These NCERT Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.4 Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.
NCERT Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 संबंध एवं फलन 1.4
प्रश्न 1.
निर्धारित कीजिए कि क्या निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित प्रत्येक संक्रिया से एक द्विआधारी संक्रिया प्राप्त होती है या नहीं। उस दशा में जब एक द्विआधारी संक्रिया नहीं है, औचित्य भी बताइए-
(i) Z+ में, a*b = a – b द्वारा पभाषित संक्रिया
(ii) Z+ में, a*b = ab द्वारा परिभाषित संक्रिया
(iii) R में संक्रिया *, a+b = ab2 द्वारा परिभाषित
(iv) Z+ में, संक्रिया *, a*b =| a – b | द्वारा परिभाषित
(v) Z+ में, संक्रिया *, a*b = a द्वारा परिभाषित।
हल :
(i) a*b = a – b, जहाँ a, b ∈ Z+ द्विआधारी संक्रिया नहीं है।
क्योंकि 3 – 2 = 1 ∈ Z+, परन्तु 2 – 3 = 1 ∉ Z+.
(ii) संक्रिया Z+में द्विआधारी संक्रिया है क्योंकि तथा
3 * 2 = 6 ∈ Z+ 2 × 3 = 6 ∈ Z+ .
(iii) संक्रिया * R में द्विआधारी संक्रिया है क्योंकि
3*4 = 3 x 42 = 48 ∈ R
4*3 = 4 × 32 = 36 ∈R.
(iv) संक्रिया Z+ में द्विआधारी संक्रिया है क्योंकि
a*b = | a – b |
2*3 = | 2 – 3 |
= | -1 | = 1 ∈ Z+
तथा 3*2 = | 3-2 |
= | 1 | = 1 ∈ Z+
(v) संक्रिया * Z+ में द्विआधारी संक्रिया है क्योंकि
3*4 = 3 ∈ Z+
4*3 = 4 ∈ Z+.
प्रश्न 2.
निम्नलिखित परिभाषित प्रत्येक द्विआधारी संक्रिया * के लिए निर्धारित कीजिए कि क्या * क्रम- विनिमेय है तथा क्या * साहचर्य है-
(i) Z में, a+b = a – b द्वारा परिभाषित
(ii) Q में, a*b = ab + 1 द्वारा परिभाषित
(iii) Q में, a*b = \(\frac{ab}{2}\) द्वारा परिभाषित
(iv)Z+ में, a*b = 2ab द्वारा परिभाषित
(v) Z+ में, a+b = aZb द्वारा परिभाषित
(vi) R – { – 1} में a*b = \(\frac{a}{b+1}\) द्वारा परिभाषित ।
हल:
(i) संक्रिया न तो क्रम विनिमेय है और न ही साहचर्य
क्योंकि 3 – 2 = 1, 2 – 3 = 1 ⇒ 3*2 ≠ 2*3
और (3*4)*5 = (3 – 4)*5 = 1 – 5 = – 6 (∵ परिभाषानुसार)
3*(4*5) = 3*(4 – 5) = 3*(− 1)
= 3 – (- 1) = 4
(3*4)*5 ≠ 3*(4*5).
(ii) संक्रिया क्रम-विनिमेय है परन्तु साहचर्य नहीं, क्योंकि
2*3 = 2.3 + 1 = 6 + 1 = 7,
3*2 = 3.2 + 1 = 6 + 1=7
2*3 = 3*2
तथा (2*3) 4 = (2.3 + 1)*4
=7*4 = 7 × 4 + 1 = 29
2*(3*4) = 2*(3. 4 + 1)
= 2*(13) = 2.13 + 1 = 27
(2*3)*4 ≠ 2*(3*4).
