पर आधारित होती है।
(घ) पत्रकारिता की भाषा में ‘बीट’ उसे कहते हैं जिस विषय से संबंधित समाचार संकलन के लिए पत्रकार को नियुक्त किया जाता है। ये राजनीतिक, आर्थिक, अपराध, खेल, फ़िल्म, कृषि, विज्ञान आदि विषयों से संबंधित अलग-अलग होती हैं। किसी क्षेत्र से अपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिंग को अपराध बीट माना जाता है।
(ङ) विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र हैं। इनमें प्रमुख हैं आर्थिक विश्लेषण, व्यापार, शिक्षा, विदेश नीति, रक्षा, पर्यावरण, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि।
प्रश्न 90.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर: दीजिए
(क) मुद्रण माध्यम (प्रिंट मीडिया) के अंतर्गत आने वाले दो माध्यमों का उल्लेख कीजिए।
(ख) फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ का क्या आशय है?
(ग) व्यापार-कारोबार की भाषा की एक विशेषता लिखिए।
(घ) ‘अंशकालिक पत्रकार’ से आप क्या समझते हैं?
(ङ) ‘विशेषीकृत रिपोर्टिंग’ की एक प्रमुख विशेषता लिखिए।
उत्तर:
(क) मुद्रण माध्यम के अंतर्गत समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ आती हैं।
(ख) कोई विशेष समाचार जब सबसे पहले दर्शकों तक पहुँचाया जाता है, तो उसे फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ कहते हैं।
(ग) व्यापार-कारोबार की भाषा में व्यापार जगत से संबंधित शब्दावली का अधिक प्रयोग होता है जो सटीक और आकर्षक होती है।
(घ) अंशकालिक पत्रकार वह होता है जो किसी समाचार संगठन के लिए निश्चित मानदेय पर काम करता है।
(ङ) विशेषीकृत रिपोर्टिंग पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित होती है।
प्रश्न 91.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर: दीजिए
(क) प्रसारण के लिए तैयार की जा रही समाचार कॉपी की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) ‘उल्टा पिरामिड’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘खोजी पत्रकारिता’ का क्या आशय है?
(घ) ‘फ्रीलांसर’ पत्रकार किसे कहते हैं?
(ङ) वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय किस भारतीय वेबसाइट को जाता है?
उत्तर:
(क) प्रसारण के लिए तैयार की जा रही समाचार कॉपी की भाषा अति सरल होनी चाहिए। एक वाक्य में एक ही बात कही जानी चाहिए।
(ख) उल्टा पिरामिड समाचार-लेखन की एक शैली है। इसमें पहले इंट्रो, मध्य में बाडी तथा अंत में क्लाइमेक्स होता है।
(ग) ‘खोजी पत्रकारिता’ में पत्रकार मौलिक शोध तथा छानबीन के द्वारा ऐसी सूचनाएँ तथा तथ्य उजागर करता है जो सार्वजनिक रूप से पहले उपलब्ध नहीं होतीं।
(घ) ‘फ्रीलांसर पत्रकार’ वह होता है जो किसी भी समाचार-पत्र से अनुबंधित नहीं होता, बल्कि वह विभिन्न समाचार-पत्रों में लिखित लेख के भुगतान के आधार पर लिखता है।
(ङ) वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय भारत में ‘तहलका डॉट कॉम’ को जाता है।
प्रश्न 92.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर: दीजिए (C.B.S.E. Sample Paper, 2018)
(क) पेज थ्री पत्रकारिता’ से क्या तात्पर्य है?
(ख) स्तंभ-लेखन से क्या तात्पर्य है? (C.B.S.E. 2013, Set-III)
(ग) ‘डेड लाइन’ क्या है?
(घ) पत्रकारीय लेखन और साहित्यिक सृजनात्मक लेखन में क्या अंतर है?
(ङ) ‘फ़ीचर लेखन’ की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
(क) ‘पेज थ्री’ पत्रकारिता में फ़ैशन, अमीरों की पार्टियों, महफ़िलों और जाने-माने लोगों के निजी जीवन के संबंध में बताया जाता है। ऐसे समाचार पेज थ्री पर प्रकाशित होने के कारण इसे पेज थ्री पत्रकारिता कहते हैं, पर अब सभी समाचार-पत्रों में ऐसा नहीं होता।
(ख) स्तंभ लेखन विचारपरक आलेख होता है जो जनमत के लिए कार्य करता है। इसके विषय का चयन लेखक स्वयं स्थितियों के अनुसार करता है।
(ग) किसी समाचार का प्रकाशित या प्रसारित होने के लिए पहुँचने की अंतिम समय-सीमा ‘डेड लाइन’ कहलाती है। इसके बाद मिले समाचार प्रकाशित अथवा प्रसारित नहीं किए जाते। (घ) पत्रकारीय लेखन का संबंध विभिन्न घटनाओं, समस्याओं और मुद्दों से होता है तथा इसमें तात्कालिकता का ध्यान रखा जाता है। इसकी भाषा आम बोल-चाल की होती है। साहित्यिक सृजनात्मक लेखन कल्पना पर आधारित होता है तथा इसकी भाषा-शैली आलंकारिक होती है।
(ङ) फ़ीचर लेखन की भाषा-शैली सहज, सरल और आम बोलचाल की होती है। (C.B.S.E. Delhi 2009)
प्रश्न 93.
संक्षेप में उत्तर: दीजिए
(क) जनसंचार के प्रचलित माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम क्या है ?
(ख) मुद्रित माध्यम को स्थाई माध्यम क्यों कहा गया है ?
(ग) संपादकीय’ से क्या तात्पर्य है ?
(घ) रिपोर्ट-लेखन की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ङ) ‘खोजी पत्रकारिता’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(च) किन्हीं दो मुद्रित माध्यमों के नाम लिखिए।
(छ) भारत में पहला छापाखाना कहाँ और कब खुला ?
(ज) स्तंभ-लेखन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
(क) जनसंचार के प्रचलित माध्यमों में मुद्रित माध्यम सबसे पुराना है।
(ख) मुद्रित माध्यम को स्थाई माध्यम इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें छपे हुए शब्दों में स्थायीपन होता है, जिन्हें जब चाहे तब आराम से पढ़ सकते हैं। ….
(ग) वह लेख जिसमें किसी मुद्दे पर समाचार-पत्र की अपनी राय व्यक्त होती है, संपादकीय कहलाता है।
(घ) रिपोर्ट-लेखन की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की होती है।
(ङ) खोजी पत्रकारिता में पत्रकार मौलिक शोध और छानबीन के द्वारा ऐसी सूचनाओं तथा तथ्यों को उजागर करता है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होते।
(च) समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ।
(छ) भारत में पहला छापाखाना गोवा में सन 1556 ई० में खुला था।
(ज) स्तंभ-लेखन विचारपरक लेख होता है जो जनमत के लिए दर्पण का कार्य करता है। इसके अंतर्गत किसी भी विषय पर विचार व्यक्त किए जा सकते हैं।