(iii) 2 पर संक्रिया, a*b = \(\frac{a b}{2}\) द्वारा परिभाषित है।
(a) a*b = \(\frac{ab}{2}\) a*b = \(\frac{ba}{2}\) = \(\frac{ab}{2}\)
∵ a*b = b*c
अतः संक्रिया * क्रम – विनिमेय है।
∵ संक्रिया * साहचर्य है।
अतः संक्रिया * क्रम – विनिमेय और साहचर्य दोनों है।
(iv) Z+ पर * संक्रिया a*b = 2ab से परिभाषित है
(a) ∵ a*b = 2ab, b*a = 2ab = 2ab
⇒ a*b = b*a
अतः संक्रिया * क्रम – विनिमेय संक्रिया है ।
(v) Z+ पर * संक्रिया, a*b = ab से परिभाषित है ।
(a) a*b = ab, b*a = be
∵ a*b ≠b*a
अतः संक्रिया * क्रम-विनिमेय संक्रिया नहीं है।
(b) a* (b*c) = a*bc = a(bc)
(a*b)*c = ab*c = (ab)c = abc
∵ (a*b) *c ≠ a*(b*c)
∵ यह संक्रिया * साहचर्य संक्रिया नहीं है।
अतः संक्रिया * न तो क्रम – विनिमेय है और न ही साहचर्य है ।
(vi) R – {- 1} पर * संक्रिया
a*b = \(\frac{a}{b+1}\) – द्वारा परिभाषित है।
a*b = \(\frac{a}{b+1}\) b*a = \(\frac{b}{a+1}\)
a*b ≠ b*a
अतः संक्रिया क्रम-विनिमेय द्विआधारी संक्रिया नहीं है।
(b) a* ( b*c) = a* \(\frac{b}{c+1}\) = \(\frac{a}{\frac{b}{c+1}+1}\) = \(\frac{a(c+1)}{b+c+1}\)
(a*b)*c = \(\frac{a}{b+1}\) c = \(\frac{a}{\frac{b+1}{c+1}}\) = \(\frac{a}{(b+1)(c+1)}\) =
∵ a*(b*c) + (a*b)*c
∵ संक्रिया * साहचर्य संक्रिया नहीं है।
अतः * संक्रिया न तो क्रम विनिमेय है और न ही साहचर्य है ।
प्रश्न 3.
समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5} 3 में a ^ b = निम्नतम {a, b} द्वारा परिभाषित द्विआधारी संक्रिया ^ पर विचार कीजिए । संक्रिया के लिए संक्रिया सारणी लिखिए।
हल:
^ के लिए सारणी
प्रश्न 4.
समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5} में निम्नलिखित संक्रिया सारणी द्वारा परिभाषित, द्विआधारी संक्रिया पर विचार कीजिए तथा
(i) (2*3)*4 तथा 2*(3*4) का परिकलन कीजिए।
(ii) क्या * क्रम-विनिमेय है ?
(iii) (2*3)*(4*5) का परिकलन कीजिए।
(संकेत : निम्न सारणी का प्रयोग कीजिए ।)
हल:
(i) (2*3) *4 = 1*4 = 1 (∵ 2*3 = 1)
2*( 3*4) = 2*1 = 1 ( ∵ 3*4 = 1)
(ii) 2*4,2, 4*2 =2 ⇒ 2*4 = 4*2
हाँ * क्रम-विनिमेय है।
(iii) (2*3) *(4*5) = (1*1) = 1.
प्रश्न 5.
मान लीजिए कि समुच्चय {1, 2, 3, 4, 53} में एक द्विआधारी संक्रिया *’, ‘a*’b’ = a तथा b के HCF द्वारा परिभाषित है। क्या संक्रिया *” उपर्युक्त प्रश्न 4 में परिभाषित संक्रिया * के समान है? अपने उत्तर का औचित्य भी बताइए ।
हल:
दिया गया समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5} है तथा a *’ b = a तथा b का H.C.F. ‘ के लिए सारणी अग्र प्रकार है-
यह सारणी प्रश्न 4 में दी गई सारणी के समान है।
अतः संक्रिया *’ उपर्युक्त प्रश्न 4 में परिभाषित संक्रिया * के समान है ।
प्रश्न 6.
मान लीजिए कि N में एक द्विआधारी संक्रिया *, a*b = a तथा b के LCM द्वारा परिभाषित है। निम्नलिखित ज्ञात कीजिए :
(i) 5*7, 20*16
(ii) क्या संक्रिया * क्रम विनिमेय है?
(iii) क्या * साहचर्य है ?
(iv) N में का तत्समक अवयव ज्ञात कीजिए ।
(v) N के कौन से अवयव * संक्रिया के लिए व्युत्क्रमणीय हैं?
हल:
(i) 5*7 = 5 तथा 7 का LCM = 35
20*16 = 20 तथा 16 का LCM = 80
(ii) हाँ संक्रिया * क्रम – विनिमेय है, क्योंकि
*a*b = a तथा a का LCM
या b*a = b तथा a का LCM
हम जानते हैं कि प्राकृत संख्याओं के समुच्चय M में a तथा b का LCM = b तथा a का LCM.
⇒a*b = b*a
जैसे 2*6 = 2 तथा 6 का LCM = 6
6* 2 = 6 तथा 2 का LCM = 6
अतः 2*6 = 6*2
(iii) हाँ * साहचर्य है, क्योंकि
(a*b)*c = (a और b का LCM)*c
= a और b का LCM और C का LCM
= a, 6 और C का LCM
तथा a*(b*c) = a*(b और c का LCM)
= a तथा b और c का LCM
∵ (a*b)*c = a*(b*c)
जैसे, (2*3) * 4 = (2 तथा 3 का LCM) * 4 = 6*4
= 6 और 4 का LCM = 12
2*(3*4) = 2*(3 और 4 का LCM)
= 2*12
= 2 तथा 12 का LCM = 12.
अत: (2*3)*4 = 2* (3*4)
(iv) * संक्रिया का तत्समक अवयव 1 है।
∵ 1*a = a*1 = a, [क्योंकि 1 तथा a का LCM = a]
(v) N*N → N, * संक्रिया का a*b = a, b का LCM द्वारा परिभाषित किया गया है।
यदि a = 1, b = 1, a + b = 1
⇒ 1*1 = 1
⇒ 1* संक्रिया के लिए व्युत्क्रमणीय है।
प्रश्न 7.
क्या समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5} में a*b = a तथा b HCM द्वारा परिभाषित * एक द्विआधारी संक्रिया है? अपने उत्तर का औचित्य भी बताइए।
हल:
* द्विआधारी संक्रिया नहीं है क्योंकि
3 * 4 = 3 तथा 4 का LCM
12 {1, 2, 3, 4, 5}.
प्रश्न 8.
मान लीजिए कि N में a*b = a तथा b का HCF द्वारा परिभाषित एक द्विआधारी संक्रिया है। क्या * क्रम-विनिमेय है ? क्या * साहचर्य है ? क्या N में इस द्विआधारी संक्रिया के तत्समक का अस्तित्व है ?
हल :
(i) हाँ, * क्रम-विनिमेय है, क्योंकि
जैसे a*b = a तथा b का HCF
और b*a = b तथा a का HCF
∵ a तथा 6 का HCF = b तथा a का HCF
2*3 = 2 तथा 3 का HCF 1
3*2 = 3 तथा 2 का HCF = 1
∵ 2*3 = 3*2.
(ii) हाँ * साहचर्य है, क्योंकि
(a*b)*c = (a और b का HCF)*c
= a और b का HCF और c का HCF
= a, b और c का HCF
तथा a*(b*c) = a*(b और c का HCF)
= a और b और c का HCF
= a, b और c का HCF
∵ (a*b) *c = a*(b+c)
जैसे -(2*3)*4 = (2 तथा 3 का HCF)*4
= 2 तथा 3 का HCF और 4 का HCF
= 1 और 4 का HCF
= 1
∵ (2*3)*4 (3 और 4 का HCF)
= 2 और (1 का HCF)
= 2 और 1 का HCF
= 1
∵ (2*3)*4 = 2*(3*4).
(iii) * के लिए N में कोई तत्समक अवयव नहीं है।
अत: N में इस द्विआधारी संक्रिया के तत्समक का अस्तित्व नहीं है।
प्रश्न 9.
मान लीजिए कि परिमेय संख्याओं के समुच्चय 9 में निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित * एक द्विआधारी संक्रिया है :
(i) a*b = a – b
(ii) a*b = a2 + b2
(iii) a+b = a + ab
(iv) a*b = (a – b)2
(v) a*b = \(\frac{a^b}{4}\)
(vi) arb = ab2
ज्ञात कीजिए कि इनमें से कौन-सी संक्रियाएँ क्रम- विनिमेय हैं और कौन-सी साहचर्य हैं ?
हल:
(i) संक्रिया क्रम-विनिमेय नहीं है, क्योंकि
a*b = a b तथा b*a = b – a
a – b ≠ b – a ⇒ a*b ≠ b*a
उदाहरणार्थ,
2 – 3 = – 1 तथा 3 – 2 = 1 ⇒ 2 – 3 ≠ 3 – 2
तथा संक्रिया साहचर्य नहीं है, क्योंकि
(a*b)*c = (a – b)*c = a – b – c
तथा a* (b*c) = a* (b – c) = a – (b – c)
= a – b + c
∵ a – b – c ≠a – b + c
⇒ (a*b)*c ≠ a* (b*c)
उदाहरणार्थ,
(3*4)*5 = (3*4)*5
= -1*5 = -1 -5 = – 6
और 3*(4*5) 3*(4 – 5)
= – 3* (- 1)
= 3 – (- 1)=3 + 1 = 4
∵ (3*4)*53*(4*5).
(ii) संक्रिया क्रम-विनिमेय है, क्योंकि
a*b = a2 + b2 तथा b*a = b2 + a2
a2 + b2 = b2 + a2 ⇒ a*b = b*a
उदाहरणार्थ,
2*3 = 22 + 32 = 4 + 9 =13,
3*2 = 32 +22 = 9 + 4 = 13
∵ 2*3 = 3*2
a*b = a2 + b2 साहचर्य नहीं है, क्योंकि
(a*b)*c = (a2 + b2)*c
= (a2 + b2)2 + c2
= a4 b4 + 2a4b4 + c2
तथा a*(b*c)= a*(b2 + c2) = a2 + (b2 + c2)2
= a2 + b4 + c4 +2b2c2
∵ a2 + b4 + 2a2b2+ c2
≠ a2 + b4 + c4 + 2b2c2
⇒ (a*b)*c ≠ a * (b*c)
∵ * साहचर्य नहीं है।
उदाहरणार्थ,
(2*3)*4 = (22+32) *4 = 13*4
= 132 + 42
= 169 + 16 = 185
तथा 2*(3*4) = 2*(32 +42)
=2*(9 + 16) = 2*25
=22 + 252
= 4 + 625 = 629
185 ≠ 629 ⇒ (2*3)*4 ≠ 2*(3*4)
(iii) संक्रिया न तो क्रम विनिमेय है और न ही साहचर्य, क्योंकि
a*b = a + ab
b*a = b + ba = b + ab
∵ a + ab ≠ b + ab ⇒ a*b ≠ b*a
उदाहरणार्थ,
2*3 = 2 + 2·3 = 2 + 6 = 8
तथा 3*2 = 3 + 32 = 3 + 6 = 9
8 ≠ 9 ⇒ 2*3 ≠ 3*2
साहचर्य के लिए,
(a+b)*c = (a + ab)*c
= a + ab + (a + ab)c
= a + ab + ac + abc
तथा a*(b*c)= a*(b + bc)
= a + a(b + bc)
= a + ab + abc
∵ a + ab + ac + abc
≠ a + ab + abc
⇒ (a*b)*c = a*(b*c)
अतः * साहचर्य नहीं है।
उदाहरणार्थ,
(2*3)* 4 = = (2 + 2·3)*4
= 8*4 = 8 + 8.4 = 40
तथा 2*(3*4) = 2*(3 + 3.4) = 2*15
= 2 + 2.15 = 32
40 ≠ 32
⇒ (2*3)*4 * 2*(3*4).
(iv) a*b = (a – b)2, संक्रिया * क्रम-विनिमेय है।
क्योंकि (a*b) = (a – b)2 = (b – a)2= b*a
⇒ (a*b) = b*a
उदाहरणार्थ,
(2*3) = (2 – 3)2 = (-1)2 = 1
(3*2) = (3 – 2)2 = 12 = 1
⇒ 2*3 = 3*2
संक्रिया * साहचर्य नहीं है।
(a*b)*c = (a – b)2*c
= (a2 + b2 – 2ab) *c
= (a2 + b2 – 2ab – c)2
तथा a*(b*c) = a*(b – c)2
= a*(b2 + c2 – 2bc)
= (a – b2 – c2 + 2bc)2
∴ (a2 + b2 – 2abc)2
≠ (a – b2 – c2 + 2bc)2
⇒ (a*b)*c ≠ a*(b*c).
उदाहरणार्थ,
(2*3)*4 = (2 – 3)2*4
= 1*4 = (1 – 4)2 = 9
तथा 2*(3*4) = 2*(3 – 4)2 = 2*1.
=(2 – 1)2=1
⇒ (2*3)*4 ≠ 2*(3*4)
∴ संक्रिया साहचर्य नहीं है।
(v) a*b = \(\frac{a^b}{4}\)
संक्रिया * क्रम-विनिमेय और साहचर्य दोनों नहीं है।
क्योंकि a*b = \(\frac{a^b}{4}\) तथा a*b = \(\frac{b^a}{4}\)
∴ \(\frac{a^b}{4} \neq \frac{b^a}{4}\)
⇒ a*b ≠ b*a
अतः संक्रिया * क्रम–विनिमेय नहीं है।
उदाहरणार्थ,
अतः संक्रिया • साहचर्य नहीं है।
उदाहरणार्थ,
= 1*2 = \(\frac{12}{4}=\frac{1}{4}\)
∴ \(\left(\frac{1}{4}\right)^5 \neq \frac{1}{4}\)
⇒ (1*2)*3 ≠ 1*(2*3).
(vi) न तो क्रम विनिमेय है और न ही साहचर्य है।
क्योंकि a*b = ab2 तथा b*a = ba2
⇒ a*b ≠ b*a
उदाहरणार्थ, 2*3 = 2.32 = 18
3*2 = 3.22 = 12
⇒ 2*3 ≠ 3*2
साहचर्य के लिए
(a*b)*c = (ab2)*c
= (ab2)c2 = ab2c2
तथा a*(b*c) = a*(bc2) = a(bc2)2
= ab2c4
ab2c2ab2c4
⇒ (a*b)*c ≠ a*(b*c)
अतः * साहचर्य नहीं है।
उदाहरणार्थ,
(2*3) 4 (2.32)*4
= 18*4
= (18.42) 18 × 16 = 288
2*(3*4) = 2*(3.42)
= 2*48 = 2.482
= 2 × 2304 = 4608
∴ 288 ≠ 4608
⇒ (2*3)*4 ≠ 2*(3*4)
प्रश्न 10.
प्रश्न 9 में दी गई संक्रियाओं में किसी का तत्समक है, वह बताइए ।
हल:
(i) a*b = a – b
यदि * के लिए e तत्समक अवयव हो तो
a*e = a – e ≠ a तथा e*a = e ~ a ≠ a
∴ a – e ≠ e – a ⇒ a*e ≠ e*a ≠ a
अतः तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है, अर्थात् किसी अवयव का तत्समक नहीं है।
(ii) ab = a2+ 62
माना e तत्समक अवयव है, तब
∴ a*e = a2 + e2 ≠ a तथा e*a = e2 + a2 ≠ a
∴ a*e = e*a ≠ a
अतः e का अस्तित्व नहीं है, अर्थात् किसी अवयव का तत्समक नहीं है।
(iii) a*b = a + ab माना e तत्समक अवयव है।
a*e = a + ae ≠ a, e*a = e + ea ≠ a
∴ a*e ≠ e*a ≠ a
अतः तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है।
(iv) a*b = (a – b)2
माना e तत्समक अवयव है।
a*e = (a – e)2 ≠ a तथा e*a = (e – a)2 ≠ a
∴ a*e = e*a = a
अतः तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है।
(v) a*b = \(\frac{a^b}{4}\)
∴ a*e = \(\frac{a^e}{4}\) , a*e \(\frac{e^a}{4}\)
⇒ a*e = a
⇒ \(\frac{e^a}{4}\) = a
⇒ \(\frac{e^a}{a}\) = 4
⇒ ae – 1 = 4
⇒ loga 4 = e – 1
⇒ e = loga + 1
अतः तत्समक अवयव का अस्तित्व है।
(vi) a*b = ab2
माना e तत्समक अवयव है।
a*e = ae)2 ≠ a, e*a ≠ ea2 + a
∴ a*e ≠ e*a ≠ a.
अतः तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है।
प्रश्न 11.
मान लीजिए कि A =N × N है तथा A में (a, b)* (c, d) (a+c, b + d) द्वारा परिभाषित एक द्विआधारी संक्रिया है। सिद्ध कीजिए कि * क्रम-विनिमेय तथा साहचर्य है। A में का तत्समक अवयव, यदि कोई है, तो ज्ञात कीजिए।
हल:
(i) यदि (a, b) ∈ A और (c, d) ∈ A तब
a, b, c, d ∈ N
(a, b)* (c, d) = (a + c, b + d) ∈ A
[∴ (a + c) ∈ N, (b × d) ∈N]
(a, b)* (c, d) = (a + c, b + d)
= (c + a, d + b)
[∴ a + c = c + a तथा b + d = d + b]
= (c, d)* (a, b), (क्रम-विनिमेय)
पुन: [ (a, b) * (c, d)] *(e, f)
= (a + c, b + d)* (e, f)
[(a + c) + e, (b + d) + f]
[a + (c + d), b + (d + f)]
= (a, b)* ( c + e, d + f)
= (a, b)* [( c, d.) * (e, f)] (साहचर्य)
(ii) (a, b)* (0, 0) = (a + 0, b + 0) = (a, b) परन्तु (0, 0) A, क्योंकि 0 ≠ N
अतः समुच्चय A में द्विआधारी संक्रिया * के लिए कोई तत्समक अवयव नहीं है।
प्रश्न 12.
बताइए कि क्या निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य हैं। औचित्य भी बताइए ।
(i) समुच्चय N में किसी भी स्वेच्छ द्विआधारी संक्रिया के लिए a*a = a, ∀ a ∈ N.
(ii) यदि N में * एक क्रम-विनिमेय द्विआधारी संक्रिया है, तो a*(b*c) = (c*b)*a.
हल:
यहाँ द्विआधारी संक्रिया समुच्चय N पर इस प्रकार परिभाषित है कि
a*a = a, ∀a ∈ N
(i) यहाँ पर संक्रिया के लिए केवल एक ही अवयव a का प्रयोग किया गया है। अतः यह कथन असत्य है।
(ii) वास्तविक संख्याओं के समुच्चय पर संक्रिया क्रम-विनिमेय है अर्थात्
b*c = c*b
⇒ (c*b)*a = ( b*c)*a = a* (b*c)
∴ a*(b*c) = (c*b)*a
अतः कथन सत्य है।
प्रश्न 13.
a*b = a3 + b3 प्रकार से परिभाषित N में एक द्विआधारी संक्रिया पर विचार कीजिए। अब निम्नलिखित में से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(A) * साहचर्य तथा क्रम-विनिमेय दोनों है।
(B) * क्रम – विनिमेय है किन्तु साहचर्य नहीं है।
(C) * साहचर्य है किन्तु क्रम-विनिमेय नहीं है।
(D) * न तो क्रम – विनिमेय है और न ही साहचर्य है।
हल:
यहाँ द्विआधारी संक्रिया को समुच्चय N पर इस प्रकार परिभाषित किया गया है कि a, b ∈ N के लिए
a*b = a3 + b3
= b3 + a3
= b*a
∴ a*b = b*a
अत: संक्रिया क्रम-विनिमेय है।
पुनः a*(b*c) = d* (b3 + c3)
= a3 + (b3+ c3)3
और (a*b)*c = (a3 + b3)*c
= (a3 + b3)3 +c3
स्पष्टतः (a*b) *c ≠ a* ( b*c)
अतः संक्रिया * साहचर्य नहीं है।
∴ संक्रिया क्रम-विनिमेय है परन्तु साहचर्य नहीं ।
अतः विकल्प (B) सही है।